प्रोड्यूसर: यज्ञा सचदेव, दिव्या तलवार
वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास
कैमरा: सुमित बडोला
20 साल पहले एक ऐतिहासिक फिल्म रिलीज हुई और उस फिल्म ने बच्चों के संस्कारी होने का एक अलग ही लेवल सेट किया. बच्चा कितना संस्कारी है, इसका पता लगाने के लिए मां-बाप 'मोहनीश बहल' के कैरेक्टर वाला पैमाना इस्तेमाल करते हैं.
किसी भी फिल्म का नाम इससे बेहतर नहीं हो सकता- 'हम साथ-साथ हैं’. इस मूवी में सभी लोग सच में साथ-साथ रहते हैं. पूरा परिवार हमेशा साथ रहने और प्यार बांटने की बातें करता है. हर चीज साथ-साथ ही करते हैं.
'हम साथ-साथ हैं' एक पूरा ब्रह्मांड है. उसमे मां-बाबूजी हैं, भैया-भाभी हैं, थोड़े मजाकिया देवर हैं, संस्कारों से भरपूर समधी जी और कुछ काका-काकी हैं, जो बाकी बची खाली जगह को भर देते हैं. और हां, परिवार में थोड़ी बहुत लड़ाई दिखाने के लिए बुरे दोस्त भी हैं. कोई इस परिवार को मल्टी-नेशनल कंपनी समझने की भूल भी कर सकता है.
'हम साथ-साथ हैं' में एक ऐसा परिवार है जो आज में जीता है. प्रेम और प्रीति अपना दसवां हनीमून मनाने हरिद्वार जाते हैं, जिसमें मां और बाबूजी को भी साथ ले जाना चाहते हैं. अब मां-बाबूजी जाएंगे तो काका-काकी, भैया-भाभी और बच्चे भी तो जाएंगे ही. आखिर 'वो साथ-साथ हैं'
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