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CAA-NRC फिरोजाबाद:“बेटी की मौत के दिन क्या मैं आंदोलन में जाता?”

फिरोजाबाद पुलिस ने गिरफ्तार हुए लोगों और उनके परिवार के आरोपों से इनकार किया है. 

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वीडियो एडिटर- संदीप सुमन

“20 दिसंबर 2019 को मेरी बेटी की मौत हो गई थी, तब मैं प्रोटेस्ट में जाता या अपनी बेटी को देखता?” 4 महीने बाद जेल से छूटकर आने पर मोहसिन ये बात बोलते हुए भावुक हो जाते हैं. दरअसल, मोहसिन पर आरोप है कि 20 दिसंबर 2019 को फिरोजाबाद में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जो प्रदर्शन हुआ था उसके बाद भड़की हिंसा के वक्त मौके पर मौजूद थे.

फिरोजाबाद की पुलिस ने मोहसिन को हिंसा के 8 महीने बाद गिरफ्तार किया था. मोहसिन की मां असगरी बताती हैं, 'पुलिस ने पहले काम देने के नाम पर नाम और पता पूछा था, फिर कुछ दिन बाद अचानक गिरफ्तार किया और CAA-NRC प्रोटेस्ट और दंगे के नाम पर गिरफ्तार कर लिया.

फिरोजाबाद के लोगों में डर

मोहसिन अकेले नहीं हैं, पुलिस पर इस तरह की कार्रवाई के और भी आरोप लगे हैं. 26 साल के अदनान भी उन्हीं में से एक हैं. फिरोजाबाद के लेबर कॉलोनी के रहने वाले अदनान कहते हैं,

“बेगुनाह होकर भी मैंने जेल में 70 दिन गुजारे हैं, न मेरा कोई कुसूर था, न मैंने कुछ किया था. सिर्फ मेरा गुनाह यही है कि मैं मुसलमान हूं. 

अदनान बताते हैं कि दंगे के 6 महीने बाद थाने से उन्हें पुलिस ने फोनकर घर से बुलाया था. जब अदनान थाना गए तो उन्हें वहां गिरफ्तार कर लिया गया.

अदनान के वकील अरविंद अग्रवाल बताते हैं,

वो जो मुकदमा था, उसमें एक आरोपी का नाम था, बाकी सब अज्ञात थे. करीब 250 अज्ञात लोगों पर FIR थी जिसमें लिखा था कि ये लोग हिंसा में शामिल थे. फिर 6 महीने बाद कुछ लोगों का नाम दंगे में मौजूद लोगों की फोटो के आधार पर सामने आया. इन फोटो में से एक में पुलिस ने पहचान की कि वो अदनान थे. इस बिना पर अदनान का नाम 6 महीने के बाद 161 में जोड़ा गया, फिर हमने इसमें बेल कराई. पुलिस के पास कोई खास सबूत नहीं थे, आज भी नहीं हैं. जिस फोटोग्राफ के आधार पर पुलिस ये मान रही है कि अदनान वहां मौजूद थे वो फोटो मान्य सबूत है ही नहीं. इसके सहारे पहचान कर ही नहीं सकते हैं. सिर्फ कुछ लोगों का नाम इसलिए बाद में जोड़ दिया क्योंकि ये लोग किसी खास समुदाय के हैं और 250 लोगों का नाम जोड़ना है तो अपनी मर्जी से नाम जोड़ देते हैं.

पुलिस का आरोपों से इनकार

केस की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने क्विंट से कहा, “आरोप बिल्कुल गलत हैं, हमें इनकी पहचान करने में 6 महीने लग गए. हम लोगों ने 20 दिसंबर 2019 को इन लोगों की एक्टिविटी का पता लगाया, फोटो निकाली. मौके पर इन लोगों की फोटो मिली है. उन्हीं लोगों पर कार्रवाई की गई है, जो मौके पर थे और जिनके हाथ में पत्थर या कोई हथियार थे. उनमें से 100-150 की पहचान कर पाए हैं.”

ट्विटर पर फिरोजाबाद पुलिस की चेतावनी

इसके अलावा अब पुलिस ने इस स्टोरी को लेकर एक ट्वीट भी किया है. कुछ लोगों ने वीडियो के एक हिस्से को काटकर शेयर किया, जिस पर फिरोजाबाद पुलिस ने ट्वीट किया है. पुलिस ने लिखा है कि,

“इन मामलों को लेकर तेज तर्रा विवेचकों की एक एसआईटी गठित की गई है. जिसकी जांच एडिशनल एसपी रैंक के अधिकारी और सभी बड़े अधिकारियों की देखरेख में हो रही है. तफ्तीश के दौरान कार्रवाई ठोस सबूत के आधार पर की जा रही हैं. गलती की कोई गुंजाइश नहीं है. फिर भी किसी को शिकायत है तो वो पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद से मिलकर समाधान कर सकता है. बेबुनियाद तर्कों का सहारा लेकर अफवाह फैलाने से परहेज करें, अन्यथा वैधानिक कार्यवाही के हकदार होंगे.”

फिरोजाबाद  पुलिस ने गिरफ्तार हुए लोगों और उनके परिवार के आरोपों से इनकार किया है. 

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