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कोरोना लॉकडाउन: 10 लाख करोड़ का पैकेज भी कम पड़ेगा

कोरोनावायरस संकट के बीच कैसे बचेगी जिंदगी, आजीविका, अर्थव्यवस्था?

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

लॉकडाउन के अलावा जो शब्द अभी हमारे दिमाग में है वे हैं- लाइफ, लाइवलीहुड और इकनॉमी यानी जिंदगी, आजीविका, अर्थव्यवस्था. कोई शक नहीं है कि लॉकडाउन इसलिए किया गया क्योंकि कोरोना वायरस संकट के बीच जिंदगियों को बचाना जरूरी है. इसे सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाएगी लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि बाकी चीजें ध्यान में ना रहें.

सरकार का काम होता है सारे काम एक साथ करना क्योंकि उसके पास सारे मंत्रालय होते हैं और सारा तंत्र हाथ में होता है. ये नहीं हो सकता कि पहले हम कोरोना वायरस से लोगों की जान बचाएंगे और लाइवलीहुड को इकनॉमी को बर्बादी के कगार पर छोड़ देंगे और फिर हम 'बैक टू नॉर्मल' हो जाएंगे.

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ये लॉकडाउन कब खत्म होगा, हमें नहीं पता. ऐसे में बड़ी राहत पैकेज का ऐलान करना और अगर उस ऐलान में देर होने वाला है तो सरकार की तरफ से एक्शन क्या होगा- ये बताना उतनी ही बड़ी जरूरत है जितनी जरूरत कोरोना के लिए टेस्ट किट्स को जुटाना है.

जो देश हमसे ज्यादा अमीर हैं उन्होंने इस मुसीबत में क्या किया है? इकनॉमी और रोजगार को बचाने के लिए इन्होंने अपनी जीडीपी के कितने प्रतिशत राहत पैकेज के लिए दिए हैं, इस पर एक नजर डालिए. भारत ने भी राहत पैकेज का ऐलान किया है लेकिन ये काफी नहीं है.
कोरोनावायरस संकट के बीच कैसे बचेगी जिंदगी, आजीविका, अर्थव्यवस्था?
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एसएमई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

सबसे ज्यादा बुरा हाल एसएमई का है जिसे सबसे पहले मदद चाहिए. उसे मदद इसलिए चाहिए क्योंकि जिस गरीब को सरकार नरेगा का पैसा देना चाहती है, उसी गरीब को ये रोजगार देता है. अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर के लिए ये बैक बोन है.इनकी सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि इन्हें तनख्वाह देनी है लेकिन इनकी कमाई नहीं हो रही. बैंक का लोन चुकाने के मामले में क्लैरिटी नहीं है. इसके अलावा टैक्स भी भरना है. मई में ये अपना धंधा चलाएगा या बंद करेगा, ये सबसे बड़ा सवाल है. ऐसे में उसे सबसे पहले मदद की जरूरत है.

लॉकडाउन के बाद क्या अफरातफरी की स्थिति मचेगी, इसका अंदाजा लगाने के लिए हमें वुहान को उदाहरण के तौर पर देखना होगा जो 76 दिनों के लॉकडाउन के बाद खुला. ऐसे में हमें लाइव, लावलीहुड और इकनॉमी इन तीनों को संभालना होगा और हम किसी एक को छोड़कर किसी एक को नहीं पकड़ सकते. हमें ये सीख कहां से मिलेगी? वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका में रूजवेल्ट ने क्या किया था? रुजवेल्ट के तीन मंत्र थे- रिलीफ, रिकवरी और रिफॉर्म. अभी हम फोकस कर रहे हैं रिलीफ पर. लेकिन रिफॉर्म के लिए भी कदम जल्द से जल्द उठाए जाने चाहिए.

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