वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
सड़क पर चलते हुए दूर से आती हुई बूम-बूम की आवाज जैसे ही पास आती है तो कानों में दर्द होने लगता है. राजधानी दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर ऐसे कई बाईकर्स घूमते हैं जिनके साइलेंसर या प्रेशर हॉर्न से सुनसान सड़क भी शोर से गूंजने लगती है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस इसे लेकर इस साल भी काफी एक्टिव है. ऐसे शोर करने वाले साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न पर चालान हो रहे हैं. चालान के साथ प्रेशर हॉर्न को पुलिस उखाड़कर फेंक रही है.
हालांकि दिल्ली के करोल बाग में ऐसे मोडिफाइड साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न का सबसे बड़ा मार्केट है. जहां खुलेआम ऐसे साइलेंसर बिकते हैं. बेचने वालों का कहना है कि पुलिस की तरफ से कभी भी कोई साफ गाइडलाइन जारी नहीं की गई और पुलिस के पास डेसीबल चेकिंग के इक्विपमेंट भी नहीं हैं.
क्या कहते हैं नियम?
ऐसे वाहनों पर चालान करने वाली दिल्ली ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि मोडिफाइड साइलेंसर या प्रेशर हॉर्न लगाने पर पूरी तरह से पाबंदी है. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर के जगदेशन ने बताया,
‘मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक किसी भी व्हीकल को मोडिफाई करने से पहले रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी का अप्रूवल लेना होगा.बिना इसके ये गैरकानूनी है. कानून के तहत इस पर जुर्माने का प्रावधान है. हर मेन्युफैक्चरर कंपनी सेफ्टी का ध्यान रखते हुए अपने व्हीकल के इक्युपमेंट बनाते हैं. साइलेंसर भी इसका ही एक हिस्सा है. इसे मोडिफाई करना सेफ्टी का भी एक मुद्दा है और ये बहुत ज्यादा साउंड भी निकालता है. जो ध्वनि प्रदूषण एक्ट के तहत भी एक अपराध है. इसीलिए दिल्ली पुलिस ऐसे वाहनों पर एक्शन लेती है.’के जगदेशन, ज्वॉइंट कमिश्नर (ट्रैफिक)
बेचने वालों पर क्यों नहीं होता एक्शन?
ट्रैफिक पुलिस से जब ये सवाल पूछा गया कि बाइक्स पर चालान करने की बजाय बाजार या बेचने वालों पर एक्शन क्यों नहीं होता, तो इसके जवाब में ज्वॉइंट सीपी ने कहा, मेन्युफैक्चर्स के खिलाफ एक्शन लेना हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं है. इस पर अलग-अलग राज्यों में स्टेट पुलिस अपने तरीके से कार्रवाई करती है. उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न पर दोगुने चालान हो चुके हैं. उन्होंने बताया, ‘पिछले साल हमने लगभग 7 हजार वाहनों पर एक्शन लिया था. इस साल अब तक 16 हजार वाहनों पर एक्शन हो चुका है. प्रेशर हॉर्न और मोडिफाइड साइलेंसर पर 5 हजार रुपये का चालान किया जाता है और प्रेशर हॉर्न को निकालकर उसे तोड़ दिया जाता है.’
चालान की नहीं कोई फिक्र
दिल्ली पुलिस ऐसे वाहनों के खिलाफ मुहिम छेड़ने और हजारों का चालान करने की बात करती है, लेकिन करोल बाग मार्केट में आज भी इसका बाजार गर्म है. यहां कई बाइकर्स अपनी बाइक मोडिफाइ करवाने आते हैं. जबकि इन सभी को अच्छी तरह से पता है कि इस पर उनका चालान हो सकता है. लेकिन इसकी फिक्र किए बिना टशन के लिए बाइकर्स मोडिफाइड साइलेंसर लगाते हैं. कई बाइकर्स का कहना है कि वो ऐसा कुछ अलग फील करने के लिए करते हैं. वहीं कुछ लोगों को रजिस्ट्रेशन की भी जानकारी है.
क्या कहते हैं करोल बाग के दुकानदार?
करोल बाग का नाईंवाला मार्केट सिर्फ बाइक्स के लिए ही फेमस है. यहां रोजाना सैकड़ों बाइक्स मोडिफाइ होती हैं. दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के चालान और साइलेंसर-प्रेशर हॉर्न को अवैध बताने पर करोल बाग के दुकानदारों का कहना है कि पुलिस ने कभी कुछ साफ नहीं किया. एक साइलेंसर डीलर ने बताया-
ट्रैफिक पुलिस ने चालान का ऑर्डर तो निकाल दिया लेकिन पुलिसवालों के पास डेसीबल मीटर्स नहीं हैं. बस सुनते हैं कि बाइक आ रही है लाउड है तो चालान काट दो. वहीं ग्राहकों को भी इसे लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है. यहां उन्हें लगता है कि बस एग्जॉस्ट चेंज करवाकर बस साउंड आएगा और कुछ नहीं आएगा.
कितनी होती है कीमत?
दिल्ली के करोल बाग मार्केट में ऐसे कई सालइेंसर आपको 700 रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक मिल जाएंगे. कई बड़ी कंपनियों की स्पोर्ट्स बाइक के लिए ये रेंज 50-60 हजार तक जाती है. बुलेट के लिए अलग और नॉर्मल बाइक्स के लिए अलग साइलेंसर यूज होते हैं. वहीं अगर प्रेशर हॉर्न की बात करें तो ये 100 रुपये से लेकर 700 रुपये तक मिल जाते हैं. जितनी कम कीमत आवाज उतनी ही ज्यादा लाउड होती है. 18 अलग-अलग आवाजों वाले हॉर्न की कीमत महज 250 रुपये है.
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