ADVERTISEMENTREMOVE AD

Budget 2021: महंगाई आने वाली है- निवेश एक्सपर्ट सौरभ मुखर्जी

पेट्रोल, डीजल पर लगे सेस से क्या समझ आता है?

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी/नमन मिश्रा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश कर दिया है. इनकम टैक्स स्लैब्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. FY22 के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट 6.8% और विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रखा गया है. लेकिन इसे समझना हो तो आसान शब्दों में कैसे समझा जाएगा. इसके लिए क्विंट ने Marcellus Investment Managers के फाउंडर सौरभ मुखर्जी से बात की. मुखर्जी ने कहा कि अगले कुछ महीनों में महंगाई आ सकती है.

सौरभ मुखर्जी का कहना है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद ये पहली बार है जब NDA सरकार फिस्कली गैंबल कर रही है. मुखर्जी ने कहा, "ये एक ग्रोथ-फोकस्ड बजट है. सरकार ने बड़े खर्चे का ऐलान किया है. प्रणब मुखर्जी के 2009 के बजट के बाद पहली बार किसी सरकार को इतना एग्रेसिव देख रहा हूं."

“इंफ्रास्ट्रक्चर को फायदा मिलेगा, अगर निजीकरण की लहर शुरू हो गई तो PSU बैंकों को भी फायदा मिलेगा. हो सकता है कि बॉरोइंग की कॉस्ट बढ़ेगी. भारत सरकार बॉन्ड मार्केट से इतना पैसा उधार लेगी तो बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ेगी. कमोडिटी इंफ्लेशन की लहर बढ़ जाएगी. अगले कुछ महीनों में इंफ्लेशन की चिंता बढ़ सकती है.”
सौरभ मुखर्जी, Marcellus Investment Managers के फाउंडर
ADVERTISEMENTREMOVE AD

फिस्कल डेफिसिट के अनुमान को सही साबित करने के लिए क्या करना होगा?

सौरभ मुखर्जी कहते हैं कि 6.8% का फिस्कल डेफिसिट टारगेट बहुत 'एग्रेसिव' है. उन्होंने कहा, "ज्यादातर फाइनेंशियल मार्केट पार्टिसिपेंट्स को उम्मीद थी कि ये नंबर 6 से नीचे रहेगा."

“सबसे बड़ी पजल है कि PSU बैंकों के निजीकरण से पहले सरकार ने एक बैड बैंक बनाने की बात कही है. ये बैंक PSU बैंकों से कमजोर असेट्स खरीदेगा. लेकिन इस बैड बैंक के कैपिटलाइजेशन को लेकर बजट में कोई ऐलान नहीं हुआ. इस बैंक में अगर मोटा पैसा नहीं डाला गया तो विनिवेश का लक्ष्य पूरा होने में चुनौती आ सकती है.”
सौरभ मुखर्जी, Marcellus Investment Managers के फाउंडर

मुखर्जी ने कहा कि सरकार के पास साफ गेमप्लान है, लेकिन उन्होंने लोगों को इसके बारे में साफ-साफ नहीं बताकर एक 'आइडिया दे दिया है'.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पेट्रोल, डीजल पर लगे सेस से क्या समझ आता है?

सौरभ मुखर्जी ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद जब सरकार ने इसका बड़ा खर्चा देखा तो दुनियाभर में गिरते कच्चे तेल के दामों पर ड्यूटी लगाकर सरकार ने अपने फाइनेंस को 2020 में संभाल लिया था.

“ये सेस भी उसी तरह का कदम है. हालांकि, मुझे लगता है कि कुछ छूट दी जाएंगी. हो सकता है रेसिडेंशियल सेक्टर को ज्यादा सेस देना पड़े और इंडस्ट्रियल इस्तेमाल के लिए कुछ रियायत हो.”
सौरभ मुखर्जी, Marcellus Investment Managers के फाउंडर

सौरभ मुखर्जी ने कहा कि 'माहौल महंगाई बढ़ने वाला बन रहा है.' उन्होंने कहा, "बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ रही है, दुनियाभर में स्टील की कीमत बढ़ रही है, भारत में भी स्टील और सीमेंट का भाव बढ़ रहा है और फिर ये सेस का लगाया जाना, सभी से महंगाई बढ़ने का माहौल बन रहा है."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×