चीन ने बीबीसी वर्ल्ड के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है, चीन ने इस प्रतिबंध के पीछे अनुचित पत्रकारिता का हवाला दिया है. चीन का कहना है कि बीबीसी वर्ल्ड सही और निष्पक्ष पत्रकारिता का उल्लंघन करता है. इसने चीन के दिशानिर्देशों यानी गाइडलाइन का पालन नहीं किया इसके साथ ही बीबीसी की रिपोर्टिंग चीन के राष्ट्रीय हितों और एकजुटता को प्रभावित करती है. इसके साथ ही चीन ने बीबीसी पर झूठी और अफवाह फैलाने वाली रिपोर्टिंग का इलजाम लगाया है.
हमने इस मुद्दे को लेकर बात की है मशहूर पत्रकार और बीबीसी हिंदी के पूर्व रेडियो एडिटर राजेश जोशी से.
चीन में बीबीसी वर्ल्ड सर्विसेज पर रोक के क्या मायने हैं?
इस घोषणा के मायने ये है कि मेनलैंड चीन में बीबीसी वर्ल्ड सर्विसेज टेलीविजन का प्रसारण नहीं हो पाएगा. ये प्रसारण अंग्रेजी में होता था. वैसे भी चीन के ज्यादातर लोगों को अंग्रेजी समझ में नहीं आती है और इनके कार्यक्रम कम देखे जाते हैं. बीबीसी के कार्यक्रम होटलों, राजदूतावासों में देखे जाते थे. अब इसके प्रसारण पर ही पाबंदी होगी. इसके पीछे कई सारी बाते हैं. चीनी अधिकारियों और बीबीसी के बीच कई बातों को लेकर टकराव रहा है. 2014 में बीबीसी की चाइनीज सर्विसेज जो वेबसाइट के जरिए चलती हैं, उसको वहां नहीं देखा जा सकता है. इसमें कोई नयी बात नहीं है कि अचानक ऐसा हुआ है.
क्या चीन ने ब्रिटेन से बदला लिया?
ऐसा लगता जरूर है कि ब्रिटेन में मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ऑफकॉम ने CGTN पर प्रतिबंध लगा दिया था और हवाला दिया था कि लाइसेंस को लेकर गड़बड़ी हैं. इसके बाद CGTN का प्रसारण ब्रिटेन में रोक दिया गया था. लेकिन इस बार चीनी अधिकारियों ने कारण दिया है कि कोरोना वायरस को लेकर बीबीसी ने जो कवरेज की है, उसमें वीगर समुदाय की खबरों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया है. पत्रकारों से उम्मीद की जाती है कि तटस्थ रहकर अपनी रिपोर्ट करेंगे. लेकिन चीनी अधिकारियों के मुताबिक बीबीसी ने ऐसा नहीं किया है. अभी तक चीन का कदम 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर दिख रहा है.
क्या चीन को दुनिया में अपनी छवि की चिंता नहीं है?
ब्रिटेन से लेकर अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों ने इसकी आलोचना की है लेकिन चीन के लिए इसमें कोई चिंता की बात नहीं है. चीन की तो पहले से ही मानवाधिकार को लेकर पूरी दुनिया में आलोचना होती रही है. तो इससे चीन की छवि को कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन यहां पर ये समझना जरूरी है कि ब्रिटेन और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है. हॉन्ग कॉन्ग में जो लोकतंत्र के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं, उसमें ब्रिटेन ने प्रदर्शनकारियों का साथ दिया है. ब्रिटेन ने इसको लेकर नई वीजा पॉलिसी भी जारी की थी. चीन आलोचना से घबराएगा ऐसा नहीं है.
भारत के लिए इस घटना के क्या मायने हैं?
भारत अपने आप में एक संप्रभु देश है. अगर कोई विदेशी कंपनी कानून को तोड़ेगी तो भारतीय संविधान में उससे निपटने के तरीके हैं. हाल में ही ट्विटर के साथ भारत सरकार का द्वंद चल रहा है. सरकार ने ट्विटर से कहा था कि वो अफवाह, हिंसा फैलाने वाले कुछ ट्विटर अकाउंट को बंद करे. लेकिन ट्विटर ने ऐसा नहीं किया. अब सरकार ट्विटर पर लगाम कसने की कोशिश कर रही है. चीन ने जो किया है इस तरह की घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की नकारात्मक छवि ही बनती है.
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