वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
“मैंने घर के बाहर ‘नागरिकता बचाओ’ पोस्टर के साथ वाली फोटो फेसबुक पर डाली, जिसमें मैंने लिखा- ‘हाऊस अरेस्ट में भी विरोध जारी’. इतना ही मैंने किया. इसके अलावा मैंने कुछ नहीं किया. अगले दिन 11 बजे पुलिस आती है और मुझे नीचे बुलाती है. इसके बाद मुझे हजरतगंज थाने ले जाया गया.”
20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने पूर्व आईपीएस ऑफिसर और एक्टिविस्ट एसआर दारापुरी को गिरफ्तार किया था. लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन से जुड़े मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी.
दारापुरी का आरोप है कि पुलिस ने हिरासत के दौरान बुरा सुलूक किया. उन्होंने प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस पर बर्बरता के आरोप को भी सही ठहराया.
जेल में मेरी मुलाकात कुछ लोगों से होती है. वो मुझे ऐसी चीजें बताते हैं जिसे सुनकर मैं दंग रह जाता हूं. मेरे से पहले जितने लोग गिरफ्तार किए गए थे, उन्हें बुरी तरह से मारा-पीटा गया था. अगर मुसलमान हैं तो 2-2 मार मारा-पीटा गया.एसआर दारापुरी, पूर्व आईपीएस ऑफिसर
दारापुरी बताते हैं कि उस थाने पर केवल दो लोगों की पिटाई नहीं कि गई, एक वो और दूसरे हाईकोर्ट के एडवोकेट मोहम्मद शोएब.
दारापुरी और मोहम्मद शोएब दोनों ही 'रिहाई मंच' से जुड़े हैं. रिहाई मंच ने योगी सरकार के 'फेक एनकाउंटर' के खिलाफ आवाज उठाई थी. दारापुरी ने 2018 में कासगंज हिंसा के दौरान भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे.
इसके अलावा 2019 में बुलंदशहर हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के मामले में भी उन्होंने कुछ राइट-विंग ग्रुप की भूमिका को लेकर चिंता उन्होंने जताई थी.
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