फिल्म की कहानी एक 14 साल की लड़की और उसके टीचर के इर्द-गिर्द घूमती है. सेंसर बोर्ड के महान लोगों ने इस थीम को ही नकार दिया था लेकिन हकीकत ये है कि इसी स्टोरी लाइन की वजह से हरामखोर में जान आती है.
फिल्म में जो लव ट्राएंगल है वो हरामखोर के टाइटल के साथ पूरा न्याय करता है. डायरेक्टर श्लोक शर्मा को मैं पूरे प्वाइंट्स देती हूं जिन्होंने बेहद खूबसूरती से दर्शकों को आश्चर्यचकित किया है. वो इस फिल्म के राइटर भी है.
श्वेता त्रिपाठी ने हमारा दिल मसान में अपनी सिंपल एक्टिंग से जीता और अब 14 साल की बच्ची बन वो कमाल कर रही हैं. नवाजुद्दीन की एक्टिंग के क्या कहने. यंग लड़के मोहम्मद समद और इरफान खान का अभिनय भी दमदार है.
फिल्म की कास्ट ही फिल्म की जान है.
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