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अमेरिका में अनहोनी: ट्रंप के खतरनाक खेल का मतलब

6 जनवरी-अमेरिकी इतिहास का सबसे ‘काला दिन’ था, खतरनाक दिन था और लोकतंत्र पर हमले का एक आखिरी प्रयास था.

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हॉलीवुड फिल्मों में ऐसा होता है कि खलनायक का खेल खत्म होने के पहले वो बहुत बड़ा हमला करता है, कुछ ऐसा ही हमला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हारने के बाद करना चाहते थे. यूएस कैपिटल में हुए बवाल से ये सामने आया. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की एक औपचारिकता होती है, इसी औपचारिकता के तहत अमेरिकी संसद ने ये सर्टिफाई किया कि जो बाइडेन चुनाव जीत गए हैं.

इस पूरी प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की गई. ट्रंप समर्थकों की भीड़ ने कैपिटल हिल पर हमला कर दिया, ये लोग हथियारों से लैस थे, मिलिशिया की तरह से तैयार होकर आए थे. अमेरिकी सांसदों को वहां से सुरक्षित निकालना चुनौती भरा काम हो गया था. उपराष्ट्रपति को वहां से हटाकर सुरक्षित जगह ले जाया गया. ये अमेरिकी इतिहास का सबसे 'काला दिन' था, खतरनाक दिन था और लोकतंत्र पर हमले का एक आखिरी प्रयास था.

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अमेरिका में वो हुआ जो अफ्रीका के छोटे-मोटे देश में हुआ करता है

अमेरिका में ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए थी. अमेरिका में जो संस्थाओं की क्षमता है उस हिसाब से खुफिया एजेंसियों को ये पता होना चाहिए था कि ट्रंप समर्थक ऐसी तैयारी कर रहे हैं. ट्रंप समर्थकों के अंडरग्राउंड सोशल मीडिया पर ऐसे मैसेज आ जा रहे थे कि 6 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी पहुंचना है और वहां पर 'खेल' करना है.

जाहिर है कि कैपिटल हिल की पुलिस तैयार नहीं थी, नेशनल गार्ड आए तब हालात पर काबू पाया जा सका. इस घटना के बाद सांसद दोबारा पहुंचे और बाइडेन के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो गई. इस घटना के बाद एक अहम बात ये हुई कि जो रिपब्लिकन अभी दुविधा में थे उन्हें साफ लाइन लेनी पड़ी. ज्यादातर रिपब्लिक नेताओं ने इस घटना की कड़ी आलोचना की है. उपराष्ट्रपति माइक पेंस के अलावा सीनेट मेजॉरिटी लीडर मिच मेककोनिल ने भी ट्रंप के खिलाफ भाषण दिया, शर्मिंदगी जाहिर की और कड़ी आलोचना की. बाइडेन ने भी एक बयान देकर कहा कि ये ट्रंप का लोकतंत्र पर आखिरी हमला है.

पूरी दुनिया ने अमेरिका में ये खेल देखा जो अफ्रीका के किसी छोटे-मोटे देश में होता है, ‘बनाना रिपब्लिक’ में होता है कि कोई एक मिलिशिया ग्रुप चला आए और तख्ता पलट करने की कोशिश करे. अमेरिका जो लोकतंत्र का रोशनदान है वहां ये देखने को मिला, जिसकी उम्मीद नहीं थी. इसिलिए अमेरिका के अखबारों ने इस घटना को राजद्रोह, आतंकवाद की तरह बताया, जिसे ट्रंप ने भड़काया है.
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रिपब्लिकन भी अब ट्रंप के खिलाफ

इस हमले के बाद अमेरिका और पूरी दुनिया में ट्रंप के खिलाफ माहौल बना और सभी बड़े रिपब्लिकन नेता भी उनके खिलाफ हो गए. ऐसे में अगली सुबह ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि वो इन नतीजों से सहमत तो नहीं हैं लेकिन वो सत्ता का व्यवस्थित परिवर्तन होने दे देंगे. ट्रंप ऐसा जाहिर कर रहे हैं कि वो कोई मेहरबानी कर रहे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने ये भी कहा है कि 'मेक अमेरिका ग्रेट' की जो लड़ाई है वो जारी रहेगी. लेकिन जो ट्रंप. राष्ट्रपति होने के कारण और पैसे होने के कारण सोचते थे कि रिपब्लिकन पार्टी को कब्जे में रख पाएंगे, अब शायद ये नहीं होगा. रिपब्लिकन पार्टी पावर में आने के लिए इस ध्रुवीकरण के मजे ले रही थी, लेकिन अब उनकी आंखें खुल गई हैं. रिपब्लिकन जान गए हैं ट्रंप अमेरिका के लोकतंत्र को धरातल में लेकर जा रहे हैं तो अब पार्टी उनका साथ छोड़ देगी.

क्विंट हिंदी ने पहले ही जता दी थी आशंका

क्विंट हिंदी ने डेमोक्रेसी की अग्निपरीक्षा के नाम से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का कवरेज किया था. हमारी नजर में ये साफ था कि ट्रंप हारने के बाद भी किसी हालत में अपनी कुर्सी छोड़ना नहीं चाहेंगे. हमने आपको बताया था कि हार नहीं मानने की स्थिति में उन्हें कैसे पद से हटाया या नहीं हटाया जा सकता है, इसके कई डरावने दृश्य हैं. आखिर में सीक्रेट सर्विस आएगी, ट्रंप को हटाएगी, इस तरह की आशंकाएं हमने जताई थी, आप इस लिंक पर जाकर वो रिपोर्ट पढ़ सकते हैं.

क्विंट हिंदी ने अमेरिका के चुनाव का कवरेज इतनी गहराई और साधारण तरीके से इसलिए किया था क्योंकि अमेरिका के ये नतीजे पूरी दुनिया और भारत को प्रभावित करेंगे. महामारी के बाद दुनिया फिर से कैसे रीसेट होगी, इसके लिए अमेरिका पर सबकी नजर है. अमेरिका की चुनौती ये है कि उसके मोरल लीडरशिप को ट्रंप ने बहुत बड़ा धक्का पहुंचाया है, बाइडेन इसे कैसे रीस्टोर करेंगे? चीन की चुनौती को कैसे झेलेंगे? और लोकतांत्रिक देशों को एक प्लेटफॉर्म पर कैसे ला सकेंगे? ये सारे मुद्दे काफी गंभीर हैं, जिसपर आने वाले दिनों में नजर रखनी होगी.

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ताकतवर राष्ट्रपति होने जा रहे हैं बाइडेन

जाहिर है कि ट्रंप एक बेहद असुरक्षित किस्म के इंसान है. इसलिए 'मैं नहीं हारा हूं', 'मेरे साथ धांधली हुई है' जैसी बातों का आल्टरनेट रिएलिटी का वर्ल्ड बना लिया- 'मिथ्यालोक' बना लिया. इसमें अमेरिकी का बहुत बड़ी आबादी फंस भी गई है, अब इनके अंदर की कट्टरता को खत्म करना डेमोक्रेट्स से ज्यादा रिपब्लिकन के लिए बड़ी चुनौती होगी.

इस चुनाव का एक और नतीजा जो इस बड़ी खबर में दब गया वो है जॉर्जिया में सीनेट की दो सीटों डेमोक्रेट्स के पास आ गईं. यहां दोबारा चुनाव हुए थे यानी अब सीनेट में डेमोक्रेट्स का कंट्रोल हो गया. मतलब ये है कि पहले के संसद में बाइडेन को अपनी मर्जी के काम कराने में मुश्किल होती लेकिन अब इस जीत के बाद वो आसान हो जाएगा. हाउस और सीनेट दोनों में बाइडेन जो करना चाह रहे होंगे वो कर सकेंगे.

लोकतांत्रिक दुनिया का 'रोशनदान' अमेरिका

लोकतांत्रिक दुनिया बनाने के मामले में अमेरिका नई दुनिया का 'रोशनदान' है लेकिन अब अमेरिका को ट्रंप के कारण बड़ी चोट लगी है. इसको रिपेयर करना बाइडेन के लिए बड़ी चुनौती होगी. ओबामा के बाद की दुनिया में लोकतंत्र के खिलाफ कई बड़े देशों में जो एक माहौल बना है, अमेरिका भी उस ट्रैप में फंस गया, ये एक बहुत खतरनाक सी बात हुई है. अब अमेरिका यहां से कैसे निकल पता है, ये हमें देखना होगा. अमेरिका में जो हुआ है वो एक तरह से अनहोनी है. अमेरिका जैसे देश में जहां संस्थाएं इतनी मजबूत हैं वहां ऐसा नहीं होना चाहिए था. शायद संस्थाएं मजबूत हैं इसलिए 20 जनवरी को ट्रंप का 'बुरा सपना' खत्म हो जाएगा. लेकिन बचे हुए 13 दिनों में ट्रंप कोई कारस्तानी नहीं करेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता. हालांकि, अब उनको सच नजर आ गया है कि उन्हें जाना ही होगा.

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