वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
कैमरापर्सन: उमेश कुमार राय
बिहार के वैशाली जिले के 17 साल के निवासी पंकज कुमार ने 20 जनवरी को लंबी बीमारी से जूझने के बाद दम तोड़ दिया. सरकार की आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना(PMJAY) में नाम दर्ज कराने के बावजूद एक साल से उनका बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया था.
परिवार को भरोसा था कि योजना में नाम होने की वजह से उन्हें मदद मिलेगी लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्हें वो मदद मुहैया नहीं कराई गई.
पंकज राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) योजना के तहत भी इलाज की सुविधा पाने योग्य थे. इसके तहत न सिर्फ उनकी बीमारी- अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज होता बल्कि 12 लाख रुपये कवर की सुविधा भी मिलती. RAN गरीबी रेखा से नीचे के रोगियों को 15 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता मुहैया कराता है.
लेकिन चूंकि पंकज का नाम आयुष्मान भारत योजना में दर्ज था इसलिए उन्हें राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत सुविधाएं नहीं मिल सकीं.
पंकज के पिता ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए उन्हें अपनी जमीन बेचनी पड़ी. लेकिन वो बेटे को नहीं बचा सके. उनका कहना है कि उनके पास अब कुछ नहीं बचा और वो कर्ज में डूब गए हैं.
उनका मानना है कि अगर आयुष्मान भारत योजना के तहत उनके बेटे का नाम दर्ज नहीं होता तो वो अपने बेटे का इलाज राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) योजना के तहत कराकर शायद उसकी जान बचा सकते थे.
दिल्ली में इलाज के दौरान पंकज के परिवार को पैसे के अभाव में सड़क पर भी रात गुजारनी पड़ी. पंकज के माता-पिता मजदूर हैं और दिल्ली के आजदपुर मंडी इलाके में दिहाड़ी कर 100-500 रुपये कमाते हैं.
द क्विंट ने नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के अधिकारियों से इस बारे में बात की जो एबी-पीएमजेएवाई(AB-PMJAY) योजना को लागू करती है.
उन्होंने जवाब दिया है कि, “इस तरह के केस के ट्रांसफर नहीं होने का मुद्दा अब सुलझ गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मरीज जल्द ही आयुष्मान भारत योजना से राष्ट्रीय आरोग्य निधि में के तहत इलाज कराने के लिए पात्र होंगे.”
लेकिन पंकज का परिवार अपना सबकुछ खो चुका है. परिवार गरीबी में जीने को मजबूर है और सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है.
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