सीबीआई में चल रही उठापटक और एजेंसी के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ट्रांसफर के बाद एजेंसी की खूब किरकिरी हुई है. अस्थाना गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं.
राकेश अस्थाना ने गुजरात में अपना करियर आरबी श्रीकुमार के सहयोगी के तौर पर शुरू किया था. श्रीकुमार उनके बॉस थे. गुजरात के डीजीपी रहे और एक दौर में अस्थाना के बाॅस रह चुके पूर्व आईपीएस आर बी श्रीकुमार ने क्विंट से बातचीत की. सीधी, सटीक बात करने वाले श्रीकुमार ने क्विंट से इस बारे में खुलकर चर्चा की कि कैसे अस्थाना इतनी तेजी से गुजरात में पावर हासिल करते गए.
बकौल आरबी श्रीकुमार, सीबीआई में पद मिलने से पहले गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर राकेश अस्थाना ने गोधरा ट्रेन कांड की जांच की थी. उसके बाद से ही वो मौजूदा पीएम मोदी के करीबी हो गए थे. गोधरा जांच के बाद वो प्रमोशन की सीढ़ियां चढ़ते गए.
अस्थाना को गोधरा ट्रेन केस की जांच सौंपी गई तब IPS अमले में ये चर्चा होने लगी कि वो सरकार के साथ काफी करीबी हैं. सरकार उस समय गोधरा केस को अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहती थी. अस्थाना के आने के बाद षड्यंत्र की थ्योरी सामने आई जिसकी वजह से उन्हें सरकार का भी साथ मिला. इस तरह की अफवाहें थीं, मैं ये नहीं कह सकता कि मैंने ये सब खुद देखा है. उसके बाद उन्हें अच्छी पोस्टिंग मिलने लगीं. पहले प्रमोशन पर उन्हें वडोदरा का रेंज आईजी बनाया गया. गोधरा, वडोदरा रेंज आईजी के न्यायिक क्षेत्र में आता है. आम तौर पर ऐसा अधिकारी जो प्रमोट हुआ हो और किसी और पद पर रह चुका है, उसे ही रेंज आईजी बनाया जाता है. रेंज आईजी ही सीधे तौर पर SP स्तर के अधिकारियों के काम की निगरानी करता है.आरबी श्रीकुमार,
भर्ती के वक्त अस्थाना में दिखीं संभावनाएं
1985-86 में अस्थाना मेरे ‘सुपरन्यूमरेरी ASP’ थे यानी अंडर ट्रेनिंग ASP जो तमाम पदों और प्रोजेक्ट पर रहते हुए काम सीखता है. उस वक्त वो मुझे काफी ईमानदार, प्रतिबद्ध और कर्मठ नजर आए. कभी-कभी जब मेरे PA को नोट्स लेने में मुश्किल आती तो वो रिपोर्ट लिखने में मेरी मदद करते. उनकी हैंडराइटिंग काफी अच्छी थी. मुझे बहुत अच्छी तरह से याद है, मैंने उन्हें उस साल के एसेसमेंट में ‘आउटस्टैंडिंग’ दिया था.आरबी श्रीकुमार,IPS (retd) गुजरात कैडर
आरबी श्रीकुमार ने ताजा सीबीआई विवाद पर बातचीत करते हुए कहा- “मुझे लगता है डायरेक्टर (आलोक वर्मा) सही हैं. राकेश अस्थाना के रिकॉर्ड को देखकर नहीं लगता कि वो सही रास्ते पर हैं.’’
'अस्थाना की बेटी की शादी की जांच होनी चाहिए थी'
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अस्थाना की बेटी की शादी के लिए वेन्यू अस्थाना परिवार ने काॅम्प्लिमेंट्री के तौर पर हासिल किया था.
सतर्कता विभाग को खुद ही इस मामले को देखना चाहिए. न तो सतर्कता विभाग ने और न ही मीडिया ने इस मामले को उठाया. आप 2000 से ज्यादा का तोहफा नहीं ले सकते. अगर उससे ज्यादा मिलता है तो आप कह सकते हैं ‘मेरी इस व्यक्ति से कोई डील नहीं है, बस दोस्त होने के नाते मैंने ये तोहफा स्वीकार किया है’ लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. प्रक्रिया को माने तो सिर्फ इसी मुद्दे पर अस्थाना पर विभागीय चार्जशीट दायर की जा सकती है. इस बात की भी जांच हो कि उन्हें इतनी सारी सुविधाएं अलग से क्यों मिलीं. लेकिन जब आप सत्ता के इतने करीब होते हैं तो जैसे मोदी साहब के, तो बाकी लोग उंगली उठाने की हिम्मत नहीं कर पाते. वो उन अफसरों में से एक हैं जो पेशेवर रूप से काफी समर्थ हैं लेकिन देशभर में ऐसे समर्थ लोगों को ट्रेंड है, जो सत्ता के करीबी होने का फायदा उठाकर अपने हर तरह के छल से अपने करियर को आगे बढ़ाने का काम करते हैं. यही भारत की त्रासदी है.आरबी श्रीकुमार, IPS (retd) गुजरात कैडर
अस्थाना के ‘उदय’ की भविष्यवाणी
अपनी किताब, Gujarat:Behind the Curtain में अस्थाना के ‘उदय’ की भविष्यवाणी कर दी थी.
राकेश अस्थाना को वडोदरा पुलिस कमिश्नर का जूनियर होने के बावजूद वडोदरा का CP बनाया गया, जिसके बाद उन्हें सूरत का भी कमिश्नर बनाया गया. 2013-14 में ये अफवाह उड़ने लगी कि अगर मोदी साहब PM बनते हैं तो उन्हें CBI का एडिशनल या स्पेशल डायरेक्टर बनाया जाएगा. ये मैंने किताब में भी लिखा है जो 2016 में छपी.
इन जानकारियों के अलावा और भी कई अनसुनी बातें आरबी श्रीकुमार ने क्विंट के साथ साझा की. वीडियो में देखें पूरी बातचीत.
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