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बिहार: ‘कोरोना से नहीं साहब, क्वॉरन्टीन सेंटर से डर लगता है’

बिहार मधुबनी के महपतिया गांव के क्वॉरन्टीन सेंटर में ना सोने को बिस्तर, ना खाना ना सफाई.

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वीडियो एडिटर- कुणाल मेहरा

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लॉकडाउन होने की वजह से काम बंद हो गया, मजबूरी में बनारस से वापस आना पड़ा, हम लोग यहां 12 मई को आए हैं, लेकिन अबतक हम लोगों को इस क्वॉरन्टीन सेंटर में साबुन तेल तो दूर की बात है खाने तक को नहीं मिला, खाना घर से मंगाना पड़ रहा है. कोई सुविधा नहीं दी गई. कहा जाता है आप लोगों को रहना है तो रहिए, नहीं तो अपने घर चले जाइए.

ये बात हमें बताते हुए जियाउल मुस्तफा बेहद गुस्से में नजर आते हैं, मुस्तफा फिलहाल, बिहार के महपतिया गांव के क्वॉरंटीन सेंटर में रह रहे हैं. उनकी तरह ही इस क्वॉरन्टीन सेंटर में करीब 50 लोग रह रहे हैं. कोरोना वायरस को रोकने के लिए पूरा देश लॉकडाउन में है. लाखों मजदूर और कामगार शहर छोड़ अपने गांव की तरफ लौट रहे हैं. ऐसे में जो लोग बिहार लौट रहे हैं उन्हें सरकार 14 दिनों के लिए सरकारी स्कूल या किसी सरकारी बिल्डिंग में बने क्वॉरन्टीन सेंटर में रखे जा रहे हैं. लेकिन मधुबनी के इस सेंटर पर मजदूर प्रवासी की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं.

कहीं डेस्क, कहीं जमीन पर सो रहे मजदूर

नूर मोहम्मद स्कूल में लगे डेस्क और बेंच को उठाकर दिखाते हुए कहते हैं कि हम लोगों को सोने के लिए यही मिला है. कुछ लोग जमीन पर सो रहे हैं, सरकार की तरफ से ना दरी मिली, ना चादर, गद्दा तो दूर की बात है. अपने घर से प्लास्टिक, चादर और बोरा मंगाकर सो रहे हैं.

मई की गर्मी में सबको पंखा तक नहीं मिला

प्रवासी मजदूर मोहम्मद मुश्ताक बतातें हैं, “50 लोग रह रहे हैं इसमें, लेकिन सिर्फ दो रूम खुला है, उसमें भी इतने सारे लोगों के लिए सिर्फ दो पंखा लगा है, बाकि लोग जो बरामदे में सोते हैं उनके लिए कुछ नहीं है.”

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मच्छर और गंदगी से बीमारी का डर, 50 लोगों के लिए सिर्फ दो शौचालय

क्वारन्टीन सेंटर में रह रहे जियाउल बताते हैं कि गंदगी बहुत है, रात में मच्छर काटता है. “50 लोगों के लिए सिर्फ दो शौचालय है. कोरोना की वजह से बाद में पहले गंदगी और मच्छर से लोग बीमार होंगे.”

सरकारी अफसर की नाराजगी

जब क्वॉरन्टीन सेंटर की हालत के बारे में मधेपुर के सर्किल ऑफिसर रोहित कुमार से क्विंट ने बात करनी चाही तो उन्होंने बड़े हलके अंदाज में कहा कि मुखिया से बात हो गई है सब ठीक हो जाएगा. जब हमने उनसे लोगों को खाना नहीं मिलने और सेंटर के एक्टिव होने की बात कही तब वो नाराज हो गए, बोले खुद आकर देख लीजिए. उन्होंने कहा, “काम कर रहा है या नहीं उससे मतलब नहीं है, हम लोग कल गए थे तो हो काम रहा था. आप आएं हैं कभी?”

जब क्विंट ने उनसे खाने के बारे में फिर सवाल किया तो वो कहने लगे खुद आइए, आप आए हैं या नहीं? आपको रहना है रहिए वहां, नहीं जरूरत है आपको आने की.

क्विंट ने क्वॉरन्टीन सेंटर के बारे में मधुबनी के डीएम डॉक्टर नीलेश से बात की तो उन्होंने कहा कि मधुबनी के इस इलाके में बहुत से लोग बाहर रहते हैं, ऐसे में प्रवासी उम्मीद से ज्यादा वापस आ गए हैं, लेकिन हम लोग सबके इंतजाम की कोशिश कर रहे हैं, जिन लोगों को दिक्कत हो रही है उन्हें दूसरे क्वॉरन्टीन सेंटर में शिफ्ट कर दिया जाएगा.

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