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LNJP अस्पताल: हर 5 मिनट में एक एंबुलेंस, क्विंट ग्राउंड रिपोर्ट

दिल्ली से बेड्स की कमी, टेस्टिंग में देरी जैसी अव्यवस्थाओं को लेकर जमकर शिकायतें आई हैं

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

देश की राजधानी दिल्ली से कोरोना जुड़ीं स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बुरी खबरें आ रही हैं. बेड्स की कमी, टेस्टिंग में देरी जैसी अव्यवस्थाओं को लेकर जमकर शिकायतें आयी हैं. कोरोना वायरस के इलाज के लिए दिल्ली में लोकनारायण जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल नोडल अस्पताल है. ऐसे में क्विंट ने इस अस्पताल पहुंचकर रियलिटी चेक किया है. मीडिया को हॉस्पिटल के अंदर जाने नहीं दिया जा रहा है इसलिए हमने हॉस्पिटल के बाहर ही मरीजों से बात करने की कोशिश की.

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हम यहां एक ऐसे मरीज के बेटे राम नारायण से मिले जिन्होंने बताया कि वो इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर लगाकर यहां आए हैं. हालांकि उन्हें नहीं पता कि यहां भी एडमिशन मिलेगा या नहीं.

मेरे पिता को पिछले 10 दिनों से तेज बुखार था. हम अंबेडकर अस्पताल गए, जहां उन्हें पेरासिटामॉल खिलाई गई. इसके बाद रविवार को हम राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल गए. वहां पर उनके सैंपल लिए लेकिन इसके पांच दिन बाद रिपोर्ट आ सकी. पिता की तबीयत बिगड़ रही थी. इसके बाद हम सफदरजंग हॉस्पिटल गए और उनको ओपीडी में दिखाया. उन्होंने  हमें इमरजेंसी में जाने के लिए कहा लेकिन वहां पर कोई बिस्तर खाली नहीं था. यहां तक कि एम्स में कहा गया कि बेड खाली नहीं है. जो कोविड-19 की स्क्रीनिंग कर रहे थे उन्होंने बताया कि LNJP या GTB अस्पताल जाइए. इसलिए हम LNJP हॉस्पिटल आए. अब देखते हैं कि यहां बेड मिलता है या नहीं. वो कह रहे हैं कि कोरोना का रिजल्ट 5 दिनों में आएगा लेकिन मेरे पिता का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है. हमारे पास एक्स रे रिपोर्ट है जो दिखाती है कि उनको इन्फेक्शन है.
राम नारायण, कोरोना संदिग्ध का बेटा
गरीब लोग कहां जाएंगे, हम मर जाएंगे. सरकार कह रही है कि वो सुविधा दे रहे हैं लेकिम हम अभी भी बेड ढूंढ रहे हैं.
राम नारायण के पिता (कोरोना संदिग्ध मरीज)

इसी अस्पताल में इलाज कराने आए राजेश केडिया का भी बुरा अनुभव रहा. वो बताते हैं कि उन्हें इस हॉस्पिटल में अपने परिचित को एडमिट कराने के लिए काफी मश्क्कत करनी पड़ी.

हम दो सफाई कर्मचारियों को अस्पताल लेकर आए और उनको एडमिट कराया. लेकिन हमें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. हमें उनको बेड दिलाने के लिए रसूखदार लोगों की मदद लेनी पड़ी, क्योंकि यहां पर पेशेंट बहुत ज्यादा आ रहे हैं. इसके पहले वो लोग घर में ही दवाई ले रहे थे लेकिन जब वो बुरी तरीके से बीमार पड़ने लगे तो हम उन्हें यहां लेकर आए. हमने अपने सीनियर फिर सुपर सीनियर से बात की. तब जाकर काम हुआ.
राजेश केडिया
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हमें हॉस्पिटल के बाहर शाहरुख मिले. वो बताते हैं कि मेरी मां अंदर भर्ती हैं लेकिन मुझे नहीं पता चल पा रहा कि वो जिंदा है या मर गईं.

मेरी मां आईसीयू में भर्ती है. मैं उनके लिए भोजन भेजता हूं. जब मैंने गार्ड से पूछा कि मेरी मां की हालत कैसी है तो उन्होंने मुझे कागज पर नाम लिखने के लिए कहा. उसके बाद गार्ड ने बताया कि मां की मौत हो गई है. लेकिन मैं उस पर कैसे विश्वास करूं. मुझे हॉस्पिटल से कोई कॉल नहीं आया है. हॉस्पिटल स्टाफ ने मुझे डॉक्टर का इंतजार करने के लिए कहा है. लेकिन अब तक डॉक्टर नहीं आए हैं.
शाहरुख

कोरोना वायरस से होने वाली मौतों का आंकड़ा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है. वैसे वैसे स्थिति और चुनौतीपूर्ण होती जा रही है. क्विंट की आगे भी कोशिश रहेगी कि आपको दिल्ली के कोरोना वायरस अस्पतालों की जमीनी रिपोर्ट दी जाएं.

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