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आधार नहीं तो शिक्षा नहीं? गरीब बच्चों का सहारा बना ये स्कूल

बेहतर जिंदगी जीने के लिए शिक्षा है जरूरी, लेकिन शिक्षा की इस राह में रोड़ा बना आधार कार्ड

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भारतीय संविधान के अनुसार, देश के हर एक बच्चे को पढ़ने का अधिकार है. लेकिन देश की राजधानी दिल्ली में प्रीति और पूजा नाम की दो बच्चियां आधार कार्ड न होने की वजह से सरकारी स्कूल में एडमिशन नहीं ले पा रही हैं. संविधान में शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद ये दोनों बच्चियां स्कूल में एडमिशन नहीं ले सकीं.

द क्विंट ने प्रीति और पूजा की झोपड़ी में जाकर उनकी इस समस्या को गंभीरता से समझा.

प्रीति और पूजा दिल्ली में यमुना मेट्रो स्टेशन के पास झुग्गी में रहती हैं. उनकी मां दूसरों के घर साफ-सफाई का काम करके अपना परिवार चलाती हैं.

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हम अपनी लड़की का स्कूल में एडमिशन कराना चाहते हैं, लेकिन स्कूल वाले आधार कार्ड मांग रहे हैं. हमारे पास न आधार कार्ड है और न ही कोई पहचान कार्ड. हमने बहुत बार एडमिशन कराने की कोशिश की.
प्रीति की मां

मेट्रो फ्लाई ओवर के नीचे बने स्कूल का सहारा

आधार कार्ड न होने की वजह से प्रीति और पूजा को सरकारी स्कूल में एडमिशन तो नहीं मिल पाया, लेकिन पास ही में यमुना मेट्रो फ्लाइओवर के नीचे बना एक फ्री स्कूल इन बच्चियों का सहारा बन गया.

दिल्ली के मयूर विहार इलाके में एक जनरल स्टोर चलाने वाले राजेश कुमार शर्मा, यमुना मेट्रो फ्लाई ओवर के नीचे करीब 250 गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं. वो इस काम को साल 2010 से लगातार कर रहे हैं.

यहां सुबह-शाम दो शिफ्टों में फ्री क्लास चलाई जाती हैं. 'फ्री स्कूल अंडर द ब्रिज' का उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षा देना है.

वीडियो एडिटर:

  • मोहम्मद इरशाद आलम
  • पुरनेंदु प्रीतम

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