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चिराग का वन साइडेड लव और बिहार में LJP-BJP और JDU की खिचड़ी पार्टी

जब चिराग के दिल में पीएम मोदी हैं तो उन्होंने अपने हनुमान को एकल रास्ता क्यों चुनने दिया?

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बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी-एलजेपी और जेडीयू की खिचड़ी पार्टी चल रही है. कोई आग में घी डाल रहा है तो कोई बीच खाने में मिर्ची की तरह मुंह में आकर मजा खराब कर रहा है. बीजेपी के बिहार वाले नेता चिराग पासवान से कह रहे हैं 'हम आपके हैं कौन', तो चिराग कह रहे हैं, "दिल चीर के देख तेरा ही नाम लिखा है". इन सबके बीच जेडीयू ने भी अपना ताव तेज रखा है.

बीजेपी और एलजेपी के बीच इस स्वादानुसार दोस्ताने से पार्टी कार्यकर्ता ही परेशान हैं कि आज क्या बयान दें और किस बात पर विरोध करें. बीजेपी और एलजेपी की इस छौंक वाली राजनीति से अब इनके कार्यकर्ता और वोटर दोनों पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?

खिचड़ी ऐसी पक रही है कि अब लाख कोशिशों के बाद भी दाल और चावल अलग होते नहीं दिखते. चिराग मुहब्बत की इबारत लिखने में लगे हैं. यहां तक कि कह दिया कि प्रधानमंत्री मेरे दिल में बसते हैं. मैं उनका हनुमान हूं. चीर कर देख लें मेरा सीना.  ये अलग बात है कि जेडीयू चिराग को कलयुगी हनुमान कह रही है.

जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने तो कह डाला कि हनुमान ने श्रीराम के निर्देश पर लंका जलायी थी, लेकिन ‘कलयुग के हनुमान’ चिराग पासवान तो अयोध्या में ही आग लगाना चाहते हैं.

अब चिराग के इस ‘वन साइडेड लव’ से बीजेपी असहज हो रही है. बीजेपी को डर है कि चिराग से अनुराग के चक्कर में नीतीश उससे विराग न कर लें. इसलिए बीजेपी नेता एक के बाद एक चिराग पर हमलावर हैं. बीजेपी के बड़े से बडे़ नेता ‘न्याय के साथ तरक्की-नीतीश की बात पक्की’ पर कबूल है-कबूल है कह रहे हैं.

बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी का नीतीश प्रेम ऐसा जागा कि उन्होंने कह दिया कि एलजेपी एक सीट भी नहीं जीत पाएगी. हालांकि, चिराग ने भी दावा किया है कि बिहार में जेडीयू से ज्यादा सीटें एलजेपी जीतेगी.

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वहीं चिराग की मुहब्बत का आलम ये है कि वो न का मतलब न समझने को तैयार नहीं हैं. चिराग ने ट्वीट कर कहा,

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी धर्म संकट में पड़ें. वे अपना गठबंधन धर्म निभाएं. आदरणीय मौजूदा सीएम नीतीश कुमार को संतुष्ट करने के लिए मेरे खिलाफ भी कुछ कहना पड़े तो निसंकोच कहें.”

अब सवाल ये है कि क्या सच में चिराग का प्यार सच्चा है? बीजेपी की न के बाद भी चिराग क्यों नहीं अपने रास्ते अलग कर रहे हैं? जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने भी साफ कह दिया है कि सीटें चाहे कम हों या ज्यादा सीएम नीतीश ही होंगे. अमित शाह ने ये तक कह डाला कि बीजेपी और जदयू की ओर से चिराग को उचित सीटें ऑफर की गई थी. सीटों को लेकर कई बार समझौते पर भी बात हुई. मतलब चिराग ने ही समझौते को नहीं माना.

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एक और छौंक ये देखिए - पहला चरण करीब-करीब आते तेजस्वी कह रहे हैं कि नीतीश जी ने चिराग के साथ बहुत गलत किया है. अब लोग इस इस सहानुभूति में भी सियासत ढूंढ रहे हैं.

खिचड़ी में इतने ही एलिमेंट होते तो शायद पता चलता कि इसमें क्या-क्या है, लेकिन मामला कॉम्पलिकेट तब हो जाता है जब पता चलता है कि एलजेपी ने कम से कम पांच सीटों पर बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए हैं.

पूर्वी चंपारण की गोविंदगंज विधानसभा सीट पर एलजेपी और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी. इस सीट पर मौजूदा एलजेपी के दिग्गज नेता राजू तिवारी विधायक हैं. दूसरी ओर एनडीए खेमे से ये सीट बीजेपी के खाते में गई है. ऐसे में दोनों पार्टियों का आमना-सामना तय है.

कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां एलजेपी ने बीजेपी से आए नेताओं को टिकट दे दिया है. मतलब बीजेपी के बागी या कहें टिकट से वंचित रहे नेताओं ने चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी को अपना नया घर बना लिया है. करीब 9 ऐसे उम्मीदवार हैं जो बीजेपी से आए हैं.

एलजेपी ने बीजेपी के झाझा के विधायक राजेंद्र सिंह को दिनारा से टिकट दिया है. बीजेपी के पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया को सासाराम से एलजेपी का टिकट मिला है. पिछली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने लाले मृणाल शेखर अब एलजेपी में हैं. वहीं एलजेपी ने पालीगंज से पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी और झाझा से डॉ. रवींद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है.

अब समझ से परे ये है कि चिराग करना क्या चाहते हैं? जब चिराग पीएम मोदी के हनुमान हैं तो कुछ सीटों पर उनकी उम्मीदों पर पानी क्यों फेरने में जुटे हैं और चिराग के दिल में पीएम मोदी हैं तो उन्होंने अपने हनुमान को एकल रास्ता क्यों चुनने दिया? चिराग की पार्टी जमीन पर कमजोर है ये बात वो भी जानते हैं फिर ऐसा रिस्क क्यों? आखिर बीजेपी को इतनी बार चिराग को लेकर सफाई क्यों देनी पड़ रही है? आखिर नीतीश के हाथ में बीजेपी की ऐसी कौन सी चाबी है जिसके घुमाते ही सब चिराग पर हमलावर हो जाते हैं?

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