देश में बढ़ी महामारी और हर चीज की तरह इसमें भी सियासत की बीमारी. ये खासतौर पर पश्चिम बंगाल पर लागू होता है, जहां सरकार का कोरोना टेस्टिंग और उससे संबंधित डेटा के प्रति रवैया काफी खुफिया रहा है. बंगाल सरकार के इस रवैये के बाद बीजेपी और केंद्र सरकार दोनों ही ममता पर हमलावर हैं.
केंद्र की टीमों से बढ़ा तनाव
राज्य में ये राजनीतिक तू-तू, मैं-मैं मानो क्लाइमेक्स पर तब पहुंच गई, जब केंद्र सरकार की दो टीमें, जिन्हें इंटर मिनिस्टीरियल सेंट्रल टीम कहा जा रहा है वो कोलकाता पहुंच गईं. ये टीमें राज्य में लॉकडाउन का पालन कैसे हो रहा है और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर केंद्र सरकार को रिपोर्ट पेश करेंगी. देश के चार राज्यों पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार ने ये टीमें भेजी हैं.
केंद्र की ये दो टीमें 20 अप्रैल की सुबह एयर इंडिया की स्पेशल फ्लाइट से कोलकाता पहुंचीं.
ममता बनर्जी और उनकी टीम का कहना है कि, बिना उनकी सरकार को नोटिस दिए ये टीमें बंगाल पहुंच गईं. उनके आने के बाद सीएम ममता ने प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने कहा कि ये टीमें कहां-कहां जाएंगी, इसे लेकर कुछ भी साफ नहीं है.
सोशल मीडिया पर खूब हुई तैयारी
अब ममता की तृणमूल कांग्रेस भले ही विक्टिम कार्ड खेल रही हो, लेकिन असलियत ये है कि सरकार की इस बीमारी को लेकर तैयारियों और नीयत पर सवाल उठते रहे हैं. भले ही जिम्मेदारी का कितना भी दावा कर लिया जाए, लेकिन अगर गलती की है तो विपक्ष तो सवाल उठाएगा ही ना दीदी?
दस्तावेजों में ममता सरकार ने कोविड से निपटने के लिए सबसे पहले कदम उठाए. बंगाल में लॉकडाउन भी पूरे देश से दो दिन पहले लागू किया गया. उसके अगले कुछ दिनों तक प्रशांत किशोर ने कहा कि ममता एक अच्छे क्राइसिस का पूरा फायदा उठाएं. तो अचानक से ममता रोजाना प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगीं. हॉस्पिटल में भी ममता के औचक निरीक्षण हुए. यहां तक कि सड़क पर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग सिखाने के लिए परफेक्ट गोले तक बनाने लगीं....
और हां इन सबके बीच प्रशांत किशोर की सोशल मीडिया टीम ने अपने अंदर के मकबूल हुसैन को जगाते हुए ममता की कुछ ऐसी क्रिएटिव इमेज शेयर की, जिससे लगने लगा कि शक्तिमान के बाद अगली इंडियन सुपरहीरो तो वही है. लेकिन वो कहते हैं ना कि जब भी कोई चीज बहुत ज्यादा अच्छी हो, तो भैया दाल में जरूर कुछ तो काला है.
मेडिकल बुलेटिन में झोल
सबसे पहले सवाल तब उठने शुरू हुए जब 2 और 3 अप्रैल को बिना किसी आधिकारिक कारण के सरकार ने अपना डेली मेडिकल बुलेटिन नहीं किया. इसके ठीक पहले डॉक्टर्स की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये कहा गया था कि उस दिन तक बंगाल में कोरोना वायरस से 7 लोगों की मौत हुई. लेकिन फिर इसके दो घंटे बाद, चीफ सेक्रेट्री ने ये नंबर बदकर कहा कि राज्य में कोरोना से सिर्फ 5 लोगों की मौत हुई है.
दो दिन बाद जब अगला मेडिकल बुलेटिन जारी हुआ तो पता चला कि बुलेटिन का फॉरमेट की बदल दिया गया है. जहां पहले के बुलेटिन में हर दिन के नए पॉजिटिव केस और मौतों की संख्या बताई जाती थी, वहीं अब सिर्फ एक्टिव केस की संख्या बताई जा रही है. इस झोल ने सबकी नजरें बंगाल के टेस्टिंग रेट्स की तरफ घुमा दीं. ये वीडियो रिकॉर्ड करते वक्त बंगाल सरकार का कहना था कि वो एक दिन में 700 सैंपल टेस्ट कर रहे हैं. इसे एक बार बीएमसी से केंपेयर करें तो सिर्फ मुंबई में ही एक दिन में 1200 टेस्ट हो रहे हैं और वो भी कई हफ्तों से.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)