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झारखंड में फंसे बंगाल के मजदूर,जमानत में गई जमापूंजी, खाने के लाले

लॉकडाउन उल्लंघन के मामले में कई मजदूरों पर लगाई गई संगीन धाराएं

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एक तो लॉकडाउन की मार, ऊपर से बेदर्द सिस्टम. ऐसे समय जब प्रवासी मजदूरों पर पहाड़ टूट पड़ा है, उनकी नौकरी छिन गई है, किराया देने और खाने के पैसे नहीं हैं, झारखंड के जादूगोड़ा से खबर है कि लॉकडाउन तोड़ने के लिए मजदूरों को जेल भेजने की चेतावनी दी गई और उनसे 3,500 रूपए की वसूली भी की गई.

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ये कहानी है कि झारखंड में पूर्वी सिंहभूम में जादूगोड़ा की और मजबूर मजदूर हैं पश्चिम बंगाल के. 22 अप्रैल को राशन खत्म होने के बाद 24 लोग अपने गांव वापस लौटने के लिए निकले. लेकिन जादूगाड़ा पुलिस ने इन्हें पकड़ कर क्वॉरन्टीन कर दिया. मजदूरों का आरोप है कि 11 मई को जादूगोड़ा थाना प्रभारी ने कहा कि बेल लो नहीं तो जेल जाओगे. इसके बाद पहले से ही बेहाल कंगाल हो चुके हर मजदूर को 3500 रूपए बेल के लिए देने पड़े. तब जाकर पुलिस ने इन्हें छोड़ा. इनमें से 12 मजदूर वीरभूम के थे और 12 मालदा जिले के. वीरभूम के मजदूर तो वापस अपने गांव लौट गए लेकिन मालदा के मजदूरों के पास घर वापसी के भी पैसे नहीं बचे.

जो पैसा था वह बेल में खत्म हो गया, अब पैसा नहीं बचा था. इसलिए हम लोगों ने कहा कि हम लोगों को हमारे गृह क्षेत्र मालदा भेज दीजिए या फिर बंगाल बॉर्डर तक भेज दीजिए. वहां से हम पैदल चले जाएंगे, लेकिन हमें वापस चक्रधरपुर भेज दिया गया. अब न हमारे पास खाने के लिए कुछ है और न ही रेंट का पैसा है.
अब्दुल मतलूब
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इन मजदूरों पर धारा 188, 269, 270, 290, 34 के तहत केस दर्ज किया गया है. लॉकडाउन उल्लंघन की बात एक है. इन मजदूरों को क्वॉरन्टीन के बाद निगेटिव पाया गया. बावजूद इसके इनपर से Ipc की 269, 270 धाराएं नहीं हटाई गईं.

Ipc 269, 270 की धाराएं संक्रमण फैलाने से संबंधित है. 290 अव्यवस्था फैलाने को लेकर है. धारा 34 सामूहिक अपराध के लिए लगती है. जब ये लोग निगेटिव निकले और ये कोई अपराध करने भी नहीं जा रहे थे, ये गरीब अपने घर जाना चाह रहे थे तो फिर ये धाराएं हट जानी चाहिए थीं और ये थाने के लेवल पर ही हो सकता था.
अखिलेश श्रीवास्तव , वकील, कोलकाता हाईकोर्ट
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हालांकि जब क्विंट ने जमशेदपुर, जिसके तहत जादूगोड़ा का इलाका आता है, के एसएसपी तमिल बणन से  बात की तो उन्होंने कहा -''जो भी धाराएं लगीं वह इसलिए लगीं कि मज़दूरों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया था. धाराएं कैसे हट सकती हैं.'' फिलहाल चक्रधरपुर में ये मजदूर किराए के उन्हीं मकानों में रह रहे हैं, जहां इन्हें 3500 रूपए किराया लगता है. कुछ समाजसेवी संगठन इनके खाने, किराए और इनकी घर वापसी के लिए पैसे का इंतजाम कर रहे हैं.

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