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26/11: कसाब को फांसी दिलाने वाली लड़की, सरकार कब पूरे करेगी वादे 

कसाब के गुनाहों की चश्मदीद गवाह की कहानी.  

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कैमरा- संजॉय देब

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के आज 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं. आतंकी कसाब फांसी पर लटक चुका है, इन सबसे उबरकर देश की आर्थिक राजधानी फिर अपनी स्पीड से दौड़ती दिखती है. एक कोई और भी है जिसका 26 नवंबर के हमले से कनेक्शन भी है और जो अब भी इससे उबर नहीं सकी हैं. ये हैं हमले के वक्त की सबसे छोटी चश्मदीद देविका. उस वक्त देविका 10 साल की थी, उन्होंने आतंकी अजमल कसाब के गोलियां बरसाते हुई घटना का मंजर अपनी आंखों से देखा था, जिसकी गवाही देविका ने कोर्ट में दी थी.

कसाब के खिलाफ गवाही देने बैसाखियों के सहारे अपने पिता के साथ पहुंची देविका की भरभरकर तारीफ हुई थी, सरकार से लेकर मीडिया तक ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया. लेकिन देविका के दिल में एक कसक रह गई है, उस वादे की कसक जो उनसे किया गया था. मुंबई में घर देने का वादा. 12 साल बीत चुके हैं कोई घर की सुध लेने को तैयार नहीं है, पढ़ाई कर रही देविका को ये हक हासिल करने के लिए अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है.
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फिलहाल, देविका मुंबई के बांद्रा इलाके में अपने पिता, भाई के साथ एक कमरे से छोटे से मकान में रहती हैं. माता हैं नहीं, भाई-पिता की तबीयत खराब रहती है, इस वजह से घर चलाने में दिक्कतें आ रही हैं. रही सही कसर लॉकडाउन के पूरी कर दी है. इसलिए अब हालात ये हैं कि कमरे का खर्च देना भी देविका के लिए मुश्किल हो गया है.

फडणवीस सरकार ने दिए थे 10 लाख रुपए

देविका ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 10 लाख रुपये की मदद की थी लेकिन भाई की बीमारी के इलाज में वो पैसे भी खत्म हो गए. देविका का कहना है कि उनके साथ ये सही नहीं हो रहा है, जब उनसे वादा किया गया था तो अबतक घर क्यों नहीं मिला, कई बार वो अपनी बात सोशल मीडिया के जरिए भी उठा चुकी हैं लेकिन अबतक कोई जवाब नहीं आया है.

देविका का सपना IPS अफसर बनने का है. BA फ़र्स्ट ईयर में दाखिला लिया है. देविका को उमीद है कोर्ट से उन्हें जरूर न्याय मिलेगा.

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