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हम BJP के साथ ऐसे घुल गए जैसे चाय में शक्कर- सिंधिया Exclusive

अब राजनीति का क्या होगा केंद्र, दिल्ली या मध्य प्रदेश- सिंधिया ने दिया जवाब

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बिहार विधानसभा चुनाव के साथ-साथ देशभर के कई राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे भी सामने आए. इनमें मध्य प्रदेश ऐसा राज्य था जहां सबसे ज्यादा 28 सीटों पर उपचुनाव हुआ. जिनमें बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा. इसी को लेकर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया से खास बातचीत की. सिंधिया के लिए बतौर बीजेपी नेता ये पहले चुनाव थे और उन्होंने इसमें खुद को साबित भी कर दिया.

सिंधिया ने मध्य प्रदेश उपचुनावों में मिली जीत का पूरा श्रेय जनता और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को दिया. इसके अलावा सिंधिया ने नड्डा और शाह की विचारधारा को भी इस सफलता का जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि पूरे बीजेपी काडर ने चुनाव में काफी मेहनत की.

बीजेपी के हिसाब से नतीजे तो अच्छे रहे, लेकिन वो तीन मंत्री जो इस उपचुनाव में नहीं जीत पाए, उन्हें लेकर आपका क्या कहना है?

चुनाव, चुनाव होता है. कभी-कभी हम लोगों को हार का भी सामना करना पड़ता है. मैं मानता हूं कि जितनी विनम्रता हमारी हार में होती है उतनी ही हमारी जीत में भी होनी चाहिए. पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के स्तर पर बीजेपी कांग्रेस से 1 प्रतिशत वोट ले चुकी थी, लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस, बीजेपी से 14 प्रतिशत ज्यादा वोट ले चुकी थी, उसके आधार पर 34 में से 26 सीटें आई थीं. तो हमें उस 14 प्रतिशत को शून्य पर लाना था और फिर उसे आगे बढ़ाना था. उसी के आधार पर ये नतीजे आए हैं. मेरे लिए हर सीट महत्वपूर्ण थी.

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जब आपने कांग्रेस छोड़ी और बीजेपी में गए, तो उस दौरान कोरोना का पूरा पीरियड रहा. इस दौरान आपका पूरा फोकस चुनाव पर रहा, अब चुनाव आपने अच्छा डिलीवर कर दिया, तो आगे के लिए आपका प्लान क्या होगा?

मेरी विचारधारा वही है जो पिछले 20 साल से रही है. मैं अपने आप के लिए काम बना देता हूं. चुनाव जीतने के बाद मैंने ये माना है कि काम अभी शुरू हुआ है. क्योंकि जनता ने आपको बड़ी जिम्मेदारी दी है. चुनाव जीतने के बाद पूरी बीजेपी मध्य प्रदेश में काम पर लग चुकी है. मेरी यही कोशिश है कि मैं हर कार्यकर्ता को धन्यवाद दूं, जिन्होंने चुनाव में अपनी जी जान लगा दी है. उसके बाद मैं हर क्षेत्र का दौरा करूंगा, फिर सीएम के साथ बैठकर आगे की प्लानिंग करेंगे.

अब चुनाव नतीजों के बाद आपका जनता की सेवा का केंद्र कहां होगा? ग्वालियर, गुना, भोपाल या फिर दिल्ली?

मेरा जनसेवा का केंद्र एक क्षेत्र नहीं रहा है. जहां मुझे मौका मिला वहां मैंने सेवा की है. मैंने सांसद रहते हुए विकास कार्य किए और राष्ट्रभर में जब मंत्री था तो तब भी कोशिश यही थी कि सेवा करूं. मेरा लक्ष्य राजनीति नहीं है, मेरा लक्ष्य जनसेवा है. राजनीति सिर्फ एक जरिया है.

अब अगर सीधे पूछें कि आप खुद को मध्य प्रदेश में बतौर डिप्टी सीएम देखते हैं या फिर दिल्ली में केंद्रीय मंत्री के तौर पर?

जहां तक डिप्टी सीएम की बात है तो मेरा मानना है कि एक गाड़ी में सिर्फ एक ड्राइवर होना चाहिए. ये पोजिशन मुझे कांग्रेस में भी दी गई थी, लेकिन मैंने कहा था कि मैं ये नहीं लूंगा. मैं एक जनसेवक हूं और मुझे पता था कि कमलनाथ जी का क्या रुख होगा, उनकी सरकार में और उसके साथ मैं ताल्लुकात भी नहीं रखना चाहता था.

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बीजेपी के साथ पुराने रिश्ते

कांग्रेस में लंबे सफर के बाद बीजेपी में शामिल होना कैसा रहा और आप कितने कंफर्टेबल हैं? इस सवाल के जवाब पर सिंधिया ने कहा कि, मेरे लिए ये एक तरीके से अपनी पार्टी है. सिंधिया परिवार का बीजेपी से तीन पीढ़ियों सा संबंध है. सिंधिया ने कहा कि, मेरे पिताजी की शुरुआत भी जनसंघ से हुई थी. मेरे संबंध इस पार्टी के साथ काफी पुराने रहे हैं. जब आप नए संगठन में आते हैं तो समय लगता है. संगठन में भी रिश्तों के आधार पर विश्वास बनता है. उनमें भी दोनों तरफ से समय और निवेश लगता है. मेरे साथ जो करीब डेढ़ लाख नेता और कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हुए हैं उनके साथ मैं ये कोशिश कर रहा हूं. ये चुनाव नतीजा भी उसी के कारण देखने को मिला है. सभी ने साथ में मिलकर काम किया. सिंधिया ने कहा कि हमारे नेता बीजेपी के साथ कुछ ऐसे घुल गए जैसे चाय में शक्कर घुलती है.

कांग्रेस पार्टी को लेकर सिंधिया ने कहा कि वो अब मेरे अतीत का हिस्सा बन चुकी है. मैंने 8 महीने तक मौनता की विनम्रता का पालन किया है, जिसे मैं खंडित नहीं करना चाहता हूं. कांग्रेस को अपनी कमियों को दुरुस्त करना है.

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