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कोरोना वायरस से जीत रहे थे तो हमारी ये दुर्गति कैसे हुई?  

COVID-19 को लेकर जो सवाल पिछले साल थे, लोग उनको ही अभी भी डिस्कस कर रहे हैं

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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

कोरोना के खिलाफ जंग में जीत के ऐलान के बाद हमसे बड़ी गलतियां हुई हैं. ऐसे में जब तक वैक्सीनेशन के दायरे को नहीं बढ़ाया जाएगा, तब तक न जिंदगियां सुरक्षित रहेंगी और न ही हमारी इकनॉमी संभल पाएगी.

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हमने अस्पतालों, आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन वाले बेड के इंतजाम बढ़ा लिए हों, ऐसा हो नहीं पाया. अब जब कोरोना वायरस का काफी संक्रामक नया स्ट्रेन फैल रहा है, तो स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव आ गया है.

कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन जैसे उपायों के साथ में ट्रेसिंग भी होती है. COVID-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र के बारे में हम आपको बता सकते हैं कि ट्रेसिंग जैसे शुरू में हो रही थी, अब नहीं हो पा रही. ट्रेसिंग नहीं होगी तो वायरस का फैलाव बढ़ने वाला है.

आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय जो आयुवर्ग है, 20-50 साल का, वो ज्यादा संक्रमित हो रहा है, वही ज्यादा बाहर निकल रहा है, वही वायरस ज्यादा फैला रहा है. अगर इस पर ब्रेक नहीं लगाया गया तो इससे हमारी इकनॉमी चौपट हो जाएगी.

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COVID-19 को लेकर जो सवाल पिछले साल थे, लोग उनको ही अभी भी डिस्कस कर रहे हैं. इस वायरस को और इसके व्यवहार को समझने की कोशिश मत कीजिए, विशेषज्ञ मत बनिए. कोरोना की चेन तोड़ने के लिए अनुशासन का पालन करना एक जरूरी शर्त है, लेकिन एक ही चीज है, जिससे इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है- वो है वैक्सीनेशन. मगर अब वैक्सीन के स्टॉक पर दबाव है, महाराष्ट्र में वैक्सीनेशन सेंटर बंद हो रहे हैं.

यह बेहद जरूरी है कि केंद्र वैक्सीन का सही तरीके से डिस्ट्रीब्यूशन करे, राज्य सरकारों के साथ राजनीति न खेले.

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