(वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा)
कैमरा: अभिषेक सिंह
बिहार में चुनाव मतलब, रैली नहीं रैला, पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में भीड़ जुटाने का चैलेंज, माइक पर भोजपुरी से लेकर मैथिली में चुनावी गाने, नेता जी के बड़े बड़े पोस्टर, गली मोहल्लों में ठेले से लेकर रिक्शा पर 'जीतेगा भाई जीतेगा' का शोर. लेकिन 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में मामला फिजिकल नहीं डिजिटल बनता जा रहा है.
7 जून से बिहार में डिजिटल इलेक्शन वॉर का आगाज हो रहा है, BJP के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह जनसंवाद कार्यक्रम के जरिए चुनावी प्रचार का बिगुल फूकेंगे या डिजिटल भाषा मे कहें तो चुनावी प्रचार के पेज पर लॉग-इन करेंगे.
कोरोना के बाद बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जहां चुनाव मैदान में सभा करके नहीं बल्कि सोशल मीडिया/इंटरनेट पर लड़ने की तैयारी है.
एक तरफ जहां 7 जून को अमित शाह बिहार में वर्चुअल रैली करेंगे, वहीं उनके पॉलिटिकल फ्रेंड मतलब सहयोगी पार्टी के लीडर और बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी अपने कार्यकर्ताओं से ताबड़तोड़ audio/video कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जनता को फॉलो करने और उनके कमेंट्स पर रिएक्ट करने का प्लान बताएंगे.
फिर भला विपक्षी पार्टी आरजेडी के मिलेनियल तेजस्वी यादव कहां पीछे रहने वाले. उन्होंने भी ट्विटर और फेसबुक पर ऐलान कर दिया कि वो भी 7 जून को सरकार की रैली के विरोध में 'गरीब अधिकार दिवस' मनाएंगे.
भले ही कोरोनावायरस की वजह से देश लॉक हो मजदूरों, गरीबों, कारोबारियों की हालत डाउन हो, लोगों की जेब पर बेरोजगारी के वायरस का अटैक हुआ हो लेकिन चुनावी तैयारी जोरों पर हैं.
बिहार में 243 विधानसभा सीट हैं, साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल को सबसे ज्यादा 80 सीटें आई थीं, वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू को 71 और BJP को 58 सीट. तब नीतीश और लालू साथ थे, लेकिन अब दोनों के रास्ते अलग हैं. BJP और जेडीयू फिलहाल साथ है.
BJP की डिजिटल तैयारी
BJP ने अमित शाह की पहली वर्चुअल रैली के लिए 72 हजार बूथों पर भाषण सुनाने का लक्ष्य रखा है. बिहार BJP के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक लाख लोगों के जुटने की उम्मीद जताई है. हजारों whatsapp ग्रुप एक्टिव हो गए हैं, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, सोशल मीडिया के जरिए जनता से लेकर जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, पार्टी वर्कर को रैली का लाइव लिंक भेजा जा रहा है.
IT सेल हर शेयर, लाइक, कमेंट पर नजर रखने के लिए मुस्तैद है. यही नहीं बिहार बीजेपी अध्यक्ष के मुताबिक रैली में उन लोगों तक भी पहुंचने का टारगेट है जिनके पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं है, पार्टी जगह-जगह टीवी स्क्रीन लगवाएगी. इस जिम्मेदारी के लिए हर बूथ और शक्ति केंद्रों पर वर्कर को तैनात किया गया है. विधायक, सांसद, MLC, मेयर, पार्षद, मुखिया सब की ड्यूटी लगी है. रैली को ऐतिहासिक बनाने का दावा है.
भले ही वर्चुअल रैली हो लेकिन माहौल एक्चुअल रैली वाला होना चाहिए, इसलिए BJP अपने नेताओं के लिए दो मंच लगवा रही है, एक दिल्ली में तो दूसरा पटना में. अमित शाह के अलावा पार्टी के कुछ केंद्रीय मंत्री भी डिजिटल रैली में शामिल होंगे.
नीतीश का पॉलिटिकल वेबिनार
वहीं दूसरी तरफ नीतीश कुमार भी 7 जून से 6 दिनों तक बूथ लेवल तक के पार्टी कार्यकर्ताओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे या डिजिटल टर्म में कहें तो वेबिनार करेंगे. नीतीश कुमार पिछले दिनों भी प्रखंड और पंचायत स्तर के नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर चुके हैं.
RJD के तेजस्वी यादव भी लगातार अपने विधायकों के साथ वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं. जिस दिन अमित शाह और नीतीश अपनी अलग-अलग रैली और मीटिंग करेंगे उसी दिन आरजेडी उनके विरोध में एक कार्यक्रम करेगी.
तेजस्वी यादव ने BJP की वर्चुअल रैली पर सवाल उठाया है, तेजस्वी ने कहा है,
“बीजेपी दुनिया की पहली ऐसी पार्टी है, जो अपने लोगों के मरने पर जश्न मना रही है, जिस दिन बीजेपी गरीबों की मौत का जश्न मनाएगी, उसी दिन प्रतिकार में हम ‘गरीब अधिकार दिवस’ मनाएंगे. बीजेपी और जेडीयू सिर्फ अपनी सत्ता की भूख मिटाना चाहती है, लेकिन हम गरीबों-मजदूरों के पेट की भूख मिटाना चाहते हैं, इसलिए विरोध में हम बिहारवासी अपने-अपने घरों में थाली, कटोरा और गिलास बजाएंगे और सो रही बिहार सरकार को जगाएंगे.”
अब भले ही राजनीतिक दल कोरोना में लाइव भाषणों के व्यूज, कमेंट, लाइक, शेयर के सहारे वोट और सत्ता का अवसर देख रही हो लेकिन बिहार की जनता इस विधानसभा चुनाव में किसका फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करती और किसे ब्लॉक ये देखना सबसे दिलचस्प होगा.
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