वीडियो एडिटर- पूर्णेंदु प्रताप
“यह वीडियो आपको विचलित कर सकता है, सरकार की आलोचना बर्दाशत न करने वाले इसे जरूर पढ़ें. क्या पता आपका दिल मौत की बात सुनकर पसीज जाए और आप सवाल करने लगें. हमारा मकसद आपको डराना नहीं है, बल्कि सच बताना है.”
सच ये है कि 6 मई 2021 तक कोरोना से कुल 2,30,168 लोगों की मौत हो चुकी है.
आपको थोड़ा फ्लैशबैक में ले चलते हैं. ठीक 2 हफ्ते पहले, 22 अप्रैल 2021- कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा 1,84,657 था. मतलब दो हफ्तों में 45 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई. यानी हर घंटे 126 लोगों को कोरोना और 'सिस्टम' ने मार दिया.
कोरोना के दूसरे वेव को आए दो हफ्तों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अब भी सोशल मीडिया पर मदद की आवाज गूंज रही है, अब भी 3000 हजार की दवा 30 हजार में मिल रही है. अस्पतालों में बेड के लिए तड़प जारी है. और अब भी अस्पताल मरीजों की जान बचाए रखने के लिए अदलातों से ऑक्सीजन की गुहार लगा रहे हैं. इसलिए हम डिनायल मोड वाले 'सिस्टम' से पूछ रहे हैं, जनाब ऐसे कैसे?
अगर मोदी नहीं, तो और कौन?
एक सवाल जो हर चुनाव से पहले उठता है, If not Modi, then who? मतलब अगर मोदी नहीं, तो और कौन? लेकिन अब इस सवाल का जवाब क्या होगा- दो हफ्ते से देश हांफ रहा है, श्मशान तप रहे हैं. अब इन सबका जिम्मेदार कौन है? कौन?
मेरे सवाल से विचलित हो सकते हैं. लेकिन अदालतों पर तो यकीन है न? चलिए आपको अदालतों ने क्या कहा है वो बताते हैं.
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- ऑक्सीजन की कमी से कोरोना के मरीजों की मौत नरसंहार से कम नहीं.
- केंद्र सरकार से दिल्ली HC ने पूछा- ऑक्सीजन को लेकर आप पर अवमानना का केस क्यों न चलाया जाए.
- दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा-‘आप अंधे हो सकते हैं, हम नहीं’.
4 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई न होने के चलते COVID-19 के मरीजों की मौत होना अपराध है और नरसंहार से कम नहीं है.
ये वही उत्तर प्रदेश है जहां, सरकार बार-बार दावा करती रही है कि कहीं भी ऑक्सीजन की कमी नहीं है.
सबसे हाई प्रोफाइल शहर...
दिल्ली में आम आदमी से लेकर बड़े और छोटे अस्पताल अदालत से ऑक्सीजन दिलवा दीजिए कह रहे हैं. हाल ये है कि अदालत के कहने के बाद भी ऑक्सीजन नहीं मिलता है. इसलिए अब हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वो लिखित में इस बात का जवाब दे कि उन पर कोर्ट की अवमानना का केस क्यों नहीं चलाया जाए? क्यों केंद्र ने दिल्ली को आदेश के अनुसार ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की. हाईकोर्ट कह रहा है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करने को कहा था और 1 मई को हमने भी यही आदेश दिया था. फिर भी इसका पालन नहीं किया गया. आखिर क्यों?
और तो और केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के अवमानना का केस वाले आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे डाली. लेकिन हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा है कि हम चाहते हैं कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए केंद्र को एक मौका दिया जाए. अब 3 हफ्ते की तनातनी के बाद 5 मई को दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली
दलील है कि दूसरा वेव आएगा पता नहीं था, लेकिन सवाल है कि पहले वेव से क्या सीखा? क्यों नहीं तैयारी हुई?
'मेड इन इंडिया' वेंटीलेटर कहां हैं?
जुलाई 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि COVID अस्पतालों को पीएम केयर्स फंड के जरिए 50,000 'मेड इन इंडिया' वेंटीलेटर मिलेंगे. वो वेंटिलेटर कहां है?
4 महीने में एक करोड़ कोरोना के केस
भारत में 15 अप्रैल से रोजाना 2 लाख से ज्यादा नये कोविड-19 के मामले दर्ज किए जा रहे हैं. भारत में कोरोना मरीजों की कुल संख्या दो करोड़ के पार हो गई है. बीते चार महीने में ही एक करोड़ संक्रमित मिले हैं. जबकि, इससे पहले एक करोड़ केस आने में दस महीने में लगे थे. लेकिन इतने दिनों में तैयारी 'ढाक के तीन पात'.
अभी हाल ही में मीडिया ने उछल-उछलकर खबर सुनाई की पीएम केयर्स फंड से प्रभावित राज्यों में Pressure Swing वाले 551 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाएगी सरकार. अब इस पर एक कहावत है. भोज के समय कोहड़ा रोपना. आप इसे ऐसे समझिए कि जब आपकी सांसे निकल रही हो तो मीडिया और सरकार आपको हेडलाइन देकर जिंदा रहने के लिए कहे.
इस 551 ऑक्सीजन प्लांट के वादे से पहले ये भी जान लीजिए कि साल 2020 में 162 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने के लिए पीएम केयर्स फंड से करीब 201 करोड़ रुपए अलॉट किए गए थे. लेकिन अब तक सिर्फ 33 ही इंस्टॉल किए गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मई 2021 के अंत तक 80 PSA ऑक्सीजन प्लांट लग जाएंगे.
अब जिनकी सांसे अटक रही हैं उन्हें कैसे कहें कि बैठक, समीक्षा, बातचीत, कोर्ट केस सब चल रहा है आप थोड़ा इंतजार कीजिए. जनाब ऐसे कैसे?
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