वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद डिजिटल मीडिया में 26 फीसदी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) को मंजूरी देने की बात कही. हालांकि, इसके लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी. इस फैसले को मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी कैंपेन डिजिटल इंडिया को विस्तार देने के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन क्या वाकई ऐसा ही है? ये छूट है या कंट्रोल? सरकार के इस फैसले का डिजिटल मीडिया पर क्या असर होगा, ये जानने के लिए क्विंट ने केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (M&A/PE) विवेक गुप्ता से बात की.
एक डॉलर के लिए भी लेनी होगी मंजूरी
डिजिटल मीडिया में प्रिंट मीडिया की तर्ज पर ही 26 फीसदी FDI को मंजूरी दी गई है. फिलहाल, प्रिंट मीडिया में 26% तक के विदेशी निवेश की इजाजत है, जबकि टेलीविजन न्यूज में 49% विदेशी निवेश की इजाजत है.
बता दें, अब तक डिजिटल न्यूज वेबसाइट्स में FDI पर कोई स्पष्टता नहीं थी, जिसकी वजह से डिजिटल न्यूज वेबसाइट्स में 100 फीसदी तक विदेशी निवेश हो सकता था. लेकिन नए ऐलान से सीमा तय हो गई है, जो कि काफी कम है.
हर विदेशी निवेश की पूरी प्रक्रिया के लिए सरकारी मंजूरी की जरूरत होगी. डिजिटल मीडिया में अगर 1 डॉलर का भी विदेशी निवेश हुआ सरकार की मंजूरी चाहिए होगी.विवेक गुप्ता, केपीएमजी इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (M&A/PE)
टीवी चैनलों के डिजिटल विंग का क्या होगा?
अभी कई वेबसाइट ऐसी हैं, जिनकी पेरेंट कंपनी न्यूज चैनल चलाती हैं या उनकी पहचान मुख्य तौर पर ब्रॉडकास्ट मीडिया की है. अब डिजिटल मीडिया में 26% विदेशी निवेश की कैप के बाद क्या होगा? क्योंकि ब्रॉडकास्ट में तो 49% FDI की अनुमति है.
नए नियमों के लागू होने के बाद न्यूज चैनलों की वेबसाइट को अलग कंपनी के तौर पर गठित करना होगा और उनमें विदेशी निवेशकों का मालिकाना हक 26% तक सुनिश्चित करना होगा.विवेक गुप्ता, KPMG इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (M&A/PE)
मौजूदा वेबसाइटों का क्या होगा?
डिजिटल मीडिया के दायरे में कौन-कौन आएगा, फिलहाल इसकी पूरी तस्वीर भी सामने नहीं आई है. जिनका कंट्रोल विदेशी धरती से हो रहा है, उनका क्या होगा? क्योंकि अभी जो ऐलान हुआ है उसमें ये चीजें साफ नहीं है. ये चीजें फाइनल गाइडलाइन्स में ही साफ हो पाएंगी.
देश में कुछ प्लेयर्स हैं जहां उन पर पूरी तरह से विदेशी पैरेंट कंपनी का नियंत्रण होता है. अगर वो डिजिटल न्यूज मीडिया की परिभाषा में फिट होते हैं तो उन्हें शेयरहोल्डिंग को बदलना होगा. नया मॉडल बनाना होगा. जैसे कि भारतीय हाथों में ओनरशिप सौंपने का लाइसेंस मॉडल.विवेक गुप्ता, KPMG इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (M&A/PE)
न्यूज एग्रिगेटर्स पर क्या होगा असर?
देश में इस वक्त बहुत सारे न्यूज एग्रिगेटर्स भी चल रहे हैं. जैसे डेलीहंट, Google न्यूज, फेसबुक और YouTube. कुछ में चीनी कंपनियों का पैसा लगा है तो कुछ में अमेरिकी कंपनियों का. अब सवाल ये है कि क्या इन्हें भी 26% FDI के दायरे में रहना होगा? इसके अलावा InShorts जैसी सर्विस का क्या होगा जो समाचारों को संक्षेप में पेश करती है?
फाइनल गाइडलाइन में अगर न्यूज एग्रीगेटर भी शामिल हो जाएं तो इसका असर कुछ लोगों पर पड़ सकता है, साथ ही प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल में जिन लोगों ने निवेश किया है उनपर भी असर पड़ सकता है.विवेक गुप्ता, KPMG इंडिया के पार्टनर और नेशनल हेड (M&A/PE)
सवाल और भी हैं?
क्या 26% FDI की लिमिट सिर्फ वीडियो स्ट्रीमिंग बिजनेस पर लागू होगी या उन लोगों पर भी लागू होगी जो YouTube पर वीडियो अपलोड करते हैं? IVM पॉडकास्ट जैसी पॉडकास्टिंग सर्विस पर इसका क्या असर पड़ेगा जो लेटेस्ट न्यूज और करेंट अफेयर्स पर ऑडियो कंटेंट प्रसारित करते हैं? वीडियो और ऑडियो की तरह ही टेक्स्ट कंटेट भी अपलोड किया जाता है, फिर चाहे वह प्रोफेशनल ऑर्गेनाइजेशन करें या फिर खुद यूजर. लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि टेक्स्ट वेबसाइटें इन प्रतिबंधों के दायरे से बाहर होंगी या नहीं.
इन सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं, लेकिन इतना तो तय है कि डिजिटल मीडिया में 26% FDI को छूट नहीं अंकुश ज्यादा कहना चाहिए.
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