वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
महीने के आखिर में कैश की जरूरत पड़ गई. और खाता खाली है. भाई को कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के लिए 40 हजार रुपये भेजने है. लेकिन पास में पैसे नहीं या ऐसी ही कोई और जरूरत आ पड़ी. दोस्त हैं...दे भी देंगे...लेकिन मांगने में कभी-कभी बुरा लगता है, पास में क्रेडिट कार्ड भी नहीं. सैलरी भी इतनी कम है कि बैंक से लोन नहीं मिल सकता. किसी को मिल भी सकता है तो इतने डॉक्यूमेंट्स मांगेंगे कि पसीना छूट जाएगा अब आप क्या करेंगे?
जवाब है डिजिटल लेंडिंग
अर्ली सैलरी, जेस्ट मनी और इन जैसी तमाम डिजिटल लेंडिंग कंपनियां आपको तीन महीने से लेकर एक साल तक के लिए 20 हजार रुपये से 2 लाख रुपये तक का लोन दे सकती हैं.
ये कंपनियां कोई पेपर नहीं मांगतीं. सिर्फ आधार और पैन कार्ड अपलोड करते ही लोन मिल सकता है, वह भी सिर्फ चार मिनट में. बैंक स्टेटमेंट नहीं मांगा जाता, केवाईसी और क्रेडिट स्कोर का भी चक्कर नहीं होता.
फर्म थ्री-वन-जीरो मॉडल पर करती हैं काम
नई नौकरी वाले या कम सैलरी की वजह से क्रेडिट कार्ड पाने में नाकाम लोगों को ये डिजिटल लेंडिंग फर्म लोन दे रहे हैं. अर्ली सैलरी जैसी कंपनी 18 हजार रुपये की मंथली इनकम वालों को भी लोन दे देती है. डिजिटल लेंडिंग फर्म थ्री-वन-जीरो मॉडल पर काम करती हैं. यानी आपको लोन देना है या नहीं यह तीन मिनट में तय कर लिया जाता है. एक मिनट में मनी ट्रांसफर कर दिया जाता है और जीरो का मतलब होता है जीरो ह्यूमन टच. यानी पैसा सीधे आपके अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है.
सोशल मीडिया प्रोफाइल देख मिलता है लोन
डिजिटल लेंडिंग कंपनियां लोन देने के लिए आपका सोशल मीडिया प्रोफाइल देखती हैं. वो आपके दोस्तों के सोशल मीडिया पर नजर रखती हैं.
आपकी मोबाइल या टेलीफोन बिल पेमेंट की हिस्ट्री, ज्योग्राफिकल लोकेशन, ऑनलाइन शॉपिंग हिस्ट्री और इंटरनेट पर बिताये जाने वाले वक्त पर नजर रखती हैं.
डिजिटल लोन- ब्याज ज्यादा है, जल्द चुकाएं लोन
ये आपके कंजम्प्शन पैटर्न को खंगालती हैं. इनकम पैटर्न नहीं आपका कंजम्प्शन पैटर्न देखती हैं. अगर आप नई-नई नौकरी में आए हैं. सैलरी कम है...क्रेडिट कार्ड या बैंक लोन संभव नहीं है और जरूरत है तो डिजिटल लेंडिंग कंपनियों से लोन ले सकते हैं, शर्त ये है कि जल्दी चुका दें. क्योंकि इंटरेस्ट रेट ज्यादा यानि 30% तक है. फिनटेक कहलाने वाली इन कंपनियों पर आरबीआई, सेबी, टेलीकॉम और इरडा (IRDA) की निगरानी है. इसलिए धोखाधड़ी भी डर नहीं होता है.
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