पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 23 जनवरी को कोलकाता में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में उस वक्त भाषण से इनकार कर दिया, जब भीड़ ने "जय श्रीराम" का नारा लगाया.
एक दिन बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आधिकारिक पश्चिम बंगाल यूनिट ने बनर्जी का एक पुराना वीडियो शेयर किया. वीडियो में मुख्यमंत्री कुछ इस्लामिक प्रार्थना पढ़ती नजर आ रही हैं जिसकी वजह से उनपर "तुष्टिकरण की राजनीति" का आरोप लगाया गया.
उसी वीडियो को BJP सांसद मनोज कोटक और पार्टी की महिला शाखा की सोशल मीडिया प्रभारी प्रीति गांधी ने शेयर किया.
यहां तक कि इंग्लिश न्यूज चैनल टाइम्स नाउ ने भी ट्वीट को लेकर रिपोर्ट किया. हालांकि उन्होंने ये बताया कि वीडियो पुराना है, लेकिन पूरा संदर्भ नहीं बताया.
लेकिन सच क्या है?
BJP के ट्वीट के कमेंट सेक्शन से गुजरते हुए, हमने देखा कि एक यूजर ने क्लिप का एक लंबा वर्जन शेयर किया था. इस एक मिनट 27 सेकंड की लंबी क्लिप में ममता बनर्जी ने दूसरे धर्मों की धार्मिक पंक्तियां का भी पाठ किया है. इससे हमारा संदेह बढ़ा और हमने इसके तह तक जाने का फैसला किया.
वीडियो के कई फ्रेम में से एक फ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च ने हमें 2018 में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) के आधिकारिक YouTube चैनल पर अपलोड किए गए ममता के भाषण के कंप्लीट वर्जन पर पहुंचा दिया.
21 मिनट 33 सेकेंड पर वीडियो में हमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री हिंदू श्लोक पढ़ती नजर आती हैं. इस वीडियो में 22 मिनट और 6 सेकेंड के बाद, इस्लामिक पंक्तियां शुरू होती हैं और उसके बाद क्रिश्चयन और सिख प्रार्थना है.
हमें डीडी न्यूज की एक रिपोर्ट भी मिली, जिसमें बताया गया कि वीडियो माटी उत्सव के उद्घाटन का है, जो बर्धमान जिले के माटी तीर्थ में हुआ था.
साफ तौर पर, ममता बनर्जी के एक पुराने भाषण का आधा-अधूरा वर्जन सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था कि वो 'जय श्री राम' का नारा लगाती भीड़ का विरोध कर रही हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए इस्लामिक प्रार्थना पढ़ती हैं, जबकि वो उस पूरे वीडियो में कई धर्मों की धार्मिक पंक्तियां पढ़ रही हैं.
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