दिल्ली हिंसा पर सवालों के ढेर लगे हैं लेकिन पुख्ता जवाब नहीं मिल पा रहे हैं. हिंसा से जुड़े तमाम सवालों पर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव से क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने खास चर्चा की.
उत्तर पूर्वी दिल्ली के मौजपुर, जाफराबाद, करावल नगर, खजूरी खास, भजनपुरा, गोकुलपुरी, सीलमपुर, चांदबाग समेत कई इलाकों में तीन दिनों तक हिंसा हुई, जिसमें 47 लोगों की मौत हो गई. हिंसा में पुलिस की भूमिका से लेकर नेताओं की भूमिका तक पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
योगेंद्र यादव का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से जिस तरह के हालात हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि जिस शहर में मैं हूं, वहां हिंदू और मुसलमान रहते हैं, यहां कोई इंसान नहीं रहता है.
एक तबका दूसरे को दंगाई समझता है तो दूसरा तबका सामने वाले को. ऐसे में दोनों आंखों को खोलकर पूरा सच देखने की चुनौती है. जरूरी है कि हम दोनों तरह की बातों को देखें और समझे. और इस देश के हित में जो हो वो करे.योगेंद्र यादव, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष
योगेंद्र यादव ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिन हुई हिंसा के बारे में बात करते हुए कहा कि तीनों दिन की हिंसा का चरित्र अलग था.
- पहले दिन की हिंसा प्रदर्शनकारी बनाम पुलिस था. उसमें आम जनता शामिल नहीं थी. एक पुलिसवाले की मौत हुई थी.
- दूसरे दिन दंगा हुआ था. हिंदू और मुस्लिम दोनों के बीच पत्थरबाजी हुई और गोलिया चलीं. दोनों तरफ के लोगों की मौत हुई थी.
- तीसरे दिन जो हुआ वो 1984 की तरह का मामला था. जिसमें चुन-चुन कर मुसलमानों को निशाना बनाया गया था. उस दिन भी हिंदुओं को निशाना बनाया गया लेकिन उसकी संख्या बहुत कम थी. एक समुदाय को निशाना बनाया गया और पुलिस खड़ी होकर देखती रही.
योगेंद्र यादव ने चिंता जताते हुए कहा कि ये सोचने वाली बात है कि जिस बच्चे ने अपनी आंखों से हिंसा होते हुए देखा होगा वो किस तरह की याद लेकर बड़ा होगा.
दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस ने 254 एफआईआर दर्ज की हैं, वहीं 903 लोगों को हिरासत में लिया है. वहीं NHRC ने जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)