मेक्सिको(Mexico) में 22 अगस्त को ऑनलाइन न्यूज प्रोग्राम चलाने वाले एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जब साल 2022 के लिए वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में इंडिया की रैंकिंग 180 देशों में गिरकर 150 पर आ गई हो, तब यह खबर आपको नॉर्मल लग सकती है. लेकिन चिंताजनक आंकड़ा यह है कि सिर्फ इसी साल, 2022 में मैक्सिको के अंदर अबतक 15 मीडिया वर्कर्स की हत्या हो चुकी है.
साउथ मेक्सिको के एक स्टेट ग्युरेरो की कैपिटल चिलपेंसिंगो में फ्रेडिड रोमन नाम के इस पत्रकार की गोली मारकर हत्या की गई है. रोमन “The Reality of Guerrero” नाम का न्यूज प्रोगाम चलाते थे, जिसमें मुख्यतः राज्य की राजनीति पर ही फोकस था.
इस वीडियो में हम आपको बताते हैं कि अपने ड्रग क्राइम और गैंग वॉर के कारण खबरों में रहने वाला मैक्सिको एक्टिव वॉर जोन के बाहर पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश क्यों बनता दिख रहा है?
दरअसल मेक्सिको में होने वाली पत्रकारों की हत्या की वजह वहां सरकार से लेकर सड़कों तक फैले क्राइम वर्ल्ड से जुड़ी है. फ्रेडिड रोमन की हत्या पर अधिकारियों ने कोई वजह नहीं बताई है लेकिन लोकल मीडिया में इसके तार फ्रेडिड रोमन के आखिरी पोस्ट से जोड़े जा रहे हैं. इस पोस्ट में 2014 में लापता हुए 43 छात्रों से जुड़े कुछ खुलासे किए गए थे.
रोमन की हत्या से एक हफ्ते पहले ही फ्रीलांस जर्नालिस्ट जुआन अर्जोन लोपेज की मैक्सिको के नॉर्थ बॉर्डर पर मौजूद स्टेट सोनोरा में गोली मारकर हत्या की गयी थी. जहां साल 2021 में मैक्सिको के अंदर 7 पत्रकारों की हत्या हुई थी, वहीं इस साल अगस्त बीता नहीं और 15 पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.
मेक्सिको में अक्सर पत्रकारों की हत्याओं में क्राइम सिंडिकेट का हाथ होता है, लेकिन कई बार छोटे शहर के अधिकारी या राजनीतिक या आपराधिक मंशा वाले राजनेता भी हत्याओं को अंजाम देते हैं. मैक्सिको में छोटे-छोटे न्यूज आउटलेट चलाने वाले जर्नालिस्टस को अक्सर निशाना बनाया जाता है.
मैक्सिको में 1980 के दशक से पहले पत्रकारों के खिलाफ हिंसा के इतिहास पर बहुत कम डेटा है. 2006 में जब मैक्सिकन सरकार ने क्रिमिनल गैंग्स के खिलाफ युद्ध की घोषणा की और सेना को तैनात किया, उसके बाद देश भर में हिंसा तेजी से बढ़ी. गैंग्स ने उन पत्रकारों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिन्होंने इस संघर्ष पर रिपोर्ट करने का साहस किया.
मेक्सिको में प्रेस फ्रीडम की तीन फ्रंट पर अपनी लड़ाई लड़ती दिख रही है- मीडिया कंपनियां अपने पत्रकारों से दासता की हद तक काम कराती हैं, राजनीतिक तबका उन्हें आलोचना न करने की धमकी देती है और क्राइम वर्ल्ड राजनीतिक सत्ता के साथ मिलकर पत्रकारों पर हमला करता है.
ह्यूमन राइट ओर्गनाइजेशन ‘आर्टिकल 19’ के आंकड़े के अनुसार साल 2000 से लेकर अबतक - मैक्सिको में 140 से अधिक पत्रकारों की हत्या हो चुकी है.
क्या आपको पता है मेक्सिकों में पत्रकारों के सामने मौजूद चुनौतियों में सबसे खतरनाक उनके काम करने की स्थिति है. ज्यादातर मामलों में उनकी इनकम इतनी कम होती है कि उन्हें नेताओं और यहां तक कि क्रिमिनल्स पर भी निर्भर होना पड़ता है.
ओपनडेमोक्रेसी की रिपोर्ट के अनुसार मेक्सिकों में फ्रीलांस जर्नलिस्ट्स को अक्सर एक स्टोरी के लिए 50 पेसो (लगभग $2.46) मिलते हैं, जबकि क्रिमिनल और नेताओ के हाथ बिकने वालों को हर महीने लगभग 5,000 पेसो ($245) मिलते हैं. इसका मतलब है कि सच्चाई से काम कर अपना घर चलाने के लिए, पत्रकारों को तीन या चार मीडिया आउटलेट्स में काम करना होता है.
यही कारण है कि पत्रकार राजनीतिक और क्रिमिनल्स पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं. दूसरी तरफ अपना काम करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है. इसके अलावा मौजूदा मैक्सिको की सरकार भी पत्रकारों के लिए सेफ एनवायरनमेंट नहीं बना सकी है. उलटे दिसंबर 2018 में प्रेसिडेंट एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर के पावर में आने के बाद से तीन वर्षों में प्रेस पर हमलों में 85% की वृद्धि हुई है.
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