2012 में, दिल्ली में ‘निर्भया’ गैंगरेप और मर्डर केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. इससे पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था. हालांकि, एक आश्चर्य की बात है कि इस दिल दहला देने वाली घटना के आठ साल बाद भी, 'निर्भया' के मायने में कोई बदलाव नहीं आया है?
महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानूनों में बदलाव हो गया, लेकिन क्या इस तरह की घटनाओं को जन्म देने वाली मानसिकता में कोई वास्तविक बदलाव आया है. अधिकांश महिलाओं के लिए, आज भी, यौन उत्पीड़न, दुर्व्यवहार बेहद आम है. जाहिर है, लड़ाई अभी शुरू ही हुई है.
यहां अनामिका जोशी उर्फ बट्टो की बकवास की एक सशक्त कविता है, जो निर्भया मामले और उसके बाद के स्थिति की पड़ताल करती है.
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