ब्राजील (Brazil) के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो (Jair Bolsonaro) के समर्थकों ने संसद भवन में धावा बोल दिया है. सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन में घुसकर भी उपद्रवियों ने उत्पात किया. राष्ट्रीय ध्वज में लिपटे प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. ब्राजीलिया में सरकारी भवनों पर धावा बोलने वालों ने राष्ट्रपति चुनाव में लूला की जीत को स्वीकार से इनकार कर दिया है.
राष्ट्रपति लूला ने क्या कहा?
एक बयान में राष्ट्रपति लूला ने इस कार्रवाई को कट्टरपंथी फासीवादी करार दिया. इसके पहले लूला ने व्यवस्था बहाल करने के लिए राष्ट्रीय गार्ड को राजधानी में भेजने के लिए आपातकालीन शक्तियों की घोषणा की थी. राष्ट्रपति ने सुरक्षा बलों को भी निशाने पर लिया, उन्होंने उन पर अक्षमता का आरोप लगाया. लूला ने कहा कि हम यह पता लगाने जा रहे हैं कि इन उत्पातियों के पीछे कौन था.
बोलसोनारो की हार से नाराज समर्थक
ब्राजील में पिछले साल अक्टूबर में चुनाव हुए थे, जिसमें बोलसोनारो की हार हुई थी. लूला दा सिल्वा राष्ट्रपति बने थे. लूला डा सिल्वा को 50.90 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि बोल्सोनारो के पाले में 49.10 प्रतिशत वोट आए.
कद्दावर वामपंथी नेता और एक पूर्व फैक्ट्री वर्कर लूला इससे पहले 2003 से 2010 तक ब्राजील के राष्ट्रपति थे. उनकी जीत के बाद से बोलसोनारो के समर्थक चुनाव में धांधली का आरोप लगा कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी निंदा
अमेरिका का राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस हमले की निंदा की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि ब्राजील की लोकतांत्रिक संस्थाओं को हमारा पूरा समर्थन हैं.
PM मोदी ने भी की आलोचना
ब्राजील में सरकारी संस्थानों के खिलाफ दंगे और तोड़-फोड़ की खबरों से बेहद चिंतित हूं. लोकतांत्रिक परंपराओं का सभी को सम्मान करना चाहिए. हम ब्राजील के अधिकारियों को अपना पूरा समर्थन देते हैं.
बोल्सोनारो का विवादित कार्यकाल
बोल्सोनारो अपने कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों के लिए वैश्विक स्तर पर आलोचनाओं का शिकार हुए. उनपर आरोप लगा कि उन्होंने स्थानीय आदिवासियों के हितों की परवाह किए बिना अमेजॉन के वर्षावन का विनाश उस तेजी से किया जैसा आधुनिक इतिहास में नहीं हुआ. उनके कार्यकाल में, ब्राजील के दुनिया के सबसे बड़े इस वर्षावन के विनाश में पिछले दशक की तुलना में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
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