ADVERTISEMENTREMOVE AD

BJP MLA रहते कांग्रेस के टिकट पर लड़ा चुनाव: अवतार भड़ाना का तिलिस्म?

अवतार भड़ाना राजस्थान और हरियाणा में भी चुनाव लड़ चुके हैं, वो बिना इलेक्शन लड़े मंत्री बन गए थे.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में पिछले कई दिनों से एक नाम काफी चर्चा में रहा, अवतार भड़ाना. उन्हें जेवर विधानसभा से एसपी (SP)-आरएलडी (RLD) ने उम्मीदवार बनाया है. लेकिन टिकट होने के कई दिन बाद 20 जनवरी को चर्चा चली कि अवतार भड़ाना पीछे हट रहे हैं और चुनाव नहीं लड़ना चाहते. इन सब कयासों और चर्चाओं के बीच 24 घंटे के अंदर उन्होंने फिर स्पष्टीकरण दिया कि अब मेरा स्वास्थ्य ठीक है कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है और मैं चुनाव लड़ूंगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
हां, ना और फिर हां...ये खेल अवतार सिंह भड़ाना के लिए नया नहीं है. अवतार भड़ाना की राजनीति को आप देखेंगे तो पाएंगे कि उनका बड़ी जल्दी किसी पार्टी से मोह भंग होता है और बड़ी जल्दी ही मान भी जाते हैं. लोग कहते हैं कि राजनीति के ऐसे खिलाड़ी हैं जो मौसम को बड़ी जल्दी भांप लेते हैं.

अब ऐसे खिलाड़ी नेता को आरएलडी ने आनन-फानन में अपनी पार्टी में शामिल कर टिकट दिया है. इसके पीछे सिर्फ एक सीट नहीं है.

0

पहले अवतार भड़ाना को जानिए

अवतार सिंह भड़ाना मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं और उन्होंने अपने चुनावी करियर की शुरुआत राजस्थान से की थी. हालांकि वो चुनाव लड़ने से पहले ही 1988 में हरियाणा की देवीलाल सरकरा में मंत्री बन गए थे. लेकिन 6 महीने के अंदर ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि देवीलाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला उनका लगातार विरोध कर रहे थे. इसके बाद 1989 में राजस्थान की दौसा सीट से कांग्रेस के दिवंगत नेता राजेश पायलट के सामने जनता दल के टितट पर चुनाव लड़ा और हार गए.

इसके बाद 1991 में हरियाणा वापस आये और फरीदाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. इसके बाद उनका अलग-अलग पार्टियों में लंबा राजनीतिक रहा.

  • 1996 में फरीदाबाद से बीजेपी के रामचंद्र बैंदा से चुनाव हारे.

  • 1998 में फरीदाबाद से कांग्रेस से टिकट न मिलने पर समाजवादी जनता पार्टी की टिकट पर बीजेपी के रामचंद्र बैंदा से चुनाव हारे.

  • 1999 में मेरठ से कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार सांसद बने.

  • 2004 में फरीदाबाद से कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार सांसद बने.

  • 2009 में फरीदाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार सांसद बने.

  • 2014 में फरीदाबाद से कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के कृष्णपाल गुर्जर से हार गए.

  • 2015 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में शामिल हुए.

  • 2016 में अवतार भड़ाना बेजीपी में शामिल हुए और बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने.

  • 2017 में अवतार भड़ाना यूपी की मीरपुर विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीजेपी में विधायक रहते कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा

अवतार सिंह भड़ाना राजनीति में कितने इंटरेस्टिंग करेक्टर हैं, इसे ऐसे समझिये कि वो 2017 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने और बीजेपी में रहते हुए ही 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ गए. इससे आगे की बात ये कि बीजेपी ने उन्हें पार्टी से भी नहीं निकाला और वो अब तक बीजेपी के विधायक रहे. बीजेपी ने अगर अवतार सिंह भड़ाना पर कार्रवाई नहीं की तो उसके पीछे बड़ा कराण है. यही कारण उन्हें एसपी-आरएलडी गठबंधन में अहमियत दिलाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भड़ाना को हर पार्टी अपने साथ क्यों रखना चाहती है?

अगर पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद भी बीजेपी अवतार भड़ाना को बाहर नहीं करती है और एसपी-आरएलडी गठबंधन दोनों हाथ फैलाकर उन्हें लेता है तो इसके पीछे कारण है उनकी जाति. अवतार भड़ाना गुर्जर समुदाय से आते हैं.

गुर्जर समुदाय यूपी में ही नहीं बल्कि हरियाणा में भी राजनीतिक पकड़ रखता है और राजस्थान में तो गुर्जर बड़ी संख्या में हैं. अवतार सिंह भड़ाना अपने समुदाय में अच्छी पकड़ रखते हैं. इसीलिए यूपी और हरियाणा दोनों जगह जीतते रहे हैं. यही वजह है कि कोई भी पार्टी उनसे दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहती और अवतार भड़ाना भी सबकी गुडबुक में शामिल रहते हैं. लेकिन हम उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रसंग में अवतार भड़ाना की बात कर रहे हैं तो समझते हैं कि यूपी में क्यों अवतार भड़ाना अहम हैं और जेवर से आरएलडी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है तो इसके पीछे क्या कारण हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पश्चिमी यूपी में गुर्जर समुदाय

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है, जो किसी भा दल का खेल बनाने और बिगाड़ सकती है. 2017 में बीजेपी के टिकट पर 5 गुर्जर विधायक जीते थे जो सभी पश्चिमी यूपी से थे. अब उनमें से एक अवतार भड़ाना एसपी-आरएलडी गठबंधन का हिस्सा हैं.

गुर्जर समुदाय गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, शामली, मेरठ, बागपत और सहारनपुर जिले की करीब दो दर्जन सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं, जहां 20 से 70 हजार के करीब इनका वोट है. गुर्जर ओबीसी में आते हैं. और आर्थिक और राजनीतिक तौर पर काफी मजबूत माने जाते हैं. इनको पिछले कुछ समय से यूपी में बीजेपी का परंपरागत वोट माना जाता रहा है. लेकिन इस बार समुदाय में कुछ नाराजगी है, उसी को भुनाने के लिए आरएलडी ने जेवर से अवतार भड़ाना को उतारा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूपी में बीजेपी से नाराज क्यों हुए गुर्जर?

दरअसल ये विवाद पिछले साल सितंबर से शुरू हुआ जब यूपी के दादरी में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति के अनावरण का वक्त आया. तो देखा कि किसी ने शिलापट्ट पर लिखे ‘गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज’ के गुर्जर शब्द पर कालिख पोत दी. यहीं से विवाद की शुरुआत हुई, इसके बाद राजपूतों और गुर्जरों के बीच तनाव बढ़ता गया. इस घटना के लिए गुर्जरों ने बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

सम्राट मिहिर भोज को लेकर राजपूतों और गुर्जरों की लड़ाई आसानी से समझने के लिए जान लीजिए कि दोनों ही उन्हें अपना राजा मानते हैं. और कई बार दोनों इस बात को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं.

गुर्जरों ने इस घटना के बाद एक बड़ा सम्मेलन किया, जिसमें बीजेपी विधायक के तौर पर अवतार भड़ाना ने शिरकत की.

गुर्जरों के बीच नाराजगी की एक और वजह किसान प्रदर्शन भी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों के साथ गुर्जर भी बड़े किसान हैं जो किसान आंदोलन का हिस्सा रहे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गुर्जरों को साधने की कोशिश में अखिलेश

पिछली बार बीजेपी की जीत में जाट, गुर्जर, त्यागी और राजपूत जैसी जातियों की अहम भूमिका रही थी. इस बार बीजेपी से जाट छिटकते नजर आ रहे हैं और गुर्जरों की नाराजगी को इस्तेमाल करने के लिए अखिलेश यादव ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है. उन्होंने सितंबर 2021 में मेरठ के मवाना कस्बे में क्रांतिकारी धनसिंह कोतवाल की मूर्ति का आनावरण किया था, जिनकी गुर्जरों के बीच बड़ी मान्यता है. इसके अलावा आरएलडी के टिकट पर अवतार भड़ाना को गठबंधन उम्मीदवार बनाना भी उसी रणनीति का हिस्सा है. जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जेवर सीट के जातीय समीकरण

नोएडा की जेवर विधानसभा सीट से अवतार भड़ाना ताल ठोक रहे हैं. ये वही जगह है जहां हाल ही में प्रधानमंत्री ने जेवर एयरपोर्ट का उद्घाटन बड़े धूमधाम से किया था.

जेवर विधानसभा के जातिगत आंकड़े

  • ठाकुर- करीब 70,000

  • गुर्जर- करीब 70,000

  • जाट- करीब 25,000

  • ब्राह्मण- करीब 25,000

  • एससी- करीब 80,000

  • मुस्लिम- करीब 30,000

सिर्फ इसी सीट पर नहीं गौतमबुद्धनगर की बाकी दो सीटों पर भी गुर्जरों की संख्या अच्छी खासी है. दादरी में तो करीब 2 लाख गुर्जर हैं. और नोएडा विधानसभा पर करीब 50 हजार की संख्या में गुर्जर समुदाय है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×