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भोपाल: ‘पता नहीं था हमारे ऊपर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल हो रहा’

750 रुपये देकर अस्पताल बिना बताए कर है कोरोना फेज 3 का ट्रायल रन   

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वीडियो एडिटर: विवेक गुप्ता

40 साल की राधा वाल्मीकि, भोपाल के शंकर नगर इलाके में रहती हैं . ये भोपाल का वो इलाका है जहां पर भोपाल गैस ट्रेजेडी ( यूनियन कार्बाइड गैस) के पीड़ित लोग रहते हैं.

राधा और उनकी कॉलोनी के अन्य सदस्यों को एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज- पीपल्स कॉलेज ऑफ मेडिसिन साइंस ने ये कहकर बुलाया कि उनका निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण होगा और उसके साथ उन्हें ₹750 भी मिलेंगे . लेकिन उनमें से बहुतों को ये नहीं पता था कि ये पैसे उन्हें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के फेस 3 ट्रायल में भाग लेने के लिए दिए जा रहे हैं.

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नहीं दी गई ट्रायल की जानकारी

भोपाल के शंकर नगर इलाके में राधा वाल्मीकि की तरह ही कॉलोनी के अन्य लोग जैसे जितेंद्र नरवरिया, हरि सिंह गोंड और छोटा दास बैरागी ने बताया कि हमारे यहां एक हॉस्पिटल की गाड़ी घूम रही थी और उन्होंने हमें ये आश्वासन दिया कि वो हमारा निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण करेंगे और जुखाम, खांसी , गठिया जैसी बीमारियों का फ्री में पीपल्स अस्पताल में इलाज भी करेंगे .

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जिसके बाद बस्ती के ज्यादातर लोग अस्पताल पहुंच गए. जहां उन्हें बताया गया कि उन्हें वैक्सीन के ट्रायल के लिए यहां लाया गया है. लेकिन इसके अलावा उन्हें टीकाकरण के बारे में कोई भी स्पष्टता नहीं दी गई. जिसके बाद अस्पताल ने उन्हें कहा कि अगर उन्हें इस वैक्सीन के टीकाकरण के बाद कुछ भी दिक्कत ,परेशानी या टीकाकरण से जुड़ा कोई दुष्प्रभाव होती है तो, वो अस्पताल आकर दिखा सकते हैं .

NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक पीपल्स अस्पताल इस इलाके से सिर्फ आधे किलोमीटर दूर है. 1984 भोपाल गैस ट्रेजेडी के सबसे प्रभावित लोग इसी बस्ती में रहते हैं और उनके पास पैसा कमाने का कोई साधन नहीं है इसलिए कथित रूप से अस्पताल ने इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को फेस 3 ट्रायल के लिए चुना. 
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भोपाल में चल रहा है कोवैक्सीन ट्रायल

भोपाल के पीपल्स हॉस्पिटल में नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही कोरोना का टीकाकरण चल रहा है . जहां पर फेस 3 ट्रायल के लिए 1000 वॉलिंटियर्स को कोवैक्सीन का टीका दिया गया है .

क्विंट से खास बातचीत में राधा वाल्मीकि ने बताया कि जब वो अस्पताल पहुंचीं तो पहले उनकी खून की जांच हुई. जिसके बाद डॉक्टर ने उनका एक पन्ने पर अंगूठा लगवा कर उन्हें 6 दिसंबर को पहला वैक्सीन का टीका लगाया.

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वाल्मीकि ने बताया की चेकअप के बाद एक डॉक्टर ने उनसे उनका पेशा और परिवार के बारे में पूछा . जिसके बाद उन्हें एक दूसरे कमरे में भेज दिया गया जहां उन्हें वैक्सीन लगा गया . टीका लगने के बाद उन्हें कोई भी स्वास्थ्य समस्या होने पर डायरी में टिक करने को कहा गया और अंत में उन्हें ₹750 का चेक दे दिया गया.

हालांकि ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार किसी भी वालंटियर को कोरोना वैक्सीन का टीका मिलने से पहले उसकी काउंसिलिंग करनी होती है, जिसके बाद मेडिकल चेकअप होता है .फिर उसे लिखित रूप से देना होता है , कि वो इस ट्रायल रन में भाग लेने के लिए इच्छुक है.

उन्होंने न तो मुझे COVID वैक्सीन परीक्षण के बारे में जानकारी दी और न ही उन्होंने मुझे कोई सहमति पत्र मांगा, लेकिन मैं पूरी तरह से ठीक हूं.
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कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाने के 2 दिन बाद शंकर नगर बस्ती के 25 वर्षीय दास को अस्पताल से फोन आया कि आप कोविड पॉजिटिव हैं और जल्द ही अस्पताल आ जाइए.

अस्पताल पहुंचने के बाद मुझे डॉक्टरों ने दवाइयों की एक पर्ची थमा दी और कहा कि इसे बाहर किसी मेडिकल शॉप से ले लेना और खुद को घर में सेल्फ आइसोलेट कर लो. जब मैंने देखा कि दवाइयों का दाम तो 700-800 रुपए तक है , तो मैंने एक भी दवाई नहीं खरीदी और घर वापस आ गया .
छोटा दास , शंकर नगर, भोपाल

छोटा दास ने बताया कि वैक्सीन लेने के बाद उन्हें खांसी, जुखाम और रीड की हड्डी में बहुत दर्द हो रहा है. हालांकि अभी उनकी इस दिक्कतों का कारण सीधा वैक्सीन के टीकाकरण से तो नहीं, अभी इसकी पुष्टि होनी बाकी है .

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नसरीन जो भोपाल गैस ट्रेजडी से प्रभावित लोगों की मदद करती हैं, उन्होंने बताया कि, कोवैक्सीन के फेस 3 ट्रायल में जिन 1,000 वॉलिंटियर्स ने भाग लिया था उनमें से 70-80% वॉलिंटियर्स इन्हीं भोपाल गैस ट्रेजेडी प्रभावित कॉलोनी ( शंकर नगर, दया बस्ती, गरीब नगर, जेपी नगर ,शिव शक्ति मार्केट और टिंबर मार्केट) से हैं.

कोरोना वैक्सीन ट्रायल कराने का जो भी मापदंड था, उसे इस प्राइवेट अस्पताल ने तोड़ा है इन गरीब लोगों को मुफ्त मेडिकल चेकअप और ₹750 का लालच देकर इन्हें बिना कोविड वैक्सीन ट्रायल के बारे में जानकारी दिए, इन्हें कोवैक्सीन टीका दिया गया है, जो इन लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार है .
रचना ढींगरा, बीजीआईए ( BHOPAL ACTION FOR INFORMATION GROUP)
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छोटा दास की तरह ही टिंबर मार्केट में रहने वाले जितेंद्र जिनके सर पर 5 लोगों को पालने की जिम्मेदारी है, वो भी 10 दिसंबर को कोवैक्सीन टीका लेने के सिर्फ 2 दिन बाद बीमार पड़ गए थे.

जिसके बाद अस्पताल जाने पर उन्हें ₹450 खर्च करने पड़े.

मेरे पास डॉक्टर का बताए हुए इलाज के लिए पैसे नहीं थे क्योंकि मैंने पहले ही ₹150 का X-ray करा लिया था , फिर मैं निराश होकर घर लौट आय .
जितेंद्र नरवरिया 

वैक्सीन लगने के महीनों बाद भी जितेंद्र टाइफाइड ,बुखार खांसी और उल्टी की समस्याओं से जूझ रहा हैं. जितेंद्र वैक्सीन को ही इन सब समस्याओं का कारण मानते हैं.

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हालांकि अभी भी कोवैक्सीन का तीसरा फेस ट्रायल रन चल रहा है लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है जिससे ये साबित हो सके कि वैक्सीन के कारण से ही ऐसी दिक्कतें हो रहीं हैं.

इसी तरह हरि सिंह गोंड जो पेशे से एक मजदूर हैं . उन्होंने इस अस्पताल में कोवैक्सीन के दो शॉट लिए थे. पहला 7 दिसंबर को और दूसरा 4 जनवरी 2021 को, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ने एक लिखित कंसेंट फॉर्म दिया था.

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हॉस्पिटल ने क्या कहा-

क्विंट से बात करते हुए पीपल्स हॉस्पिटल के डीन दीक्षित ने उन सारी बातों को झूठ बताया, जहां पर अस्पताल पर आरोप लगाया जा रहा था कि उन्होंने अपनी गाड़ियां कॉलोनियों में भेजकर निशुल्क हेल्थ चेकअप का लालच देकर लोगों को वैक्सीन ट्रायल के लिए बुलाया था.

ना ही अस्पताल से कोई गाड़ी भेजी गई थी ,ना ही हमने कोई पम्पलेट छपवाया था ताकि लोग यहां पर आए . हमने एक टीम को अस्पताल के 4 किलोमीटर रेडियस में भेजा था ताकि वो लोगों को अवगत करा सके कि यहां पर वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है और ट्रायल के लिए हमने सारे नियम कानूनों को भी फॉलो किया था .
एके दीक्षित

उन्होंने कहा ,अभी तक हमने 1750 लोगों का परीक्षण किया है और हम हर वोलेंटियर पर ध्यान रख रहे हैं . ताकि कोई वैक्सीन लेने के बाद बीमार न पड़ जाए

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जब अस्पताल से कंसेंट फॉर्म से जुड़े सवाल पूछे गए तो उन्होंने बताया कि हमने सारे दिशा निर्देशों का पालन किया है और अगर कोई वॉलंटियर कंसेंट फॉर्म चाहता है तो हम उसे दे देते हैं अन्यथा हम नहीं देते. लेकिन हम हर उस व्यक्ति को कंसेंट फॉर्म दे रहे हैं जो अपने दूसरे कोरोना टीके के ट्रायल के लिए अस्पताल आ रहा है.

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