वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता
बीजेपी के 'यंग' और 'एनर्जेटिक' बेंगलुरु दक्षिण सीट से सांसद तेजस्वी सूर्या नफरती वायरस की चपेट में हैं. हालांकि नफरती और झूठा वायरस पुराना है, बस वक्त-वक्त पर अपना नए सिरे से असर दिखाता रहता है. दिक्कत है कि ये नफरती वायरस कोरोना वायरस के काल में भी सर उठा रहा है. और ऐसा नहीं है कि इस नफरती वायरस की चपेट में ये अकेले हैं, ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी मंडली के कुंडली में 'नफरती दोष' है.
जब भारत कोरोना वायरस से जुझ रहा है, अस्पताल में ICU बेड मिलने की खुशी ऐसी है जैसे कोई नया जीवनदान मिला हो, श्मशान में नोटबंदी सी लंबी लाइन है, लेकिन ऐसे हालात में भी इस देश में नफरत और झूठ के वायरस का अटैक रुक नहीं रहा है.
बंगाल से बेंगलुरु तक कम्युनल कार्ड चले जा रहे हैं, जब फोकस वैक्सीन, इलाज, ऑक्सीजन पर होना चाहिए, तो कुछ नेता, फिल्मी एक्टर, एक्ट्रेस नफरत की गोली बांट रहे हैं. जब सिस्टम की एक-एक मिनट की देरी लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही तो भी ये लोग और खासकर सत्ता में बैठे लोग नफरत फैलाने के लिए वक्त कहां से ला रहे हैं, और क्यों ला रहे हैं? इसलिए हम पूछ रहे हैं जनाब ऐसे कैसे?
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से इस देश में 12 मई तक ढाई लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. 1 मई से 12 मई 2021 के बीच यानी इन 12 दिनों में हर मिनट 2 से ज्यादा लोगों की जान गई है.
ऑक्सीजन की सप्लाई तो धीमी है लेकिन नफरत की सप्लाई स्पीड में हो रही है.
ऐसे वक्त में जब किसी को बेड मिलने में मिनटों की देरी जानलेवा हो रही है तो BJP सांसद तेजस्वी सूर्या और तीन BJP विधायक बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के कोविड वॉर रूम पहुंचे. एक लिस्ट निकाली और वॉर रूम के मुस्लिम कर्मचारियों और अफसरों के नाम पढ़े. इन लोगों पर सूर्या ने बेड अलॉटमेंट घोटाला करने का आरोप लगाया. वजह पता नहीं, लेकिन बाद में सूर्या ने इस बर्ताव के लिए माफी मांगी. लेकिन इनकी 'मासूम' माफी से क्या होगा?
कंट्रोल रूम को डिस्टर्ब करने का जघन्य अपराध का क्या? इस डिस्टर्बेंस के कारण जिन मरीजों को बेड मिलने में देरी हुई, उसकी जवाबदेही कौन लेगा? वॉर रूम के जिन लोगों का नाम सूर्या ने लिया, उनके नंबर सोशल मीडिया पर लीक किए गए, उन्हें धमकियां मिलीं. इस गुनाह की सजा सूर्या को सरकार क्यों नहीं देती? क्या सत्ता की शह है?
ऐसे इनको नफरत की बीमारी पुरानी है. वे बेंगलुरु को आतंक का केंद्र बता चुके हैं. नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को अनपढ़, पंक्चरवाला कह चुके हैं.
मौत में भी कम्यूनल एंगल
वहीं दूसरी ओर बीजेपी के IT सेल के हेड अमित मालविया कोरोना में हिंदुओं की मौत क्यों दिखाया जा रहा है, इस बात से आहत हैं. इन जनाब का ऐसा है जैसे बैठे-बैठे करना है कुछ काम, चलो सांप्रदायिक एंगल निकालकर मचाते हैं कोहराम.
अमित मालविया ट्विटर पर श्मशान की जलती चिता से या कुंभ के बाद कोरोना फैलने से आहत नहीं हैं, उनकी दिक्कत है कि जुमे की नमाज में भीड़ और कब्रिस्तान की बात क्यों नहीं हो रही.
नफरत में इतना डूबे हैं कि बंगाल चुनाव में हार के बाद हिंसा की खबरों में भी हिंदू मुस्लिम कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में एक वीडियो शेयर करते हुए विशेष तौर पर लिखा है कि टीएमसी के "मुस्लिम गुंडे" नंदीग्राम में बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं को पीट रहे हैं. लेकिन नंदीग्राम के स्थानीय सूत्रों ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि विजयवर्गीय ने जो वीडियो शेयर किया था, वह निजी विवाद का था, इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था.
झूठ का होलसेल कारोबार
नफरत के साथ झूठ का कारोबार भी होलसेल में जारी है. पश्चिम बंगाल बीजेपी के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर बंगाल में हिंसा को लेकर एक वीडियो शेयर किया गया. बीजेपी ने दावा किया कि उनके एक पार्टी कार्यकर्ता की टीएमसी से जुड़े कुछ लोगों ने हत्या कर दी. लेकिन वीडियो में जिस शख्स की तस्वीर थी असल में वो एक पत्रकार हैं और जिंदा हैं. नाम है अभरो बनर्जी. अभरो ने खुद ट्वीट कर कहा कि वो जिंदा हैं.
कुल मिलाकर डिनायल मोड के साथ-साथ डिस्ट्रैकशन मोड भी ऑन है. बस किसी तरह इस देश को हिंदू-मुसलमान में उलझाए रखो. नफरत फैलाने वालों को कौन बताए कि जिन तबलीगी जमात वालों को कोरोना बम जैसी बदनामी दी वो पहले प्लाज्मा दे रहे थे और अब कोरोना से मरने वाले अपने हिंदू साथियों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. जिन्हें खालिस्तानी कहते हैं वो ऑक्सीजन लंगर लगा रहे हैं.
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