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सर्वे, शेयर और सट्टा बाजार, सब कह रहे ट्रंप का होगा बंटाधार

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है, जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

3 नवंबर यानी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग की तारीख. दो हफ्ते से भी कम का वक्त रह गया है इस तारीख में, ये एक ऐसी तारीख है जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है. फिलहाल, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन आगे दिख रहे हैं वहीं राष्ट्रपति ट्रंप पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं. जब से चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा है दोनों के बीच गैप का ये आंकड़ा चौड़ा होता जा रहा है. ऐसे में जानते हैं जरा वो संकेत जो साफ कर रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार सकते हैं.

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सर्वे क्या कहते हैं?

रियल क्लियर पॉलिटिक्स का आंकड़ा बताता है कि ट्रंप और बाइडेन के बीच का गैप 10 फीसदी है. इसी डेटा के आधार पर एक आंकड़ा फाइनेंशियल टाइम्स ने निकाला है, उसके मुताबिक, 11 फीसदी के आसपास का गैप हो सकता है.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

वॉशिंगटन पोस्ट काफी समय से 11 फीसदी का गैप दिखा रहा है.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

इलेक्टोरल कॉलेज में अब लोग रिपब्लिकन के सामने डेमोक्रेट्स की जीत को प्रेडिक्ट कर रहे हैं. वो कह रहे हैं कि ट्रंप की हार लैंडस्लाइड हो सकती है. बाइडेन की धमाकेदार जीत हो सकती है. ऐसे में अगर ये अनुमान सही निकलते हैं तो बाइडेन की बड़ी जीत हो सकती है.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.
द इकनॉमिस्ट का भी अनुमान यही है की इलेक्टोरल कॉलेज में बाइडेन जीतने जा रहे हैं. साथ ही साथ सीनेट और हाउस में डेमोक्रेट्स को बहुमत मिल सकता है. जाहिर है कि हाउस में वो बहुमत बरकरार रखेंगे और सीनेट में वो बहुमत रिपब्लिकन पार्टी से छीनेंगे.

सट्टा बाजार के अनुमान भी ट्रंप के खिलाफ

सट्टा बाजार का आंकड़ा भी ट्रंप के खिलाफ ही दिख रहा है. इसमें बाइडेन की जीत की संभावना 65 फीसदी बताई जा रही है वहीं ट्रंप की जीत की संभावना सिर्फ 35 फीसदी.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

लेकिन चाहे डेमोक्रेट हो या चुनाव के अनुमान लगाने वाले लोग वो 2016 के चुनाव को ध्यान में रखने के लिए कहते हैं. उस वक्त भी चुनाव के सारे अनुमान बता रहे थे कि हिलेरी क्लिंटन वहां जीत जाएंगी लेकिन हुआ उलटा.

ऐसे में ट्रंप जिस तरह के तिकड़म लगाने में लगे हुए हैं, नतीजों के बारे में कहना मुश्किल है. अभी 10-12 दिन के बचे हुए कैंपेन में कुछ भी हो सकता है. 

करीबी छोड़ रहे हैं ट्रंप का साथ

इन चुनावों में एक और बड़ा संकेत ये दिख रहा है कि ट्रंप के करीबी लोग उनका साथ छोड़ रहे हैं. कुछ लोग सार्वजनिक तौर पर छोड़ रहे हैं तो कुछ लोग गुपचुप तरीके से. ऐसे लोगों का कहना है कि ऐसा झूठा और खुदगर्ज इंसान नहीं देखा. न्यू यॉर्क के बड़े मशहूर मेयर रहे रूडी जिल्यानी की बेटी जो फिल्मकार हैं, उन्होंने तो अपने पिता से बगावत कर दी है. कई अहम लोग अब ट्रंप के खेमे से बाहर आ चुके हैं, वो कहते हैं कि ट्रंप को वोट मत दीजिए, क्योंकि अमेरिका खतरे में आ जाएगा, लोकतंत्र समाप्त हो जाएगा.

शेयर बाजार के संकेत क्या हैं?

शेयर बाजार भी ऐसे ही बढ़ रहा है और अब उन शेयरों को चुनना शुरू कर रहा है, जिन्हें डेमोक्रेट्स के आने से फायदा होगा. जिन्हें ग्रीन स्टॉक कह सकते हैं या जिससे पब्लिक स्टिमुलस आने की उम्मीद दिखती है.

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चुनावी चंदे से क्या मिल रहे संकेत?

ट्रंप और रिपब्लिकन पार्टी का चुनावी चंदा लगातार कम होता जा रहा है, ये भी इस बात के संकेत हैं कि ट्रंप चुनाव हार सकते हैं. सितंबर में ये रकम और गिरी है, बाइडेन को ज्यादा चंदा मिल रहा है.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

बाइडेन इसे 'बैटल ग्राउंड स्टेट'में विज्ञापनों पर खर्च कर रहे हैं. जो दस 'बैटल ग्राउंड स्टेट्स' माने जाते हैं, उनमें से ट्रंप इस वक्त सिर्फ दो में मामूली बढ़त के साथ आगे हैं और 8 में इस वक्त बाइडेन आगे हैं. कुछ राज्यों में उलट-पलट हो सकते हैं, सबसे बड़ा संकेत मिलता है रूपर्ट मर्डोक से. मर्डोक ने अपनी एक प्राइवेट मीटिंग में कहा कि ट्रंप की लैंडस्लाइड हार होने वाली है. ये बात लीक हो गई. अब फॉक्स न्यूज भी ये चला रहा है कि ट्रंप की जमीन खिसकती नजर आ रही है.

3 नवंबर एक ऐसी तारीख है,  जो तय करेगी कि दुनिया में लोकतांत्रिक देशों का भविष्य कैसा होने जा रहा है.

कुल मिलाकर ऐसे अनुमान हैं कि डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन राष्ट्रपति बनकर आ सकते हैं. ये पूरी दुनिया के लोकतंत्र के लिए राहुत की बात होगी. इसका असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर, चीन के साथ ट्रेड वॉर पर, भारत के साथ संबंधों पर पड़ेगा ही, साथ ही पूरी दुनिया के लिए दूरगामी परिणाम भी सामने आएंगे.

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