वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा/पूर्णेंदु प्रीतम
“हम अगले साल राम नवमी तक मंदिर निर्माण का काम शुरू कर देंगे. सरकार पहले एक कमिटी बनाएगी जिसमें थोड़ा समय लगेगा और जब कोर्ट की सारी रिक्वायरमेंट पूरी हो जाएगी तब हम निर्माण का काम शुरू कर सकते हैं, शायद ये 2020 अप्रैल तक शुरू हो पाएगा." ये कहना है चंद्रकांत सोमपुरा का जो राम मंदिर के मुख्य-आर्किटेक्ट हैं. सोमपुरा को ये काम 30 साल पहले विश्व हिन्दू परिषद ने दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ की जमीन हिंदू पक्षकारों के हवाले करते हुए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, जो मंदिर निर्माण और उसकी पूरा हक रखेगा.
अगर सोमपुरा को ट्रस्ट मुख्य-आर्किटेक्ट नियुक्त करता है तो सोमपुरा का काम चंद महीनों में पूरा हो सकता है. 76 साल के सोमपुरा इस प्रोजेक्ट को पूरा करने को लेकर काफी उत्साहित हैं.
30 साल से इसके लिए मेहनत कर रहे हैं, अब मंदिर बनेगा या नहीं बनेगा ये अब मालूम पड़ गया है, निर्णय इतना अच्छा आया कि दोनों पक्ष मान गए. मंदिर भी बनेगा, मस्जिद भी बनेगी. सब शांति से हो जाएगा, बहुत अच्छा लगा.चंद्रकांत सोमपुरा, मुख्य-आर्किटेक्ट, राम मंदिर
बता दें की सोमपुरा को अभी औपचारिक तौर पर नहीं चुना गया है. उनके मंदिर के डिजाइन पर अब भी काम चल रहा है.
सोमपुरा की विरासत
सोमपुरा परिवार करीब 6 दशकों से मंदिर के डिजाइन बनाने का काम कर रहा है और कई मंदिरों का डिजाइन बनाया है (ये डिजाइन उत्तर, पश्चिम और मध्य भारत में देखे जा सकते हैं) जो लगभग सोमपुरा परिवार ने ही बनाए हैं. स्वर्गीय प्रभाशंकर भाई ओघड़ भाई सोमपुरा ने आजादी के बाद मशहूर सोमनाथ मंदिर को डिजाइन किया था.
उन्होंने करीब 12 किताबें मंदिर निर्माण के डिजाइन पर लिखी हैं. उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया जा चुका है. इतनी भारी विरासत से परिवार का काम और बढ़ गया. उन्होंने बिड़ला मंदिरों का काम भी किया है. गांधीनगर के अक्षरधाम से लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ने वाले लंदन के स्वामी नारायण मंदिर का डिजाइन भी सोमपुरा परिवार ने ही बनाया है.
जब चंद्रकांत सोमपुरा 80 से 90 के दशक में बिड़ला मंदिर का काम कर रहे थे तब VHP के अशोक सिंघल उनसे मिलने आए.
बिड़ला भाइयों के साथ हमारा संबंध था. उस समय हम बिड़ला मंदिर का निर्माण कर रहे थे. तो उन्होंने (सिंघल) आग्रह किया कि किसी को भेजें, जो बिड़ला मंदिर बना रहे हैं और हमारा भी काम कर पाए. तो उन्होंने (बिड़ला) मेरा एड्रेस दिया. फिर उन्होंने मुझे कॉन्टेक्ट किया.चंद्रकांत सोमपुरा, मुख्य-आर्किटेक्ट, राम मंदिर
1990 में बाबरी विध्वंस से पहले अशोक सिंघल चंद्रकांत सोमपुरा को विवादित जमीन के माप के लिए ले गए.
वहां सरकार का कड़ा पहरा भी था. मतलब कि वहां लोग थे, कह रहे थे कि आपको माप नहीं लेने देंगे फोटो नहीं लेने देंगे, आज भी फोटो लेना मना है. हम लोग सीखते थे कि चल कर एक ‘फीट’ का माप ले सकें तो हमने चल-चल कर माप लिया. 100 कदम चले तो एक कदम में 1.5 फीट आता है तो ऐसे 150 फीट माप लिया.चंद्रकांत सोमपुरा, मुख्य-आर्किटेक्ट, राम मंदिर
'मंदिर बनाने का कम तेज हो जाएगा'
सोमपुरा के मुताबिक VHP ने उन्हें मंदिर के डिजाइन को लेकर पूरी आजादी दी थी.
अशोक सिंघल ने मंदिर निर्माण के लिए मुझे पूरी आजादी दी थी. वास्तु शास्त्र के हिसाब से और जगह देखकर आपको देखकर जैसा लगता है बनाइए, इसमें हमें कुछ लगेगा तो आपको कहेंगे. मैंने बनाया तो उन्होंने कोई खास सजेशन नहीं दिया था. फिर उन्होंने कहा कि इसमें अब आगे बढ़ते हैं और उन्होंने कहा कि आप मॉडल बनवाइए तो मैंने लकड़ी का मॉडल बनाया. वो मॉडल संत समाज में लगाए कुंभ मेले में जो 12 साल में एक बार होता है. उन्होंने संतों को दिखाया, जिन्होंने उस मॉडल को अनुमति दे दी.चंद्रकांत सोमपुरा, मुख्य-आर्किटेक्ट, राम मंदिर
चंद्रकांत के बेटे आशीष सोमपुरा के मुताबिक मंदिर निर्माण का काम बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद 2 सालों तक तेजी से चला.
1992 में जब बाबरी विध्वंस हुआ था, तो उस वक्त काम तेज हुआ था. 1992 से 1994 तक काम बहुत तेजी से चला क्योंकि उस वक्त 4 वर्कशॉप चल रहे थे, 3 राजस्थान में और एक अयोध्या में कार्यशाला पर तो उस वक्त काफी काम चल रहा था और जैसे बाकी जगह काम होता है. नीचे से लेकर ऊपर तक अभी ग्राउंड फ्लोर पूरा तैयार है. वो आगे कहते हैं कि
पहला फ्लोर भी लगभग हो ही गया है. सिर्फ पहले फ्लोर के ऊपर का काम है. जैसे शिखर और गुंबद वो सब अभी बाकी है, नीचे का लगभग सब काम हो चुका है. नीचे की प्लिंथ का काम बाकी है. क्योंकि वो हम बाद में सोचेंगे कि कितना रखना है क्योंकि नीचे के लिए हमारे पास कुछ नहीं था न तो जमीन न ही डेटा तो हम उसमें कुछ कर नहीं सकते थे.आशीष सोमपुरा, आर्किटेक्ट, चंद्रकांत सोमपुरा के बेटे’
बता दें, राम मंदिर के पूरे निर्माण का खर्च सोमपुरा की वेबसाइट पर 535 करोड़ रुपये बताया गया है. आशीष का मानना है कि ये आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है और ये नई कमिटी के बनने पर निर्भर करता है. अकेले मंदिर के निर्माण के लिए लगने वाला खर्च लगभग 80-90 करोड़ है.
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