वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास
कैमरा: शिव कुमार मौर्य & अभिषेक रंजन
एक्टर: जिजा शेरवानी & सुमित बडोला
1999 से 2018 तक देश में एसिड अटैक के 3404 मामले सामने आए. महिलाओं को एसिड ने जलाया, उसके बाद सिस्टम ने सताया. 1984 में प्रेमलता पर एसिड अटैक हुआ था. प्रेमलता सिर्फ 15 साल की थीं. जब एसिड अटैक की वजह से उन्होंने अपनी दायीं आंख खो दीं. प्रेमलता ने 25 साल बाद सरकार से मुआवजे के लिए केस फाइल किया.
FIR के बाद प्रेमलता के पति को 10 साल की जेल हुई. अब प्रेमलता 2 कमरे की झुग्गी में रहती हैं. उनकी महीने की कमाई 6000 रुपये है. जिसमें से 3000 दिव्यांग पेंशन से आती है और 3000 बतौर मेड वो कमाती हैं.
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एसिड अटैक सर्वाइवर्स को मुआवजे के लिए गाइडलाइन जारी की थी. अक्टूबर 2019 में मुआवजे के लिए प्रेमलता की अर्जी को दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (DSLSA) ने खारिज कर दिया.
प्रेमलता के वकीलों ने फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
लक्ष्मी Vs यूनियन ऑफ इंडिया 2013 केस में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एसिड अटैक सर्वाइवर्स को 3 लाख रुपये का मुआवजा देने के निर्देश दिए थे.
इसके बाद निपुण सक्सेना Vs भारत सरकार 2018 केस में सुप्रीम कोर्ट ने चेहरा बिगड़ने और 50% से ज्यादा शरीर जलने के केस में मुआवजे की रकम बढ़ा कर 8 लाख कर दी. लेकिन सवाल ये है कि 2013 से पहले हुए मामलों का क्या? मुआवजे की योजना 2013 से पहले हुए एसिड अटैक सर्वाइवर्स पर भी लागू होती है. लेकिन वो सुनवाई के लिए संघर्ष करते रह जाते हैं.
अपने पति से अलग होने के बाद प्रेमलता ने एक नई जिंदगी शुरू करने का फैसला किया.
फरवरी 2019:सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मुद्दों पर एक PIL स्वीकार की, जिसमें
- मुआवजे के कानून का पालन करने
- सर्वाइवर्स का पुनर्वास
- सर्वाइवर्स को ऑर्गन (आंख,आर्टिफिशियल स्किन ग्राफ्ट) दिए जाने पर गाइडलाइन की जरूरत बताई थी
इन एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए इंसाफ की लड़ाई कभी न खत्म होने वाला संघर्ष है.
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