जबसे मुलायम की बहू अपर्णा यादव बीजेपी में गई हैं, लखनऊ में एक चकल्लस ये है कि अब लखनऊ कैंट की सीट से बीजेपी को सिर्फ शख्स हरा सकता है और वो हैं खुद अपर्णा यादव.
वैसे चकल्लस अपनी जगह है, दरअसल ये हंसी मजाक उस सीट के समीकरण के बारे में कुछ गंभीर बातें बताता है. साथ ही ये भी बताया है कि एसपी से बीजेपी में जो ये इंपोर्ट हुआ है, ये कितना सियासी तौर पर फायदेमंद है और कितनी झांकी.
जरा बैकड्रॉप समझिए. स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी छोड़ एसपी में गए. दो मंत्री और ट्रांसपोर्ट हुए. कुछ विधायक भी संग हो लिए. एसपी के पक्ष में माहौल बना. एक तो संदेश गया कि चुनाव में बीजेपी की हालत खराब है, क्योंकि स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं के लिए कहा जाता है वे पहले ही भांप लेते हैं कि जीत किस पार्टी की हो सकती है. साल 2017 में भी ऐसा ही हुआ था. दूसरा मौर्य एसपी में गए यानी एसपी मजबूत हो रही है.
दरअसल बीजेपी ने इसी का जवाब दिया है. अपर्णा यादव के आने से वो अपने साथ कोई जनाधार लाएंगी, ऐसा नहीं लगता है लेकिन पॉलिटिक्स में परसेप्शन का अपना महत्व है. जरा देखिए हेडलाइन क्या बनी है. मुलायम की बहू बीजेपी में. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की तो यही कहा कि मुलायम की बहू का स्वागत है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी यही कहा-मुलायम की बहू. मतलब इन्होंने इतना ऑवियस कर दिया कि हम इन्हें इसिलए ला रहे हैं क्योंकि ये मुलायम की बहू हैं.
अब आते हैं उस बात पर कि क्यों कहा जा रहा है कि बीजेपी लखनऊ कैंट सीट पर कमजोर हो गई है. दरअसल अपर्णा यहां से लड़ती हैं. अगर बीजेपी में आई हैं तो टिकट भी चाहेंगी. अगर बीजेपी ने उन्हें यहां से टिकट दिया तो पार्टी को दिक्कत हो सकती है क्योंकि ये सीट ब्राह्मणों के दबदबे वाला है. ऐसे में यहां यादव कैंडिडेट का क्या काम?
एक बात और ये है कि बीजेपी की रीता बहुगुणा अपने बेटे को यहां से टिकट दिलाने के लिए ताल ठोंक रही हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि अगर बेटे तो टिकट दे दो तो इस्तीफा देने को तैयार हूं. एक मसला ये है कि ब्राह्मण पहले से बीजेपी से खफा हैं. इस सीट पर गैर ब्राह्मण को टिकट दिया तो एक अध्याय और जुड़ जाएगा. कहीं ऐसा न हो कि एक अपर्णा के आने से बीजेपी को एक सीट का घाटा ही हो जाए
ये जानना और रोचक होगा कि वैसे तो अपर्णा यादव परिवार की बहू हैं लेकिन हैं पहाड़ की ठाकुर. वही ठाकुर जो सीएम योगी हैं.
अब जरा एसपी को देखिए. एसपी को बहुत ज्यादा घाटा नहीं है. एसपी के टिकट पर अपर्णा लखनऊ कैंट से हारी ही थीं. 2017 में अखिलेश और शिवपाल में झगड़े की एक वजह अपर्णा भी थीं. शिवपाल अपर्णा का पक्ष लेते रहे हैं. अब अपर्णा ने खुद रास्ता बदल लिया है
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