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CJI केस पर बोले प्रशांत भूषण, महिला के पास कोई बड़ा विकल्प नहीं

प्रशांत भूषण ने सीजेआई के खिलाफ केस के बारे में की क्विंट से खास बातचीत 

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला फिलहाल काफी हताश है. क्योंकि उसे लगता है कि उसने 30 पेजों की अपनी शिकायत काफी विस्तार में दी थी. ये कहना है सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील प्रशांत भूषण का, जिन्होंने क्विंट के साथ इस मामले पर खास बातचीत की.

उन्होंने आगे कहा, यौन उत्पीड़न की शिकायत के बाद अब उनके पास कोई और विकल्प नहीं रह जाता है. ज्यादा से ज्यादा अब वो महिला चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ क्रिमिनल केस फाइल कर सकती है, लेकिन इसके लिए भी उसे पहले राष्ट्रपति से इजाजत लेनी होगी. लेकिन ऐसे हालात में उसे इजाजत मिलती है या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमिटी ने शिकायतकर्ता को रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया. कानून क्या कहता है?

यौन उत्पीड़न कानून के मामले में रिपोर्ट की एक कॉपी शिकायतकर्ता को देना जरूरी है. इस मामले में कमिटी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को रिपोर्ट की कॉपी दी है, लेकिन आखिर शिकायतकर्ता को क्यों नहीं? इसके लिए उनकी तरफ से इंदिरा जयसिंह केस के फैसले का हवाला दिया गया. जो आरटीआई के दौर से भी पहले का केस है. साथ ही इस केस में तीसरी पार्टी की तरफ से इन हाउस कमिटी की रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन यहां तो शिकायतकर्ता खुद रिपोर्ट की मांग कर रही है. वो जानना चाहती हैं कि किस आधार पर उनके आरोपों को गलत साबित किया गया. कमिटी ने क्या और किन सबूतों के आधार पर जांच की. महिला ने बोबड़े कमिटी को रिपोर्ट की कॉपी देने के लिए लिखा है. अगर वो रिपोर्ट की कॉपी मुहैया नहीं करवाते हैं तो वो इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकती हैं.

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क्या इन हाउस कमिटी की रिपोर्ट सार्वजनिक हो सकती है?

इसे शिकायतकर्ता को दिया जा सकता है और अगर वो चाहे तो इसे पब्लिक डोमेन में भी ला सकते हैं. वो ये कर सकती हैं. रिपोर्ट को उनकी इजाजत के बिना सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.

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शिकायतकर्ता के पास क्या विकल्प हैं?

यौन शोषण के आरोपों के बाद अब महिला के पास सीजेआई के खिलाफ क्रिमिनल केस फाइल करने का विकल्प बाकी है. लेकिन इसके लिए उसे पहले राष्ट्रपति से इजाजत लेनी होगी. अब ये कहना मुश्किल है कि ऐसे हालात में उन्हें इजाजत मिलती है या नहीं. लेकिन अब यही विकल्प उनके पास बाकी है. इसके अलावा वो खुद के टर्मिनेशन को भी चैलेंज कर सकती हैं. वो खुद के खिलाफ दुर्भावना से दर्ज एफआईआर को भी चैलेंज कर सकती हैं. यही नहीं जैसे उसे और उसके पति को गिरफ्तार कर पुलिस ने प्रताड़ित किया इसे लेकर मानावाधिकार का हवाला देते हुए वो खुद के लिए मुआवजे की मांग भी कर सकती हैं. महिला के पति और देवर भी उन्हें नौकरी से निकाले जाने को कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं. वो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में इन सब मामलों में अपील कर सकती है.

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शिकायतकर्ता महिला मौजूदा हालात से कैसे निपट रही हैं?

वो काफी हताश है. क्योंकि उसे महसूस हो रहा है कि 30 पेजों की विस्तार से दी गई शिकायत, एसएचओ के साथ बाचतीत वाले वीडियो और पति को प्रताड़ित करने वाले वीडियो कोर्ट को सौंपने के बाद भी ऐसा हुआ. उन्हें ये तक नहीं पता है कि कमिटी ने इन सभी चीजों के साथ क्या किया? यह काफी अजीब है कि कमिटी बिना चश्मदीदों से पूछताछ किए, बिना महिला की तरफ से दिए गए सबूतों की जांच किए इतनी जल्दी नतीजे तक कैसे पहुंच गई. इसीलिए वो रिपोर्ट की मांग कर रही है.

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क्या महिला क्रिमिनल केस के लिए राष्ट्रपति से शिकायत करेंगी?

यह फैसला उसी का है कि क्या करना है. अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.

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