लोकसभा चुनाव 2019 के रुझान नतीजों में बदलते नजर आ रहे हैं. बीजेपी ने एक बार फिर से अपने दम पर बहुमत हासिल कर लिया है. साथ ही साल 2014 से बड़ा मैनडेट एनडीए के पक्ष में आया है. पीएम मोदी समेत देश के कई नेताओं ने इस जनादेश का स्वागत किया है.
पीएम मोदी साल 2014 में एक ऐसी छवि के साथ चुनावी मैदान में आए थे कि वो ऐसे नेता हैं जो देश को विकास की राह पर ले जाएंगे. पीएम मोदी के साथ उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही एंटी मुस्लिम नेता होने की छवि भी जुड़ी हुई है.
क्विंट से सीएसडीएस के असिस्टेंट प्रोफेसर हिलाल अहमद ने बात की. इस दौरान हिलाल ने कहा कि पीएम मोदी की राजनीति पोलराइजेशन के इर्द-गिर्द रही है.
दो बातें हैं एक है हिंदू वोट बैंक और एक है हिंदू पोलराइजेशन. तो ये वोट बैंक की राजनीति नहीं है पोलराइजेशन की राजनीति है. पोलराइजेशन का मतलब ये है कि आप ये स्थापित कर देते हैं कि जो आप कह रहे हैं वो सच है. जिससे आप पोलराइज हो जाते हो और आप खुद को उससे जोड़कर देखते हो. साल 2014 के मुकाबले इस चुनाव में हिंदुत्व की राजनीति को बहुत मुखर होकर किया गया है.
प्रोफेसर हिलाल ने मोदी के आगे की राजनीति पर भी बात की. पोलराइजेशन की राजनीति को भारत के मुसलमानों से जोड़कर हिलाल ने कहा कि आने वाले 5 सालों में ये देखने वाली बात होगी कि बीजेपी इस मैंडेट के साथ कैसा काम करती है.
ये देखने वाली बात होगी कि इस जनादेश के साथ भारत के मुसलमानों के प्रति बीजेपी का व्यवहार कैसा रहता है. क्योंकि हम देखें तो अमित शाह के चुनाव प्रचार के दौरान नागरिकता वाली बात आई. नागरिकता पर जो कहा गया अगर वैसा होता है तो ये कहा जाने लगेगा कि ये देश हिंदुओं का है और इस देश में उनका भी अधिकार है जो हिंदू पड़ोस के देशों में रहते हैं.हिलाल अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर, सीएसडीस
हिलाल अहमद ने कहा कि ये बात आने वाले वक्त बताएगा कि ये कैसे और कितना साबित होता है.
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