ADVERTISEMENTREMOVE AD

कन्नौज: कैसे बनता है इत्र, क्यों कम हुई इसकी 'खुशबू'?

उत्तर प्रदेश के कन्नौज को भारत की इत्र राजधानी कहा जाता है.

छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कन्नौज को भारत की इत्र राजधानी कहा जाता है. फूल की कली से इत्र बनने तक सारी प्रक्रियाएं कन्नौज में होती है. दिसंबर 2021 में आयकर विभाग ने कन्नौज के दो इत्र व्यापारियों के यहां छापेमारी की थी. 20 फरवरी को यहां मतदान होना है.

आइए समझते हैं कि इत्र के बनने की पूरी प्रक्रिया क्या है? यहां के कारोबार पर लॉकडाउन का क्या प्रभाव रहा था और साथ ही साथ यहां की राजनीति पर चर्चा भी करते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोहम्मद आलम तब छोटे बच्चे थे, जब उनके दादा-दादी ने पहली बार उन्हें मुगल रानी नूरजहां की कहानियां सुनाई थी. जिन्होंने अचानक ही स्नान के दौरान ‘रूह गुलाब इत्र’ ढूंढा था.

“मुझे बताया गया है कि मेरे पूर्वज 19वीं सदी के मध्य में कई शासकों और कुलीन वर्ग के लोगों को इत्र की सप्लाई करते थे. कम मात्रा में इत्र तैयार करने लिए रेगिस्तान, जंगलों और नदियों में महीनों यात्रा करनी पड़ती थी.”
मोहम्मद आलम, इत्र उत्पादक, कन्नौज

कन्नौज का इत्र ‘रूह गुलाब’

गुलाब की खेती करने वाले कालीचरण रोज़ सुबह 4:30 बजे अपने खेत में जाते हैं. वो गुलाब की लंबी झाड़ियों से गुजरते हुए खिल चुके फूलों को तोड़ते हैं और जो भी कली आगे तैयार होने वाली है उसका मुआयना करते हैं.

“कन्नौज में उगने वाले गुलाब की उम्र कम होती है. 24 घंटे में यह मुरझाने लगता है और फिर सुगंध भी कम होने लगती है. इत्र के व्यापर में टाइमिंग ही सब कुछ है”
कालीचरण, गुलाब किसान

यही कारण है कि कालीचरण और कन्नौज के अन्य सभी गुलाब किसान पूरा ध्यान रखते हैं कि टूटे हुए गुलाब हर दिन दोपहर तक प्लांट में पहुंच जाएं.

इत्र का कारखाना

मोहम्मद आलम का सबसे खास इत्र ‘शमामा’ है. जो देशभर से इकठ्ठा की गई कई बूटियों से बनता है. इन्हें ‘देग’ में डालकर उबाला जाता है, फिर जो गंध बनती है उसे ‘भपका’ (एक बर्तन) में ले जाया जाता है और संघनित किया जाता है.

"इत्र के व्यापर के लिए शांति जरूरी है"

कन्नौज का बड़ा बाजार इत्र के लिए मशहूर है. क्विंट ने यहां कुछ व्यापारियों से बात की और जाना लॉकडाउन का व्यापर पर कैसा प्रभाव पड़ा.

“जब आप अपने सारे काम और चिंताओं से मुक्त हो जाते हो, तभी इत्र खरीदने के लिए मेरी दुकान में आते हो. अगर आप निश्चिंत होते हैं, तभी आप इत्र के बारे में सोचते हैं. लेकिन महामारी और लॉकडाउन के चलते ऐसा नहीं हो पाया, ज़ाहिर है कोई खरीदार आता ही नहीं था.”
निषिश तिवारी, निदेशक, गौरी सुगंध (प्रा.) लिमिटेड कन्नौज

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×