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दिल्ली: इकलौती महिला बस ड्राइवर अपने काम से हैं कितनी खुश!

वी. सरिता 2012 में तेलंगाना से दिल्ली आई थीं

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“दिल्ली में डीटीसी बस चलाने वाली इकलौती महिला होने पर गर्व करने की बात नहीं है. आप लोगों को खुद से पूछना चाहिए- दूसरी महिलाएं ये काम क्यों नहीं कर रही हैं?”
वी. सरिता, डीटीसी बस ड्राइवर

वी. सरिता 2012 में तेलंगाना से दिल्ली आई थीं. उन्होंने एनजीओ आजाद फाउंडेशन के बारे में पढ़ा था, जहां महिला ड्राइवरों को ट्रेनिंग दी जाती थी.

वो उस वक्त न तो हिंदी जानती थी और न ही दिल्ली की सड़कों के बारे में, लेकिन एक बात वो अच्छी तरह से जानती थीं कि बस कैसे चलेगी. 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद, सरिता दिल्ली और इसकी सड़कों पर बस चलाने के लिए तैयार थी. लेकिन इसके बाद भी उन्हें 3 साल तक इंतजार करना पड़ा. आखिरकार 2015 में सरिता को 10 महिलाओं के बीच दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में ड्राइवर पद के लिए चुन लिया गया.

तेलंगाना के अपने गांव में सरिता अपने परिवार (माता-पिता और चार बहनें) को सपोर्ट करने के लिए ऑटो चलाती थीं. फिर वो हैदराबाद के होली मैरी कॉलेज के लिए बस चलाने लगीं. नौकरी की सुरक्षा को देखते हुए डीटीसी में काम करने आ गईं.

सरिता को नौकरी से बहुत उम्मीदें थीं. उन्होंने सोचा कि डीटीसी की एकमात्र महिला बस ड्राइवर को कुछ सुविधाएं मिलेंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

5 साल तक गाड़ी चलाने के बाद भी वो स्थायी कर्मचारी नहीं है. उन्हें किलोमीटर के हिसाब से पैसे मिलते हैं. उन्हें 6.5 रुपये प्रति किलोमीटर मिलते हैं. वे लगभग 130 किलोमीटर रोजाना गाड़ी चलाती हैं. यानी उन्हें रोजाना औसतन 848 रुपये मिलते हैं.

सरिता को कई बार सम्मान मिल चुका है, लेकिन जीवन की सच्चाई ये है कि पुरस्कार उनके बिलों को नहीं चुका सकता. उसके लिए उन्हें पैसे और आर्थिक सुरक्षा चाहिए.

“मैंने अधिकारियों के दरवाजे खटखटाए. दिल्ली और तेलंगाना के परिवहन मंत्रियों से भी मुलाकात की, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. मुझसे वादा किया गया था कि मुझे 6 महीने के बाद स्थायी किया जाएगा लेकिन वादा पूरा नहीं किया गया.”
वी. सरिता, डीटीसी बस ड्राइवर
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सरिता की रोल मॉडल किरण बेदी हैं. वो हमें बताती हैं कि उन्हें तेलंगाना में वापस बुलाया गया था. लेकिन वो वापस नहीं जाना चाहतीं. उनके यहां काम करने से बाकी महिला ड्राइवर इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित होंगी. उन्होंने अभी तक शादी नहीं की है और बताती हैं कि शादी की योजना भी नहीं है.

“मुझे अपने माता-पिता की बहुत याद आती है. मेरा सपना है उनके साथ रहना और उनकी देखभाल करना.”
वी. सरिता, डीटीसी बस ड्राइवर

सरिता को देखकर कुछ महिला कंडक्टरों ने ड्राइवर के पद के लिए आवेदन किया है. सरिता इस बात से खुश है कि जल्द ही वो दिल्ली की इकलौती महिला बस ड्राइवर नहीं रहेंगी.

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