जब कभी आप कर कोई शब्दों से हमला करता है तो घर के बुजुर्ग अक्सर बचाव में खड़े हो ही जाते हैं.
ऐसा ही हुआ है नारियल तेल के साथ. जीहां, हमला हुआ हार्वर्ड की एक प्रोफेसर की तरफ से और केरल की बुजुर्ग, प्यारी, तजुर्बेकार ‘अम्माएं’ सामने आ गईं जवाब देने. हार्वर्ड की प्रोफेसर डॉ. कैरिन मिशेल्स ने कुछ दिन पहले कहा कि नारियल का तेल शुद्ध जहर की तरह है. इसके समर्थन में उन्होंने कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी पेश किए. उन्होंने तो नारियल तेल को लेकर ये तक कह दिया कि ये उन ‘सबसे खराब चीजों में से है जो आप खा सकते हैं.’
लेकिन मिशेल्स के तथ्यों के सामने केरल की तीन महिलाएं अपने सालों के तजुर्बे के जरिए बता रही हैं कि नारियल तेल से तनिक भी नुकसान नहीं.
75 साल की सीता वेंकटचलम कहती हैं:
केरल में हर कोई नारियल इस्तेमाल करता है. मेरी दादी, मेरी आंटी, सबने इसे सालों तक इस्तेमाल किया. हम इसे नहाने, खाना बनाने और दूसरी चीजों में काम में लेते हैं. उनमें से किसी को दिल की कोई बीमारी नहीं हुई. केरल के 90 फीसदी लोग नारियल तेल का इस्तेमाल करते हैं. इसकी वजह से उन्हें सेहत संबंधी कोई समस्या नहीं है.
71 साल की रमानी रे भी बाकी मलयालियों की तरह नारियल तेल-प्रेमी हैं. वो भी सीता की बात से सौ फीसदी सहमत नजर आती हैं:
सब्जियां बनानी हों, फ्राय करना हो या नॉन वेज बनाना हो, हम हर चीज नारियल तेल में ही पकाते हैं. कोई दिक्कत नहीं है. हम सेहतमंद हैं.
66 साल की सुंदरी उन्नीकृष्णन ने हार्वर्ड प्रोफेसर मिशेल्स को चुनौती दी है कि वो पहले खुद साल भर तक नारियल तेल का इस्तेमाल करें और फिर अपने दावे पर बात करें.
आप नारियल तेल के खिलाफ हो लेकिन मैं आपसे कहना चाहती हूं कि इसे साल भर तक इस्तेमाल करें. नारियल का शुद्ध तेल. घर का बना हुआ. एक साल तक बाकी कोई तेल इस्तेमाल न कर सिर्फ इसे काम में लें. तब आपको इसके फायदे समझ में आएंगे. उसके बाद कहना कि ये ‘बकवास’ है.
लगता है प्रोफेसर मिशेल्स को इन तीन तजुर्बे वाली महिलाओं का चैलेंज ले लेना चाहिए!
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