अक्सर खुफिया एजेंसी के प्रमुख अपनी आत्मकथा लिखने से कतराते हैं और अगर लिखते भी हैं तो अपने साथियों का खुलेआम जिक्र नहीं करते. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख रहे अमरजीत सिंह दुलत (Former R&AW Chief AS Dulat Interview) की हाल में प्रकाशित आत्मकथा 'अ लाइफ इन द शैडोज अ मेमॉएर' (A Life in the Shadows : A Memoir) में दुलत काफी खुलकर सभी मुद्दों पर बात कर रहे हैं.
रॉ के पूर्व प्रमुख एएस दुलत से जब पूछा गया कि, एक जासूस एजेंसी से संबंध रखने वाला शख्स किताब लिखकर कई राज खोल दे तो क्या उनके साथ कोई समस्या नहीं खड़ी हो जाएगी? उनसे ये भी पूछा गया कि इस किताब को लिखने से पहले क्या उन्होंने कोई आधिकारिक इजाजत ली है?
अपने जवाब में एएस दुलत ने कहा कि, भारत में कोई भी किताब लिख सकता है, किताब लिखने से पहले किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है. मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा है, जिससे की कोई समस्या खड़ी हो जाए.
उन्होंने कहा कि, अगर कश्मीर कोई ये कह दे कि मेरे किताब लिखने से कोई नुकसान हुआ है तो मैं जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं, यहां तक की अगर भारत सरकार को कोई समस्या लग रही है तो वो मुझसे आकर कहे, मुझसे तो कोई शिकायत नहीं कर रहा.
जब उनसे मजाकिया अंदाज में पूछा गया कि, क्या रॉ जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल निजी जीवन में किया जा सकता है? तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि, "हां बिल्कुल किया जा सकता है, मैंने भी किया है, अब मैं इस सवाल का कैसे जवाब दूं."
भारत के पाकिस्तान से रिश्ते और वहां की फौज के साथ रिश्ते को लेकर भी एएस दुलत ने बात की और कहा कि, "भारत का बेहतर रिश्ता तो पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के साथ रहा है. इमरान खान के साथ उतना अच्छा रिश्ता नहीं. जहां तक फौज की बात है तो हां, रिश्ता तो बन ही सकता है, लेकिन अभी क्या चल रहा है ये मैं नहीं जानता."
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