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कैसे खत्म होती है महामारी, ये कौन तय करता है? 

दुनिया भर में अब तक COVID-19 से लाखों की मौत हो चुकी है

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

महामारी.

ये कैसे खत्म होती हैं? और ये किसके लिए खत्म होती हैं? शायद, एक सवाल और है, कौन तय करता है कि महामारी खत्म हो गई है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि महामारी के खत्म होने के आमतौर पर दो तरीके हैं-

  • मेडिकल - जब केस और मौतों की संख्या तेजी से कम हो जाए
  • सामाजिक - जब महामारी या बीमारी का डर खुद ही खत्म हो जाए

तो पहले कौन सा आता है? कोई नहीं जानता. ये पहले मुर्गी या अंडे के सवाल जैसी वाली स्थिति है.

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सामाजिक तौर पर महामारी मौजूद रहेगी

उदाहरण के लिए इबोला. 2014 -2016 के बीच, पश्चिम अफ्रीका इस बीमारी की जद में था. मार्च 2014 से जनवरी 2016 के बीच महामारी के ऑउटब्रेक से पश्चिम अफ्रीका के छह देश प्रभावित हुए थे. 11,315 लोगों की मौत हुई थी लेकिन जब बीमारी खुद नहीं रही, तब भी बीमारी का डर मौजूद रहा.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि डर और अज्ञानता से लड़ना भी वायरस से लड़ने जितना जरूरी है. इसमें रेस, क्लास, प्रिविलेज और भाषा जैसे फैक्टर की बड़ी भूमिका रहती है.

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इतिहास क्या बताता है

ब्यूबोनिक प्लेग, ब्लैक डेथ से शुरुआत करते हैं. चीन में शुरू हुई मध्यकालीन महामारी. पिछले 2000 सालों में कई बार इस प्लेग ने हमला किया और लाखों लोगों की जान ली.

आखिरी ब्यूबोनिक प्लेग 19वीं सदी में आई थी और फिर खत्म हो गई, गायब हो गई और किसी को नहीं पता क्यों. लेकिन एक्सपर्ट्स ठंडे मौसम से लेकर बैक्टीरिया में बदलाव और उसके कैरियर चूहे में बदलाव को कारण बताते हैं.

स्मॉलपॉक्स

अकेली बीमारी जिसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया और कई सारी वजहों ने इसमें काम किया गया. एक बार लगाई जाने वाली प्रभावी वैक्सीन बना ली गई.

  • कोई जानवर होस्ट नहीं था, तो सिर्फ इंसानों के बीच से खत्म करनी थी.
  • असामान्य लक्षणों की वजह से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और क्वॉरंटीन करना ज्यादा आसान था.

लेकिन बीमारी 3000 सालों तक रही, सबसे खौफनाक और दर्दनाक बीमारियों में से एक थी, हर 10 में से 3 मरीजों की मौत हो जाती थी.

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आखिरी बड़ी महामारी 1918 का स्पेनिश फ्लू ऑउटब्रेक

अनुमान है कि दुनियाभर में 5-10 करोड़ लोगों की मौत हुई थी, भारत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. आखिरकार खत्म हुआ जब उसने कॉमन फ्लू का बिनाइन रूप ले लिया.

COVID -19 कैसे खत्म होगा?

वैश्विक स्तर पर अब तक COVID-19 से साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. 65 लाख से ज्यादा पॉजिटिव केस हैं लेकिन इन आंकड़ों के बावजूद ऐसा अनुमान है, और कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि COVID-19 मेडिकल स्तर पर खत्म होने से पहले, समाजिक स्तर पर खत्म हो सकता है. मतलब वैक्सीन या दवाई मिलने से पहले वैश्विक स्तर पर लॉकडाउन से लोग थक रहे हैं, परेशान हो रहे हैं.

इसकी वजह से अर्थव्यवस्था का नुकसान हो रहा है शायद ऐसे ही बीमारी का डर खत्म हो जाएगा लेकिन जो पक्का है वो ये कि हमेशा के लिए नहीं खत्म होने वाला.

WHO कह रहा है कि शायद वायरस कभी नहीं जाएगा और बाकी एंडेमिक वायरस की तरह, हमें COVID-19 के साथ रहने की आदत डालनी होगी, अगर मेडिकल हल निकल आता है तो भी वायरस लंबे समय तक रहेगा, बाकी सभी महामारी की तरह, लेकिन ये भी खत्म हो जाएगा, बस हमें एक बदली हुई दुनिया में रहना होगा, नए प्रोटोकॉल और बदली हुई सच्चाई के साथ.

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