वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
दिल्ली के गुरुद्वारा मजनू का टीला के दक्षिण में स्थिति यमुना रिवरबेड में पाकिस्तान से आए करीब 900 हिंदू शरणार्थी रहते हैं. झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले इन लोगों को पीने के लिए साफ पानी भी नहीं मिल पाता है और न ही मिलती है बिजली. इन हिंदू शरणार्थियों को लगता है कि नागरिकता संशोधन कानून से उन्हें नई जिंदगी मिल पाएगी.
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर इस रिफ्यूजी कैंप ने मीडिया का बहुत ध्यान खींचा है. यहां रहने वाले कुछ लोगों ने तो पहले से प्रैक्टिस करके रखा है कि उन्हें मीडिया के सामने क्या बोलना है. जब उनसे पूछा गया कि उनकी आगे की जिंदगी कैसे बदलेगी, तो उन्होंने एक सुर में 'जय श्री राम’ का नारा लगाया. उनमें से एक ने जवाब दिया, "हम ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं, हम बस खुश हैं कि हमारे देश ने आखिरकार हमें अपना लिया है."
'भारत इसलिए आए क्योंकि ये हमारा घर है'
नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, जिन्हें वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है.
जब हमने उनके पलायन की वजह जाननी चाही तो कई शरणार्थियों ने भयानक बातें बताई जैसे रेप, हत्या, जबरदस्ती धर्म परिवर्तन, शिक्षा का आभाव. लेकिन कई लोगों ने ये भी कहा कि उन्हें भारत इसलिए आना था क्योंकि यहां उनके पुरखों का घर है.
मैं 2018 में भारत आया क्योंकि मेरे रिश्तेदार यहीं रहते हैं, हमें वहां (पाकिस्तान) ऐसी कोई दिक्कत नहीं थी, हर जगह अच्छे और बुरे लोग तो होते ही हैं*महेश (बदला हुआ नाम)
ये कहना मुश्किल है कि सरकार ये कैसे पता लगाएगी कि जो शरणार्थी भारत में आए हैं वो धर्म के आधार पर प्रताड़ना झेलने के अलावा और किस वजह से आए हैं.
जो लोग 2014 के बाद भारत आए हैं, उनका क्या?
नागरिकता संशोधन कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, इसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी को नागरिकता देने की बात करता है जो देश में 31 दिसंबर 2014 के पहले आए हैं. इस कानून के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवदेन करने के लिए भारत में 11 वर्ष रहने की अनिवार्यता से छूट देते हुए पांच साल कर दिया गया है.
कई शरणार्थी इस बात से अनजान हैं कि सिर्फ उन्हीं को नागरिकता मिलेगी जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हैं. *माजी ठाकुर ने क्विंट को बताया कि वो 2018 में भारत आए हैं- “हमें नहीं पता कि हमें नागरिकता मिलेगी या नहीं, पर उम्मीद है कि मिल जाएगी”
इसी तरह *सविता ने भारतीय नागरिकता देने के लिए प्रधानमंत्री को एक गाना गाकर शुक्रिया अदा किया. वो 2017 में अपने बेटे के साथ भारत आई थी, जब उसे बताया गया कि वह 2014 के बाद आने वाली कट-ऑफ के नियम को पूरा नहीं करती हैं, तो उसने सभी को नागरिकता देने की गुजारिश की.
इस बात से अनजान कि वह कट-ऑफ की शर्तों को पूरा नहीं करती है, *लक्ष्मी ने कहा कि वह खुश है कि वह भारतीय नागरिक बन जाएगी और उच्च शिक्षा हासिल कर पाएगी.
यह पूछे जाने पर कि 2014 के बाद भारत आने वालों के लिए क्या होगा और वे नागरिकता हासिल करने के योग्य नहीं होंगे, *राजेश ने कहा, “नागरिकता के साथ या उसके बिना, सभी हिंदू केवल भारत में रहेंगे. 5 साल, 6 साल...इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वे वापस नहीं जाएंगे."
'पाकिस्तान में हिंदू होना जुर्म से कम नहीं'
पाकिस्तान में उत्पीड़न के मामलों को याद करते हुए कई शरणार्थी भारत में बेहतर जिंदगी के लिए कोशिश कर रहे हैं.
हममें से कई लोग छोटे किसान हैं, हमने नरक से भी बदतर जिंदगी जी है, पाकिस्तान में हमारे बच्चों को इस्लाम की तालीम मिलती थी, हमारे घर की औरतों के साथ रेप किया जाता था, हमें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता था.राजेश, शरणार्थी
एक अन्य शरणार्थी ने कहा, "हमारे परिवार के कुछ सदस्य अभी भी वहां हैं और उन पर अत्याचार हो रहा है."
कई वर्षों तक देश से निकाल दिए जाने के लगातार मंडराते खतरे में रहने के बाद, अब देश की राजधानी के बीच रहने वाले इन शरणार्थियों को उम्मीद है कि सरकार भ्रम दूर करेगी. उन्हें भारत के नागरिक बनने का इंतजार है.
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