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अमेरिका चुनाव 2020: वोटों की गिनती से क्यों डर रहे हैं ट्रंप?

अमेरिकी चुनाव- वोटों की गिनती में ट्रंप से आगे चल रहे हैं जो बाइडेन

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभी अनिश्चितता के दौर में हैं. जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है, ऐसे में क्विंट हिंदी पर हमने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कवरेज 'डेमोक्रेसी की अग्निपरीक्षा' जो नाम दिया था, वो सही ही साबित हुआ है. हमें ये अंदाजा नहीं था कि ये चुनाव इतना कठिन, जटिल और थ्रिलिंग होने जा रहा है.

ट्रंप ने अपनी जीत का ऐलान कर दिया है और कहा है कि वोटों की काउंटिंग को अब रोक देना चाहिए, क्योंकि जो अर्ली वोट और पोस्टल बैलेट वोट हुए वो फ्रॉड हैं. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. वहीं बाइडेन की तरफ से भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में उनके वकीलों की फौज तैयार होगी.

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किन राज्यों में फंसा है चुनाव

मोटे तौर पर अब 7 ऐसे बैटल ग्राउंड स्टेट हैं जहां पर ये चुनाव फंसा हुआ है. जिनमें मिशिगन, विस्कॉन्सिन, एरिजोना और नेवाडा वो राज्य हैं जो बाइडेन को 270 का आंकड़ा छूने के लिए जीतने ही पड़ेंगे. वहीं पेंसिल्वेनिया, जॉर्जिया और नॉर्थ कैरोलाइना वो राज्य हैं जहां ट्रंप इस वक्त आगे हैं, लेकिन कई इलाकों में अभी तक कांटे का मुकाबला चल रहा है.

ट्रंप आगे, लेकिन लाखों वोटों की गिनती अभी बाकी

आंकड़ों की बात करें तो विस्कॉन्सिन में डोनाल्ड ट्रंप 1 लाख वोट से आगे हैं. वहीं अब तक यहां 7 लाक वोटों की गिनती बाकी है. यहां नतीजा किसी भी वक्त आ सकता है. पेंसिलवेनिया में ट्रंप 7 लाख वोटों से आगे हैं, लेकिन 18 लाख वोटों की गितनी बाकी है. मिशीगन में 3 लाख वोटों से आगे हैं, लेकिन 18 लाख वोटों की गिनती बाकी है. नॉर्थ कैरोलाइना में 77 हजार वोटों से आगे हैं, लेकिन 3 लाख वोटों की गिनती अभी बाकी है.

तो अगर नियम के मुताबिक गिनती हुई तो ये पूरा शेड्यूल 12-13 नवंबर तक जाएगा. वहीं इलेक्शन अथॉरिटीज को कानूनी हक है कि वो 14 दिसंबर तक रिजल्ट घोषित कर सकते हैं.
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ट्रंप वोटर्स के मन को नहीं भांप पाए चुनावी पंडित

अब जो नतीजे सामने आ रहे हैं उसके बाद इस बात का कोई मतलब नहीं है कि जो चुनाव सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियां हैं उनके अनुमान किस तरह से गलत निकले. क्योंकि इतने कड़े मुकाबले का अनुमान तो पहले किसी ने नहीं लगाया था.

इससे जाहिर है कि 2016 चुनाव के बाद भूल सुधार करने के बावजूद सर्वेक्षण करने वाली एजेंसियां ट्रंप के साइलेंट वोटर्स जो छोटे शहरों से आते हैं और मिडिल क्लास के लोग हैं, उन लोगों के मन को नहीं भांप सके.
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यूनाइटेड नहीं डिवाइडेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका

अमेरिका का चुनाव जो भी जीते, लेकिन जिस तरह का डर था कि चुनाव नतीजों के दौरान और उसके बाद ट्रंप पावर में बने रहने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं, वो उन्होंने बता दिया है. एक चीज जो सामने आई है कि चाहे ट्रंप जीतें या फिर बाइडेन, अमेरिका यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के रूप में एक डिवाइडेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका के रूप में हमारे सामने आया है. कल्पना कीजिए कि अगर 58, 52, 47, 53 से अगर अमेरिकी समाज बंटा हुआ है तो ये हालत बिल्कुल वैसी ही है जैसे एक घर में एक भाई संविधान और कानून को मानता हो और दूसरा भाई संविधान की कोई परवाह नहीं करता हो. अमेरिका की सबसे बड़ी ट्रैजडी यही है कि मॉडल डेमोक्रेटिक वर्ल्ड का नेता बनते-बनते अब एक ऐसा देश बन गया है जिस पर सब लोग हंसेंगे और ताना देंगे.

अब सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप की नामित चीफ जस्टिस अभी-अभी बनी है, तो जाहिर है कि मामला पॉलिटिसाइज हो सकता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी निष्पक्षता दिखाते हुए इस चुनाव को कैसे रोकने वाला कोई आदेश दे पाए. ट्रंप बाइडेन को जिस तरह से रोकने की कोशिश कर रहे हैं, ये असंवैधानिक तौर तरीकों की तरफ जा रहे हैं और अमेरिका में इसकी चिंता लोगों को है, साथ ही पूरी दुनिया को इसकी चिंता होनी चाहिए.

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