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CAA: जामिया के छात्र ने कहा- साल बीत गया, ट्रॉमा खत्म नहीं हो रहा

आंशिक रूप से नेत्रहीन छात्र अर्सलान ने बताई जामिया लाइब्रेरी की मौक -ए-वारदात की दर्दनाक कहानी

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद

अर्सलान तारिक उन छात्रों में से है जो 15 दिसंबर 2019 को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की लाइब्रेरी में मौजूद थे, जब दिल्ली पुलिस ने अंदर घुसकर छात्रों को लाठी और डंडों से पीटा था.

सर मैं नहीं था, सर मैं सीएए के विरोध प्रदर्शनों में भाग नहीं ले रहा हूं. सर मुझे कम दिखाई देता है. मैं आंशिक रूप से अंधा हूं, मैं अपनी बाईं आंख से नहीं देख सकता.

ये शब्द 26 साल के एमबीए छात्र अर्सलान तारिक के हैं, जब दिल्ली पुलिस ने उन्हें जामिया की लाइब्रेरी में बुरी तरह से पीटा था. उनके इस तरह से अनुरोध करने पर दिल्ली पुलिस के जवान ने कहा था, हां अभी निकालते हैं, तेरा अंधापन.

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जमिया मिल्लिया इस्लामिया में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के तीसरे दिन दिल्ली पुलिस ने जबरन यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसकर छात्रों पर बर्बर तरीके से आंसू गैस के गोले छोड़ते हुए उन पर जमकर लाठी चार्ज किया था.

उसके एक साल बाद आज भी, दिल्ली पुलिस के किसी भी अधिकारी पर कोई कानूनी करवाई नहीं हुई है. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा जांच समिति ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि, इस पूरे मामले में कोई भी दोषी नहीं है.
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पुलिस की बर्बरता अभी भी याद है: अर्सलान तारिक

ये बात सबको पता है कि, पुलिस ने बच्चों को किस बर्बरता से पीटा है. मैं ये बात फिर से कहता हूं कि, जामिया की लाइब्रेरी में किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा था. हम लाइब्रेरी में बैठ कर अपने आने वाले एग्जाम के लिए पढ़ाई कर रहे थे, फिर क्यों दिल्ली पुलिस लाइब्रेरी के अंदर आई और हम सब को पीटा?

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अर्सलान ने बताया की पुलिस ने पहले उसकी स्टूडेंट आईडी की जांच की, जहां उसने पुलिस को बताया कि वो सिर्फ एक आंख से ही देख सकता है और लाइब्रेरी में बैठ कर सिर्फ पढ़ाई कर रहा है. ये सब जानते हुए भी पुलिसवाले ने उसे जानबूझकर एक स्टील की रॉड से, उसके पैर हमला किया.

दिल्ली पुलिस को फर्क नहीं पड़ रहा था कि वहां पर कौन खड़ा है, चाहे लड़का हो या लड़की पुलिस सब पर लाठियां बरसा रही थी और गंदी-गंदी गालियां भी दे रही थी. पुलिस बच्चों से बार-बार कह रही थी कि तुम विरोध प्रदर्शन में भाग क्यों ले रहे हो? जब बच्चों ने उनकी इस बात का जवाब देना चाहा और कहा कि, हम सिर्फ लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे और किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहे हैं . तब भी पुलिस ने हमारी एक भी ना सुनी और लाइब्रेरी में मौजूद सारे बच्चों को पीटते हुए उन्हें वहां से निकालने लगी.
अर्सलान तारिक
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अर्सलान ने ये भी बताया की बहुत सारे पुलिस वालों ने अपना चेहरा रुमाल से ढका था ताकि वो लाइब्रेरी के सीसीटीवी कैमरे से बच सकें और यहां तक कि, जब अर्सलान के दोस्तों ने उनकी मदद करनी चाही, तो उन्हें भी उनके बाल से पकड़ कर घसीटा और फिर मारा भी.

बाद में अर्सलान को उस बुरी हालत में जामिया के अंसारी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया.
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मुझे आज भी पुलिस के भयानक सपने आते हैं

जब भी मैं किसी सड़क किनारे चलता हूं और मुझे कोई भी पुलिस वाला दिख जाता है तो मैं बहुत डर जाता हूं, कि कहीं वो एकदम से मेरे पास आकर मुझे मारे ना ...या मुझे धमकाने ना लगे. इसकी वजह से मैं कभी-कभी पढ़ भी नहीं पाता हूं.

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हालांकि फ़िलहाल अर्सलान तारिक जूनियर रिसर्च फेलो के रूप में अपने पीएचडी की तैयारी कर रहें हैं, लेकिन वो अभी भी कहते हैं कि दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई से उन्हें बहुत तकलीफ हुई है और इसका असर उनकी ज़िंदगी में हमेशा रहेगा.

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