कैमरा: त्रिदीप के मंडल
वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) की फाइनल लिस्ट में 19,06,657 लोग बाहर हैं. आम धारणा ये है कि जिन लोगों को बाहर रखा गया है उनमें ज्यादातर बंगाली भाषी लोग हैं.
अब उन्हें साबित करना है कि वो अवैध विदेशी नहीं भारतीय हैं. लेकिन सवाल ये है कि NRC लिस्ट से असम के मूल निवासियों को तो बाहर नहीं कर दिया गया है? क्विंट ने होजाई जिले में NRC लिस्ट से बाहर हुए असम के लोगों से मुलाकात की. उनकी शिकायत है कि अगर वो NRC लिस्ट में नहीं शामिल किए जाएंगे तो फिर किसे मौका मिलगा.
हम ‘खिलोनजिया’ हैं. असम के मूल निवासी. अगर हमें NRC में शामिल नहीं किया जाएगा तो फिर किसे?मुलानी बोरदोलोई, निवासी, होजाई
प्रदीप बोरा एक किसान हैं. होजाई के तोपोजोरी गांव में रहते हैं वो, उनकी पत्नी और उनके चार बच्चों का नाम फाइनल NRC लिस्ट में नहीं है.
जब हमारा नाम पहले ड्राफ्ट में नहीं आया तो हम बहुत परेशान थे. जब मैंने NRC अधिकारियों से पता किया तो उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि चिंता करने की जरूरत नहीं है. हमारा नाम फाइनल ड्राफ्ट में आएगा.प्रदीप बोरा, निवासी, तोपोजोरी
प्रदीप की पत्नी अल्पना बोरा का कहना है कि हमें उम्मीद थी कि हमारा नाम NRC में आएगा लेकिन जब ये आया तो हमारा नाम नहीं था.
आकाशिगंगा की रहने वाली मुलानी बोरदोलोई की भी यही कहानी है. वो, उनके पति और उनके बेटे फाइनल NRC लिस्ट में शामिल नहीं हैं.
मैंने NRC के लिए दो बार कागजात जमा किए, फिर भी हमारा नाम नहीं आया. मेरे पति तीन भाई हैं, उनका नाम NRC में आया है लेकिन उनका (पति) नहीं. मेरे सात भाई-बहन भी NRC में हैं लेकिन मेरा नाम नहीं है.मुलानी बोरदोलोई, निवासी, आकाशिगंगा
असम के लोग भी अब NRC प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे हैं. मुलानी बोरदोलोई कहती हैं कि “इतना पैसा खर्च करने के बाद अधिकारी एक सही NRC नहीं ला पाए. यदि असम के लोगों को बांग्लादेशी और बांग्लादेशियों को असम के नागरिक के रूप में बताया जाता है तो असम में इतने सालों तक रहने का क्या फायदा? असम के मूल निवासी होने का कोई मतलब नहीं है.”
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