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आर्थिक तंगी, स्कॉलरशिप नहीं, नौकरी नहीं, कैसे पढ़ेंगे छात्र?

पैसे की तंगी से निराश LSR की छात्र ऐश्वर्या रेड्डी ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

“जो लेडी श्रीराम कॉलेज की ऐश्वर्या रेड्डी ने किया, मैं उसे महसूस कर सकता हूं. क्योंकि मैं भी उसी स्थिति से रोज गुजरता हूं. आपके पास पैसे नहीं हैं. आप रोज सोच रहे हैं कि क्या करना है ? कैसे किराया देंगे ? कैसे खाना खाना है ? कहां सस्ते में खाना मिलेगा?”

ये कहना है जामिया मिल्लिया में PhD स्कॉलर फैसल का. उन्हें 5 महीने से SRF नहीं मिली है. उनके पिता एक दर्जी का काम करते हैं. घर से पढ़ाई के पैसे का इंतेजाम आसानी से नहीं हो पाता है.

पैसे की तंगी से निराश LSR की छात्र ऐश्वर्या रेड्डी ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली लेकिन सेंट्रल स्कॉलरशिप में देरी का सामना करने वाली वो इकलौती नहीं हैं. उनके जैसे कई छात्र इस समस्याओं से जूझ रहे हैं,

JNU में भी, स्कॉलरशिप मिलने में देरी हो रही है.छात्र पढ़ाई छोड़ काम करने को मजबूर हैं. JNU में MA के छात्र विवेक को जनवरी 2020 से MCM स्कॉलरशिप नहीं मिला. MPhil स्कॉलर इंदु कुमारी को भी जनवरी 2020 से नॉन NET UGC स्कॉलरशिप नहीं मिली.

अगर मुझे समय पर स्कॉलरशिप नहीं मिलती है तो मुझे बहुत परेशानी होती है. मुझे इंटरनेट रिचार्ज कराने की जरूरत है ताकि मैं लाइब्रेरी एक्सेस कर सकूं. कभी-कभी रिमोट एक्सेस काम नहीं करता है और उपलब्ध किताबों को डाउनलोड करने के लिए मुझे कैफे में जाना पड़ता है क्योंकि घर पर इंटरनेट सही से काम नहीं करता है. चीजों को डाउनलोड करने में बहुत समय लगता है और तब जाकर शोध प्रबंध पर काम होता है.
इंदु कुमारी, JNU में MPhil स्कॉलर

दिल्ली सरकार के अंबेडकर यूनिवर्सिटी में Ph.D छात्रों के भी यही हाल हैं. अंबेडकर यूनिवर्सिटी में P.hD स्कॉलर श्रुति कहती हैं कि मैं पूरी तरह से यूनिवर्सिटी के दिए गए 8,000 रुपये पर निर्भर हूं. इसलिए मुझे तुरंत हॉस्टल खाली करना पड़ा और घर वापस आना पड़ा. मैं अपने कमरे के किराए का 3,000 रुपये और 3000 रुपये मेस बिल देती थी और बाकी 2000 रुपये मैं दूसरी चीजों पर खर्च करती थी. जैसे- ट्रेवल, ज्यादातर यूनिवर्सिटी तक और फिर वापस आना. अब, महामारी के बीच मैं एक नौकरी देख रही हूं. जब जिन लोगों के पास पहले से ही नौकरियां हैं, वे खुद बाहर निकाले जा रहे हैं तो कैसे मैं आसानी से एक नौकरी खोज लूं? मैं अप्लाई कर रही हूं और नहीं हो पा रहा है

(न तो यूजीसी और न ही अंबेडकर यूनिवर्सिटी ने लेखक के भेजे गए ईमेल का जवाब दिया है. जैसे ही प्रतिक्रिया मिलेगी इस खबर को अपडेट किया जाएगा.)

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