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कांग्रेस कार्यसमिति: खाया पिया कुछ नहीं, गिलास फोड़ा बारह आना

कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के लिए होंगे चुनाव, तब तक सोनिया गांधी बनी रहेंगी

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वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी

कांग्रेस में कई दिनों से उथल-पुथल चल रही है. आज पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक में भी हंगामा देखने को मिला. लेकिन अंत में फैसला ये हुआ कि फिलहाल सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अध्यक्ष बनी रहेंगी. CWC बैठक से पहले कुछ कांग्रेसी नेताओं ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बदलाव की मांग उठाई थी. बैठक के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस ने ऐसे नेताओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मीडिया और सार्वजनिक तौर पर मुद्दे उठाने की बजाय पार्टी फोरम का इस्तेमाल किया जाए.

हालांकि, बैठक के बाद कोई हड़कंप मचाने वाली खबर सामने नहीं आई है. सोनिया गांधी को जो चिट्टी लिखी गई थी, उसे एक तरह से साइडलाइन कर दिया गया. 7 घंटे की CWC बैठक के बाद ये सामने आया कि सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश को खारिज करते हुए उनसे छह महीने और अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का निवेदन किया गया है. इस बीच अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा.

पार्टी ने उठापटक को कैसे मैनेज किया?

सोनिया गांधी को लिखी गई चिट्ठी पर गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक जैसे कद्दावर कांग्रेसी नेताओं के साइन थे. चिट्ठी लिखने वाले कई नेता CWC के सदस्य भी हैं. तो ऐसे में आशंका थी कि CWC बैठक में भारी उठापटक देखने को मिल सकती है. लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. पार्टी ने इसे मैनेज कर लिया था और वो भी एक दिन पहले ही.

23 अगस्त को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल जैसे नेताओं ने गांधी परिवार के समर्थन में ट्वीट किया था. पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने कह दिया था कि 'ये इन मुद्दों का समय नहीं है.' कुछ नेताओं ने राहुल गांधी से पार्टी की कमान दोबारा संभालने की अपील की.

चिट्ठी क्यों लिखी गई?

ये सवाल उठ रहा है कि सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वालों ने कोई और नतीजे की उम्मीद क्यों की थी? क्योंकि चिट्ठी लिखने वाले समूह में वो लोग शामिल हैं, जो असंतुष्टों को निकालने का अच्छा अनुभव रखते हैं. सीताराम केसरी को कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाने की योजना को लागू करने वालों में गुलाम नबी आजाद और मुकुल वासनिक शामिल रहे हैं.

इन वेटरन नेताओं को ये इल्म था कि वफादारी की कसमें खिलाकर हमें आउटनंबर कर दिया जाएगा. लेकिन फिर भी इन्होंने अपनी बात रखी क्योंकि शायद इन्हें ऐसा लग रहा है कि पार्टी इनके साथ खराब व्यवहार कर रही है.

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