ADVERTISEMENTREMOVE AD

बाल दिवस: सुनिए उर्दू शायर इस्माइल मेरठी की 'नसीहत'

सुनिए इस्माइल मराठी की नज़्म 'नसीहत' जो नैतिक साहस और क्षमा की शक्ति के बारे में बता रही है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कहा जाता है कि अगर किसी को अपनी उर्दू पर काम करना है तो उसे उर्दू शायर इस्माइल मेरठी की नज़्म पढ़नी चाहिए. इस्माइल मेरठी ने उर्दू नज़्म ने बच्चों के लिए खूब कविताएं लिखी हैं. लेकिन उनकी नज़्मों को पढ़ते हुए एक बात का ध्यान हमेशा रखना चाहिए कि भले ही वो अपनी नज़्मों में बच्चों से सम्बोधित होते हैं. लेकिन उनकी नज़्में एक बड़े उद्देश्य की तरफ इशारा करती हैं.

इसीलिए बाल दिवस पर, उर्दूनामा में सुनिए उनकी एक नज़्म, 'नसीहत', जो न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी सुन्नी चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

करे दुश्मनी कोई तुम से अगर

जहाँ तक बने तुम करो दरगुज़र

करो तुम न हासिद की बातों पे ग़ौर

जले जो कोई उस को जलने दो और

अगर तुम से हो जाए सरज़द क़ुसूर

तो इक़रार ओ तौबा करो बिज़्ज़रुर

बदी की हो जिस ने तुम्हारे ख़िलाफ़

जो चाहे मुआफ़ी तो कर दो मुआफ़

नहीं, बल्कि तुम और एहसाँ करो

भलाई से उस को पशेमाँ करो

है शर्मिंदगी उस के दिल का इलाज

सज़ा और मलामत की क्या एहतियाज

भलाई करो तो करो बे-ग़रज़

ग़रज़ की भलाई तो है इक मरज़

जो मुहताज माँगे तो दो तुम उधार

रहो वापसी के न उम्मीद-वार

जो तुम को ख़ुदा ने दिया है तो दो

न ख़िस्सत करो इस में जो हो सो हो

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×